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Thursday, May 31, 2012

मध्यप्रदेश में गेहूँ की रिकार्ड खरीदी

 आंकड़ा 81 लाख मी. टन के ऊपर
Bhopal:Thursday, May 31, 2012
मध्यप्रदेश में इस साल किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूँ की रिकार्ड खरीदी हुई है। राज्य सरकार की बेहतर उपार्जन नीति और पर्याप्त व्यवस्थाओं के चलते अधिकाधिक पंजीकृत किसानों ने अपना गेहूँ बेचा है। गेहूँ खरीदी के अंतिम दिन अपरान्ह तक कुल 81 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीदी की गई।
गेहूँ खरीदी का क्रम शाम तक चलेगा। राज्य शासन ने सभी संभागायुक्तों और जिला कलेक्टरों को शाम 5 बजे तक गेहूँ उपार्जन केन्द्र पहुँचने वाले सभी पंजीकृत किसानों से पात्रतानुसार गेहूँ खरीदने के निर्देश दिये हैं। केन्द्रों में किसानों की लम्बी कतार लगने पर उन्हें टोकन देने को कहा गया है। उनसे गेहूँ खरीदी का सिलसिला जारी रहेगा।

गेहूँ उपार्जन केन्द्रों के जरिए जो गेहूँ क्रय किया गया है, उसमें से 68 लाख 10 हजार मीट्रिक टन गेहूँ का सुरक्षित भण्डारण भी कर लिया गया है। मध्यप्रदेश में पंजीकृत किसानों में से 9 लाख 63 हजार 124 से कुल 11 हजार 207 करोड़ रुपये मूल्य का गेहूँ खरीदा जा चुका है।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पारस जैन ने अपने गृह नगर उज्जैन से अनेक जिला कलेक्टरों से चर्चा कर गेहूँ की खरीदी की जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिये कि जिन जिलों में बगैर बारदानों के पैकिंग कर ली गई थी, वहाँ प्राथमिकता के आधार पर बारदानों में गेहूँ की बैगिंग (भराव) सुनिश्चित कर लिया जाए। पूर्व मानसून के पहले भण्डारण आदि की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।

वहीं दूसरी ओर अपर मुख्य सचिव, खाद्य श्री अंटोनी डिसा ने समस्त संभागायुक्तों एवं जिला कलेक्टरों को अंतिम दिन निर्धारित समय के पूर्व उपार्जन केन्द्रों में पहुँचने वाले पात्र सभी किसानों का गेहूँ खरीदने के निर्देश दिये हैं। ऐसे पात्र किसानों में वे सभी शामिल रहेंगे, जो पंजीकृत हों और जिनकी उपज FAQ गुणवत्ता की है तथा जो खरीदी केन्द्र पर अपनी उपज सहित उपस्थित हुए हों।

मध्यप्रदेश में इस साल रबी विपणन मौसम में समर्थन मूल्य पर 15 मार्च से गेहूँ खरीदी का कार्य शुरू किया था। राज्य शासन ने समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन की अंतिम तिथि पूर्व में 20 मई निर्धारित की थी, जिसको बाद में संशोधन कर 31 मई किया गया था।

मध्यप्रदेश में पहली बार गेहूँ खरीदी के लिए ई-उपार्जन प्रक्रिया अपनाई गई। पंजीकृत किसानों को उनके मोबाइल फोन पर बाकायदा अपनी उपज के साथ उपार्जन केन्द्र पहुँचने का आमंत्रण एसएमएस के जरिए दिया गया। प्रदेश के किसी भी खरीदी केन्द्र पर पहुँचने वाले किसान को साथ में अपना मोबाइल फोन लाना जरूरी रखा गया, जो उसके पंजीकृत होने का सबूत भी था।

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