एक हजार हेक्टेयर का लक्ष्य
Bhopal:Monday, May 28, 2012खून बढ़ाने के साथ ही सेहत के लिए अनगिनत खूबियों वाले अनार की व्यवसायिक खेती के लिए अब मध्यप्रदेश भी तैयार हो रहा है। अनार का मूल स्थान ईरान माना जाता है। भारत के महाराष्ट्र में इसकी व्यवसायिक खेती बहुत ज्यादा होती है। गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भी अनार की व्यवसायिक खेती की जाती है।मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में कुछ सालों से शुरू की गयी अनार की खेती किसानों को बहुत फायदेमंद साबित हुई है। इसका उत्पादन सेमी एरिड कंडीशन, मतलब ऐसी स्थिति में अच्छा होता है जहाँ सूखी-गरम और सर्द हवाओं के साथ पानी की उपलब्धता हो। प्रदेश के कुछ जिलों में ऐसी स्थिति है, जहाँ अनार की व्यवसायिक खेती के रूप में किसानों को नया विकल्प दिया जा सकता है।
अगले महीने देश के अनेक विशेषज्ञ मध्य प्रदेश में अनार की व्यवसायिक खेती के विभिन्न पहलुओं पर भोपाल में मंथन करेंगे।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा नई दिल्ली, भारतीय उद्यानिकी शोध संस्थान हिसारगट्टा बैंगलुरू, शोलापुर कृषि संस्थान, महाराष्ट्र अनाज उत्पादक संघ के अलावा मध्यप्रदेश के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के विशेषज्ञ इसमें शिरकत करेंगे।
चर्चा को प्रमुखता से प्रदेश की जलवायु की भिन्नता पर फोकस किया जाएगा और उसी के निष्कर्षों पर अनार के लिए मुफीद जिलों का चयन होगा। अनार की व्यवसायिक किस्मों तथा उनके उत्पादन एवं वितरण के संबंध में भी जानकारी प्राप्त की जाएगी।
विदिशा, जबलपुर, सागर, पन्ना, छतरपुर और मण्डला जिले से पाँच-पाँच किसान भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। आने वाले तीन वर्ष में करीब 1000 हेक्टेयर में अनार की खेती का लक्ष्य रखा जाएगा।
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