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Saturday, December 17, 2011

किसानों के लिए एक द्विभाषीय वेबपोर्टल कृषि नेट विकसित

देश में अपनी तरह की प्रथम शासकीय वेबसाइट
Bhopal:Saturday, December 17, 2011: Updated16:00IST
  प्रदेश में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के सुदृढ़ीकरण के अंतर्गत कृषि नेट परियोजना क्रियान्वित की गई है। परियोजना में किसानों की सुविधा के लिये एक द्विभाषीय वेबपोर्टल कृषि नेट विकसित किया गया है। यह हिन्दी भाषा में खेती एवं खेती से संबंधित सभी तकनीकी व्यावासायिक एवं विभागीय शासकीय योजनाओं की जानकारी किसानों को बिना किसी रोक-टोक के हर समय उपलब्ध करवाने वाली देश में अपनी तरह की प्रथम शासकीय वेबसाइट है, जो प्रदेश में किसानों की स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विकसित की गई है।
इस परियोजना में राज्य से लेकर विकासखण्ड स्तर तक के कार्यालयों को इंटरनेट के माध्यम से आपस में जोड़ा गया है। सभी 313 विकासखण्डों में किसान ज्ञान सूचना केन्द्र की स्थापना की गई है, जहाँ से किसान इंटरनेट के माध्यम से कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए उन्नत कृषि प्रणालियों की जानकारी, कृषि आदान जैसे बीज, उर्वरक, पौध-संरक्षण औषधियाँ व कृषि यंत्र एवं शासकीय योजनाओं व कार्यक्रमों, मौसम, मण्डी भाव आदि खेती से संबंधित जानकारी बिना किसी शुल्क के प्राप्त कर सकेंगे।

वर्ष 2009-10 से 'कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी' योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू की गई है। इस योजना में कृषि नेट के संबंध में कृषकों एवं विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, किसान ज्ञान केन्द्रों का रख-रखाव, इंटरनेट कनेक्टिविटी, कम्प्यूटर सहायक सामग्री, कार्ट्रेज हार्डवेयर, बैटरी आदि वेबसाइट होस्टिंग, कन्सलटेंसी आदि घटक क्रियान्वित किये जायेंगे। वर्ष 2010-11 में इस कार्य पर 201 लाख 81 हजार रुपये की राशि व्यय की गई।

भारत सरकार के सहयोग से कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना मध्यप्रदेश में वर्ष 2011 से प्रारंभ की गई है। इस योजना के लिए चयनित कुल 7 राज्यों में मध्यप्रदेश का चयन प्रदेश में पूर्व ई-प्रोजेक्शन के क्रियान्वयन, आधारभूत संरचना सेवा केन्द्र, स्वान स्टेट डाटा सेंटर आदि की उपलब्धता के आधार पर किया गया है। इस योजना का उद्देश्य आधुनिक सूचना संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि सेवाओं का विस्तार, कृषि विस्तार की पहुँच एवं प्रभाव को बढ़ाना है। इस वित्तीय वर्ष में राशि 50 लाख के प्रावधान के विरुद्ध 31 अक्टूबर, 2011 तक 22 लाख 7 हजार रुपये व्यय किये गए हैं।किसानों के लिए एक द्विभाषीय वेबपोर्टल कृषि नेट विकसित


Bhopal:Saturday, December 17, 2011: Updated16:00IST

 

प्रदेश में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के सुदृढ़ीकरण के अंतर्गत कृषि नेट परियोजना क्रियान्वित की गई है। परियोजना में किसानों की सुविधा के लिये एक द्विभाषीय वेबपोर्टल कृषि नेट विकसित किया गया है। यह हिन्दी भाषा में खेती एवं खेती से संबंधित सभी तकनीकी व्यावासायिक एवं विभागीय शासकीय योजनाओं की जानकारी किसानों को बिना किसी रोक-टोक के हर समय उपलब्ध करवाने वाली देश में अपनी तरह की प्रथम शासकीय वेबसाइट है, जो प्रदेश में किसानों की स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विकसित की गई है।

इस परियोजना में राज्य से लेकर विकासखण्ड स्तर तक के कार्यालयों को इंटरनेट के माध्यम से आपस में जोड़ा गया है। सभी 313 विकासखण्डों में किसान ज्ञान सूचना केन्द्र की स्थापना की गई है, जहाँ से किसान इंटरनेट के माध्यम से कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए उन्नत कृषि प्रणालियों की जानकारी, कृषि आदान जैसे बीज, उर्वरक, पौध-संरक्षण औषधियाँ व कृषि यंत्र एवं शासकीय योजनाओं व कार्यक्रमों, मौसम, मण्डी भाव आदि खेती से संबंधित जानकारी बिना किसी शुल्क के प्राप्त कर सकेंगे।

वर्ष 2009-10 से 'कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी' योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू की गई है। इस योजना में कृषि नेट के संबंध में कृषकों एवं विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, किसान ज्ञान केन्द्रों का रख-रखाव, इंटरनेट कनेक्टिविटी, कम्प्यूटर सहायक सामग्री, कार्ट्रेज हार्डवेयर, बैटरी आदि वेबसाइट होस्टिंग, कन्सलटेंसी आदि घटक क्रियान्वित किये जायेंगे। वर्ष 2010-11 में इस कार्य पर 201 लाख 81 हजार रुपये की राशि व्यय की गई।

भारत सरकार के सहयोग से कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना मध्यप्रदेश में वर्ष 2011 से प्रारंभ की गई है। इस योजना के लिए चयनित कुल 7 राज्यों में मध्यप्रदेश का चयन प्रदेश में पूर्व ई-प्रोजेक्शन के क्रियान्वयन, आधारभूत संरचना सेवा केन्द्र, स्वान स्टेट डाटा सेंटर आदि की उपलब्धता के आधार पर किया गया है। इस योजना का उद्देश्य आधुनिक सूचना संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि सेवाओं का विस्तार, कृषि विस्तार की पहुँच एवं प्रभाव को बढ़ाना है। इस वित्तीय वर्ष में राशि 50 लाख के प्रावधान के विरुद्ध 31 अक्टूबर, 2011 तक 22 लाख 7 हजार रुपये व्यय किये गए हैं।

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