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Thursday, December 29, 2011
कृषि केबिनेट गठित होने के साथ ही जैविक खेती नीति लागू
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Tuesday, December 20, 2011
मुख्यमंत्री प्रदेश को देश का पहला जैविक प्रदेश बनाने को संकल्पित
किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश को देश का पहला जैविक प्रदेश बनाने के लिए संकल्पित है। इन संकल्पों में प्रथम जैविक विश्वविद्यालय की स्थापना और औषधीय फसलों को प्रोत्साहित करना व कृषक उपज मंडियों में उनके विपणन की व्यवस्था करना शामिल है। यह बात डा. कुसमरिया ने गत दिवस कटनी जिले के वनांचल के मनोहर करौंदी ग्राम में जैविक प्रशिक्षण के शुभारंभ कार्यक्रम में कही।
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Sunday, December 18, 2011
सिंचाई क्षमता हासिल करने का नया कीर्तिमान
मध्यप्रदेश ने सिंचाई क्षमता हासिल करने के लिए अपनी सतत कोशिशों के चलते एक नया कीर्तिमान कायम किया है। इसकी बानगी यह है कि पिछले आठ सालों के दौरान हर साल औसतन एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता पैदा की गई है। इस कवायद की कामयाबी इस तथ्य पर आधारित है कि इसके पूर्व आजादी के बाद के 50 सालों में प्रदेश को कुल 21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता हासिल थी। अब कुल सिंचाई क्षमता करीब 29 लाख हेक्टेयर तक जा पहुँची है।
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Saturday, December 17, 2011
किसानों के लिए एक द्विभाषीय वेबपोर्टल कृषि नेट विकसित
प्रदेश में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के सुदृढ़ीकरण के अंतर्गत कृषि नेट परियोजना क्रियान्वित की गई है। परियोजना में किसानों की सुविधा के लिये एक द्विभाषीय वेबपोर्टल कृषि नेट विकसित किया गया है। यह हिन्दी भाषा में खेती एवं खेती से संबंधित सभी तकनीकी व्यावासायिक एवं विभागीय शासकीय योजनाओं की जानकारी किसानों को बिना किसी रोक-टोक के हर समय उपलब्ध करवाने वाली देश में अपनी तरह की प्रथम शासकीय वेबसाइट है, जो प्रदेश में किसानों की स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विकसित की गई है।
Thursday, December 8, 2011
एक लाख मी. टन से ज्यादा धान की खरीद
प्रदेश में समर्थन मूल्य पर अब तक 1 लाख 10 हजार 116 मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। राज्य सरकार मौजूदा सीजन में 5 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान खरीदने के सारे इन्तजाम सुनिश्चित कर चुकी है। इस साल भी धान की खरीदी पर 50 रूपये प्रति क्विटल बोनस किसानों को दिया जा रहा है। पिछले साल 21 करोड़ 40 लाख रूपये का बोनस बाँटा गया था। पिछले ख्ररीफ सीजन और और मौजूदा सीजन में अब तक कुल 5 लाख्र 13 हजार 786 मी.टन चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बाँटे जाने के लिए प्राप्त हो चुका है।
Wednesday, December 7, 2011
खाद वितरण में अनियमितता पर सख्त कार्रवाई करें - कृषि मंत्री
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने आज विभागीय समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदेश में किसानों को समय पर यूरिया खाद उपलब्ध होने की सतत मॉनीटरिंग की जाये। संबंधित रैक प्वाइंटों पर यूरिया खाद पहुँचने की जानकारी जिले के उप संचालक से प्राप्त करें।
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Tuesday, December 6, 2011
गेहूँ खरीदी की कम्प्यूटरों में दर्ज होगी जानकारी
प्रदेश में अगले रबी सीजन के दौरान समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी को लेकर सरकार पहले से सभी इंतजाम सुनिश्चित कर रही है। इसी कड़ी में गेहूँ खरीदी का समूचा रिकार्ड पुख्ता करने का फैसला भी इस साल अंजाम दिया जा रहा है। इस संबंध में सभी जरूरी सूचनाएँ कम्प्यूटर में हर रोज दर्ज होंगी। यह कार्रवाई प्रत्येक सरकारी समिति के जरिये पूरी की जायेगी।
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Sunday, December 4, 2011
जैविक कृषि नीति जैविक उत्पादनों को विकसित करने का सशक्त माध्यम
मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्प के अनुरूप जैविक कृषि नीति तैयार की है। जैविक कृषि नीति के अंतर्गत संसाधन प्रबंधन, तकनीकी विकास एवं व्यापक प्रचार-प्रसार, उत्पादन वृद्धि के लिये प्रभावी अनुसंधान द्वारा देश के प्रगतिशील
Friday, December 2, 2011
प्रदेश के दो प्रगतिशील किसानों को राष्ट्रीय दुग्ध उत्पादक पुरस्कार
