चारा संरक्षण कार्यक्रम
Bhopal:Friday, September 9, 2011एम.पी. स्टेट को-आपरेटिव डेयरी फेडरेशन द्वारा दुग्ध सहकारी समितियों के दूध उत्पादक सदस्यों के लिये गेहूँ के भूसे का यूरिया उपचार कर आधुनिक पद्धति से चारा संरक्षण का लाभ अनेक किसानों ने उठाया है। चालू माली साल की पहली तिमाही में 1154 दुग्ध समितियों के 3614 दूध उत्पादक कृषकों द्वारा अपने 4612 क्विंटल गेहूँ के भूसे को यूरिया से उपचारित कराया गया।पशुओं को खिलाए जाने हेतु चारे की अधिकांश मात्रा गेहूँ के भूसे के रूप में उपलब्ध होती है। क्योंकि हरे चारे की उपलब्धता हर समय एवं हर स्थान पर बहुत कम होती है। इस प्रकार चारे के तौर पर उपलब्ध भूसे में कड़ा रेशेदार पदार्थ होता है, जिसमें प्रोटीन एवं खाद की कमी होती है। यूरिया से उपचार करने पर भूसे की पौष्टिकता बढ़ती है एवं वह अधिक पाचनशील एवं स्वादिष्ट हो जाता है। उपचारित भूसे को पशु चाव से खाते हैं।
चारा संरक्षण कार्यक्रम के प्रारंभ में दुग्ध संघ के अधिकारियों द्वारा भूसा उपचार करने की तकनीक से कृषकों को अवगत कराया गया था। इसके बाद दूध उत्पादकों द्वारा विधि को स्वयं ही अपनाना प्रारंभ कर दिया गया है। उपचारित भूसे के उपयोग से दूध उत्पादकों को कम लागत में पौष्टिक चारा प्राप्त हो रहा है।
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