खेती को बनान है लाभ का व्यवसाय
Bhopal:Sunday, December 4, 2011
मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्प के अनुरूप जैविक कृषि नीति तैयार की है। जैविक कृषि नीति के अंतर्गत संसाधन प्रबंधन, तकनीकी विकास एवं व्यापक प्रचार-प्रसार, उत्पादन वृद्धि के लिये प्रभावी अनुसंधान द्वारा देश के प्रगतिशील
राज्यों के समकक्ष उत्तरोत्तर बढ़ती वृद्धि दर प्राप्त करना जैसे विभिन्न मुद्दों को ध्यान में रखा गया है। जैविक कृषि नीति प्राथमिक उत्पादकों जैसे कृषक एवं उपभोक्ताओं को जैविक उत्पादनों की सम्पूर्ण श्रंखला को विकसित करने के लिये उपयुक्त वातावरण निर्मित करने के लिये संकल्पित है। यह नीति उत्पादन से आहार तक के सिद्धांत को समाहित कर सभी के लिये स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन की प्रचुर उपलब्धता आश्वस्त करती है।मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्प के अनुरूप जैविक कृषि नीति तैयार की है। जैविक कृषि नीति के अंतर्गत संसाधन प्रबंधन, तकनीकी विकास एवं व्यापक प्रचार-प्रसार, उत्पादन वृद्धि के लिये प्रभावी अनुसंधान द्वारा देश के प्रगतिशील
जैविक कृषि को वर्तमान की अनेक ज्वलंत समस्याओं जैसे भू-मण्डलीय जलवायु परिवर्तन की विभीषिका, उत्पादन मूल्य की तीव्र वृद्धि एवं रासायनिक इनपुट की उत्तरोत्तर बढ़ती कीमतें आदि जैसे समस्याओं जो लघु एवं सीमांत कृषकों के समक्ष है। उसके लिये एक उपयुक्त अवसर प्रस्तुत करती है। यह नीति प्राथमिक उत्पादन कार्य-कलापों में व्याप्त ग्रामीण समुदाय को दीर्घावधि अवसर प्रदान करने एवं उद्यमों को भी कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन का भागीदार बनाती है। जैविक कृषि व्यावहारिक दृष्टिकोण तथा उपयुक्त युक्तियुक्त रणनीति के माध्यम से जैविक उत्पादों को बाजार में बिकने वाले कम मूल्य वाले फार्म उत्पादों से उच्च मूल्य पर बिकने वाले उत्पाद में परिवर्तित करने के लिए एक समग्र प्रयास है।
मध्यप्रदेश जैविक कृषि के क्षेत्र में एक विकसित एवं अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित हो, जहाँ कृषक समुदाय स्थायी जीविकोपार्जन, प्रदूषण मुक्त खाद्य सामग्री, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, सतही जल एवं भू-गर्भ जल की क्षतिपूर्ति कर ग्रामों में ही नये रोजगार के अवसर उत्पन्न करने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
जलवायु परिवर्तन की विभीषिका एवं वैश्वीकरण का कृषि उत्पादों पर पड़ते प्रभाव को कम करने तथा इसके लिए उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए नीति का क्रियान्वयन किया जायेगा। ऐसा करते समय सुदूर पिछड़े क्षेत्रों में कृषक समुदायों के हितों को दृष्टिगत रखा जायेगा। कृषि पारिस्थितिक तंत्र प्रबंधन के द्वारा अक्षय पर्यावरण को प्राप्त कर प्रमुख योजनाएँ जैसे मृदा जैविक कार्बन भण्डारण में वृद्धि एवं उसका अनुमापन, मृदा स्वास्थ्य को समुन्नत करना, भू-जल प्रदूषण विशेषकर हानिकारक रसायनों को कम करना तथा जैव-विविधता में वृद्धि करना है।
जैविक कृषि नीति का उद्देश्य वर्तमान कृषि प्रणाली में कृषि निवेश पर आय में वृद्धि करने के लिए एक ओर कृषि लागत न्यायोचित करना तथा दूसरी ओर बाजार आधारित प्रक्रियाओं को अपनाकर नकद आय में वृद्धि कर खेती को लाभ का व्यवसाय बनाना है। क्षमतावान, व्यावसायिक मानव संसाधन तथा संस्थाओं के विकास द्वारा प्रमुखत: लघु एवं सीमांत कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर परिवारों के लिए तकनीकी एवं बाजार सुरक्षा को आवश्यकतानुसार विकास कर उचित वातावरण निर्मित करना, उपयुक्त अधोसंरचना को तैयार करना, जैविक उत्पादन प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक गुणवत्ता आदानों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना, जैविक अपशिष्टों का समुचित उपयोग कर वैकल्पिक ऊर्जा के स्त्रोत विकसित करना है।
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