नई दिल्ली में पिछले दिनों आयोजित समारोह में मध्यप्रदेश के दो प्रगतिशील डेयरी किसानों को केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार ने राष्ट्रीय दुग्ध पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह सम्मान हरदा जिले के ग्राम नीरखी के श्री विनीत पटेल एवं नीमच जिले के ग्राम कुकड़ेश्वर के श्री समरथ लाल पटवा को दिया गया है।
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Friday, November 18, 2011
रबी सीजन में 59 लाख हेक्टेयर में बोनी का कार्य पूर्ण
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Tuesday, November 15, 2011
रबी मौसम में सिंचाई के लिये कृषि पम्पों का भार बढ़ा
रबी मौसम में सिंचाई के लिये कृषि पम्पों का वर्तमान में भार बढ़ा हुआ है। इसके साथ ही घरेलू तथा औद्योगिक माँग भी अधिक होने से प्रदेश की अधिकतम बिजली की माँग ८५२१ मेगावॉट तक पहुँच गई है। इस माँग की पूर्ति के लिये ऊर्जा विभाग द्वारा हर-संभव प्रयास किये जा रहे हैं।
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Monday, November 14, 2011
बुंदेलखंड अंचल में भंडारण क्षमता बढ़ाई जाएगी
मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य से आज मंत्रालय में राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डा. जे.एस. सामरा ने भेंट की। इस अवसर पर डॉ. सामरा ने मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड पैकेज के तहत 6 जिलों सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ और दतिया में संचालित विभिन्न कार्यों की प्रगति की जानकारी प्राप्त की। डॉ. सामरा ने उद्यानिकी के क्षेत्र में पन्ना जिले में संपन्न कार्यों की प्रशंसा की और उन कार्यों को अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बताया।
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Sunday, November 13, 2011
अपरम्परागत टसर उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर
मध्यप्रदेश अपराम्परागत टसर उत्पादन के क्षेत्र में शुरूआत के सिर्फ एक साल में ही देश के प्रमुख राज्यों झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा एवं आन्ध्रप्रदेश के साथ अग्रणी कतार में शामिल हो गया है। प्रदेश में अपरम्परागत टसर उत्पादन की शुरूआत के पहले वर्ष में उल्लेखनीय परिणाम सामने आये हैं। वर्ष
2010-11 में राज्य में 150 लाख कोकून उत्पादन के लक्ष्य के बदले 192 लाख टसर कोकून का उत्पादन हितग्राहियों ने किया है। प्रदेश में इस अवधि में 5 हजार हेक्टर वन क्षेत्र में कृमि-पालन के लक्ष्य के बदले 9,600 हेक्टर वन क्षेत्र में टसर कीट-पालन का कार्य हुआ है। इस अवधि में 5,600 हितग्राही टसर उत्पादन कार्य से लाभान्वित हुए हैं। नरसिंहपुर जिले के ज्योतेश्वर ग्राम के टसर कृमि-पालकों ने प्रति व्यक्ति औसत 25 हजार रुपये की आय हासिल कर राज्य में नया इतिहास रचा है। उम्मीद है मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य के करीब 20 हजार से अधिक हितग्राही टसर उत्पादन कार्य से लाभान्वित होंगे। टसर कृमि-पालन और कोकून उत्पादन के बाद कोकून से धागा बनाने के काम से भी अब प्रदेश में स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार हासिल होगा।
टसर एक प्रकार का रेशम है तथा आमतौर पर हम जिस रेशम को जानते हैं वह शहतूत की पत्ती खाने वाले रेशम के कीड़े से बनता है। इस रेशम का उत्पादन हितग्राहियों द्वारा शहतूत की पत्ती का उत्पादन कर तथा अपने घरों में रेशम के कीड़े पाल कर किया जाता है। जबकि टसर रेशम का कीड़ा मुख्य रूप से जंगलों में पाये जाने वाले अर्जुन एवं साजा पत्तियों को खाता है और इन पेड़ों पर ही कोकून का निर्माण करता है। इसके द्वारा उत्पादित रेशम को टसर रेशम या वन्या रेशम कहा जाता है।
पहले अविभाजित मध्यप्रदेश टसर रेशम उत्पादन के क्षेत्र में देश के प्रमुख राज्यों में जाना जाता था, परंतु राज्य विभाजन के पश्चात टसर रेशम उत्पादन करने वाले अधिकतर वन क्षेत्र नव-गठित छत्तीसगढ़ राज्य में चले गये और
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद टसर उत्पादन वाले वन क्षेत्र तो चले ही गये। इसके साथ ही टसर रेशम कृमि-पालन का परम्परागत ज्ञान भी चला गया। मध्यप्रदेश के नवीन चयनित क्षेत्रों के ग्रामीणों और वन श्रमिकों को न तो टसर कृमि-पालन का कोई ज्ञान था न ही इसका कोई अनुभव।
