हर साल औसतन एक लाख हेक्टेयर बढ़ा रक़बा
Bhopal:Saturday, December 17, 2011
मध्यप्रदेश ने सिंचाई क्षमता हासिल करने के लिए अपनी सतत कोशिशों के चलते एक नया कीर्तिमान कायम किया है। इसकी बानगी यह है कि पिछले आठ सालों के दौरान हर साल औसतन एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता पैदा की गई है। इस कवायद की कामयाबी इस तथ्य पर आधारित है कि इसके पूर्व आजादी के बाद के 50 सालों में प्रदेश को कुल 21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता हासिल थी। अब कुल सिंचाई क्षमता करीब 29 लाख हेक्टेयर तक जा पहुँची है।
कृषि उत्पादन में वृद्धि और इसके लिये किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधा जुटाने के लिये मौजूदा राज्य सरकार ने अपनी कोशिशों का दायरा लगातार बढ़ाया है। इसे यदि दशक के हिसाब से आँकें तो साल 1993 से 2003 के दौरान जहाँ सिर्फ 2.3 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता निर्मित की गई थी, वहीं पिछले सिर्फ 8 सालों में कुल 8 लाख हेक्टेयर में यह काम अंजाम देना कहीं से कमतर नहीं है।मध्यप्रदेश ने सिंचाई क्षमता हासिल करने के लिए अपनी सतत कोशिशों के चलते एक नया कीर्तिमान कायम किया है। इसकी बानगी यह है कि पिछले आठ सालों के दौरान हर साल औसतन एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता पैदा की गई है। इस कवायद की कामयाबी इस तथ्य पर आधारित है कि इसके पूर्व आजादी के बाद के 50 सालों में प्रदेश को कुल 21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता हासिल थी। अब कुल सिंचाई क्षमता करीब 29 लाख हेक्टेयर तक जा पहुँची है।
वास्तविक सिंचाई में भी तेज रफ्तार
सिंचाई क्षमता के निर्माण और उसके तहत जुटाई गई वास्तविक सिंचाई सुविधा के अंतर को पाटने में भी प्रदेश ने पिछले 8 सालों में तेज रफ्तार दिखाई है। इसकी बानगी यह है कि साल 2002-03 तक हासिल कुल 21.4 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता के विरुद्ध वास्तविक सिंचाई का दायरा 7.7 लाख हेक्टेयर यानी 35 प्रतिशत तक सिमटा था। मौजूदा स्थिति में कुल अर्जित 29 लाख हेक्टेयर क्षमता के विरुद्ध करीब 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में यानी 50 प्रतिशत वास्तविक सिंचाई सुनिश्चित की जा रही है।
यही नहीं, एक और तथ्य यह है कि साल 1993 से 2003 के दशक में सिंचित रकबा 10.59 लाख से घटकर 7.69 लाख हेक्टेयर हो गया था। बीते 8 सालों में सिंचाई के रकबे में कोई कमी तो नहीं आई, अलबत्ता राज्य सरकार इस साल 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता बढ़ाने जा रही है।
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