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Thursday, December 29, 2011

कृषि केबिनेट गठित होने के साथ ही जैविक खेती नीति लागू

कृषि क्षेत्र के लिये उल्लेखनीय रहा वर्ष 2011
Bhopal:Thursday, December 29, 2011
वर्ष 2011 प्रदेश में कृषि को लाभदायी बनाने की राज्य सरकार की प्राथमिकता की पूर्ति के दृष्टिकोण से उल्लेखित रहा। इस वर्ष प्रदेश की कृषि विकास दर 9 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई। इस साल राज्य शासन द्वारा कृषि क्षेत्र के विकास के लिए देश में अपनी तरह की अनोखी पहल कर कृषि संबंधी विषयों पर समग्र रूप से योजना तैयार करने और इससे जुड़े जरूरी फैसले करने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में कृषि केबिनेट का गठन किया गया।
कृषि केबिनेट द्वारा कृषि क्षेत्र के विकास, किसानों की आर्थिक समृद्धि और कृषि संबंधी मुद्दों के संबंध में सभी सम्बद्ध विभागों के बीच बेहतर समन्वय से त्वरित निर्णय लिए जा रहे हैं।

मध्यप्रदेश को देश में सर्वाधिक प्रमाणित जैविक कृषि क्षेत्र होने का गौरव प्राप्त है। इसके लिए किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया के अथक प्रयासों से प्रदेश में ‘‘मध्यप्रदेश की जैविक कृषि नीति 2011’’ की गई। राज्य की कृषि, अनेक कृषि एवं गैर कृषि गतिविधियों का वृहद् मिश्रण है, जो उस पर निर्भर विभिन्न संस्थाओं एवं व्यक्तियों की जीविका का आधार है। जैविक कृषि नीति राज्य में कृषि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसी साल प्रदेश की जैविक प्रमाणीकरण संस्था को प्रमाणीकरण के लिये भारत सरकार की संस्था ‘‘ एपीडा ’’ से मान्यता मिली।

प्रदेश में कृषकों को एक प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाना भी इस साल प्रदेश की कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही। आज प्रदेश की कृषि ऋण ब्याज दर देश में न्यूनतम ब्याज दर है।

इसी साल प्रदेश के जबलपुर में कृषि क्षेत्र की विश्वविख्यात सीमिट संस्था मेक्सिको के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय गेहूँ एवं मक्का अनुसंधान केन्द्र की स्थापना प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. बोरलॉग के नाम से किये जाने का फैसला हुआ। स्थापना के बाद यह केन्द्र दक्षिण-पूर्व एशिया का इस क्षेत्र का सबसे बड़ा अनुसंधान केन्द्र होगा।

बलग्राम ग्राम योजना के तहत प्रदेश के सभी 313 विकासखण्डों में से 1000 बलराम ग्रामों का चयन किया गया है। यहाँ उन्नत कृषि के लिए प्रदर्शन तथा प्रशिक्षणों का आयोजन कर तकनीकी हस्तांतरण के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।

गेहूँ एवं धान की खरीदी पर बोनस-भारत सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य के अतिरिक्त प्रदेश सरकार द्वारा गेहूँ पर 100 रुपये और धान खरीदी पर 50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिया गया। प्रदेश और संभवतः देश के इतिहास में पहली बार गेहूँ उपार्जन और अन्य योजनाओं की अनुदान राशि किसानों के बैंक खातों में सीधा जमा करने की व्यवस्था लागू कर करोड़ों की राशि उनके खातों में जमा कराई गई है।

बैल-चलित एवं हस्त-चलित कृषि यंत्रों के प्रोत्साहन के लिए अनुसूचित-जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कृषकों को बैल-चलित एवं हस्त-चलित कृषि यंत्रों के क्रय पर 50 प्रतिशत टाप-अप अनुदान भारत सरकार द्वारा दिये जा रहे 25 प्रतिशत अनुदान के अतिरिक्त उपलब्ध करवाने का निर्णय भी इसी साल हुआ। इससे प्रदेश में इस वर्ग के कृषकों को यह यंत्र 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध होंगे तथा पशुधन आधारित कृषि को बढ़ावा मिलेगा। स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सिंचाई प्रणालियों पर टाप-अप अनुदान के तहत सिंचाई जल के बेहतर उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सिंचाई प्रणालियों को 30 प्रतिशत टॉप-अप अनुदान देने का निर्णय लिया गया।

प्रदेश में इसी साल कस्टम हायरिंग सुविधा के लिए किराये पर ट्रेक्टर तथा अन्य कृषि यंत्र उपलब्ध कराये जाने से सुविधाजनक एवं अल्प व्यय पर कृषि कार्य किया जाना संभव हुआ है। वर्तमान में 850 कस्टम हायरिंग केन्द्र काम कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा अनुसार मंडी प्रांगण में किसानों को 10 रुपये में भोजन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से प्रदेश की लगभग सभी मंडी समिति के प्रांगण में रियायती दर पर ‘‘भोजन व्यवस्था योजना’’ लागू की गई। किसानों की सुविधा के लिए मंडी समितियों में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएँ भी इसी साल स्थापित की गई। मंडी बोर्ड के संचालक मण्डल में तुलावटी एवं हम्मालों के प्रतिनिधि को सम्मिलित करने हेतु विधेयक पारित किया गया।

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