एक वर्ष में टसर कीट की मुख्यतः दो फसल ली जाती हैं। पहली फसल 35 से 40 दिन की होती है, जबकि दूसरी फसल 40 से 45 दिन की होती है। पहली फसल वर्षा ऋतु के प्रारंभ के साथ होती है। प्रशिक्षित हितग्राहियों को एक-एक हेक्टर वन प्रक्षेत्र कृमि-पालन के लिये दिया जाता है। रेशम संचालनालय द्वारा टसर कृमि के अण्डों से प्राप्त टसर-कृमि इन हितग्राहियों को दिये जाते हैं।
मध्यप्रदेश में टसर उत्पादन के पहले वर्ष 2010-11 की अवधि में प्रदेश के होशंगाबाद जिले में 46 लाख कोकून, बालाघाट जिले में 38.11 लाख कोकून, मण्डला में 26.20 लाख कोकून, बैतूल जिले में 21 लाख कोकून, नरसिंहपुर जिले में 18.80 लाख कोकून, सीहोर जिले में 6 लाख कोकून और हरदा जिले में 3.34 लाख कोकून का उत्पादन हुआ है। यहाँ हितग्राहियों को प्रथम वर्ष में एक फसल से औसतन 4 से 5 हजार रुपये की आय हुई है। प्रथम वर्ष के आधार पर यह आय बेहद उत्साहजनक है।
टसर कृमि-पालन और कोकून उत्पादन के बाद कोकून से धागा बनाने के काम से भी अब प्रदेश में स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार हासिल होगा।
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Saturday, November 12, 2011
किसानों के ऑनलाइन पंजीयन ने पकडी रफ़्तार
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Wednesday, November 9, 2011
चावल पर लेव्ही की नीति घोषित
राज्य सरकार ने साल 2011-12 में उपार्जित होने वाले धान की कस्टम मिलिंग और चावल पर लेव्ही लगाये जाने की नीति घोषित कर दी है। नीति के प्रावधान के मुताबिक लेव्ही सिर्फ चावल उत्पादकों से वसूली जायेगी और व्यवसायी इससे मुक्त रहेंगे।
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Friday, November 4, 2011
उर्वरक आपूर्ति का समुचित प्रबंधन करें, मुख्यमंत्री श्री चौहान
प्रदेश में 11वीं पंचवर्षीय योजना में कृषि विकास दर नौ प्रतिशत से अधिक रहेगी। यह जानकारी आज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ली गई कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में दी गयी। बैठक में कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, कृषि राज्य मंत्री श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह और मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य भी उपस्थित थे।
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किसानों के ऑन-लाइन पंजीयन ने पकड़ी रफ्तार
प्रदेश के किसानों को समर्थन मूल्य पर सुविधाजनक ढंग से अपनी फसल बेचने के लिये शुरू ऑन-लाइन पंजीयन के काम ने अब रफ्तार पकड़ ली है। बीते एक महीने में ऐसे पंजीकृत किसानों की तादाद 7,274 तक पहुँच चुकी है।
Friday, October 28, 2011
294 सिंचाई परियोजनाओं पर तेजी से काम शुरू
प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की नई कोशिशों के साथ ही बरसों पहले के उन बाँधों, नहरों को सुधारे जाने का काम भी शुरू किया गया है जो जीर्णी-शीर्ण हो चुके थे। इस सिलसिले में 30 जिलों की चुनिंदा 504 परियोजनाओं पर एक साथ काम जारी है। विश्व बैंक से 1 हजार 919 करोड़ रूपयों की सहायता लेकर वॉटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग प्रोजेक्ट के तहत ये काम किये जा रहे हैं।
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Saturday, October 22, 2011
छोटे किसानों को बिचौलियों से बचाने होगी विपणन की बेहतर व्यवस्था
प्रदेश में सब्जी और फलों की उत्पादन करने वाले छोटे किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिये विपणन की बेहतर व्यवस्था की जायेगी। यह व्यवस्था उद्यानिकी नीति के अन्तर्गत की जायेगी। इसके लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने आज यहाँ उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग की समीक्षा बैठक में इस संबंध में शीघ्र ठोस कदम उठाने के निर्देश दिये। बैठक में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय और मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य भी उपस्थित थे।
Wednesday, October 19, 2011
अनाज भण्डारण क्षमता बढ़ाने का खुला एक और रास्ता
प्रदेश में अनाज भण्डारण के मुकम्मल इंतजाम की लगातार कोशिशें चल रही हैं। सोमवार को ऐसी ही एक कोशिश तब सफल हो गई जबकि केन्द्र सरकार ने 10 वर्षीय गारंटी योजना के तहत 19 लाख 52 हजार मी. टन क्षमता के गोदाम निर्माण पर अपनी सहमति दे दी। इसके चलते निजी-जनभागीदारी और अन्य एजेंसियों के जरिये इस क्षमता के गोदामों के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।
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