किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की योजनाओं के अंतर्गत खेती के काम आने वाले विभिन्न कृषि यंत्र तथा सिंचाई उपकरण अनुदान पर क्रय करने के लिये अब किसानों को किसी खास विक्रेता या एजेंसी का मोहताज नहीं होना पड़ेगा।
राज्य शासन द्वारा जिन कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है उनमें ट्रैक्टर, पावर टिलर ट्रेक्टर, राइस ट्रांसप्लांटर, रोटावेटर, स्ट्रा रीपर, जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर्स ड्रिल, इको फ्लो ट्रेडल पम्प, स्प्रिंकलर इरीगेशन सिस्टम, डीजल पम्प सेट, यूपीवीसी पाइप व साकेट, थ्रेसर मल्टी क्राप व थ्रेसर पैडी, बैल चलित सीड कम फर्टीलाइजर्स ड्रिल-तीन या पांच फरो, हस्त चलित सीड ट्रीटिंग ड्रम, सब मर्सीबल पम्प सेट 4 व 6 इंच, ओपन वेल पम्प सेट, मोनो ब्लाक पम्प सेट आदि शामिल है।
शासन द्वारा गठित राज्यस्तरीय पंजीयन समिति द्वारा उपयुक्त पाये गये यंत्र व उपकरण निर्माताओं में से किसान अब जिस निर्माता या विक्रेता से अपनी आवश्यकता का यंत्र खरीदना चाहे, उसे अनुदान की उतनी ही पात्रता होगी, भले ही उसने किसी भी प्रतियोगी दर पर उपकरण क्रय किया हो। कृषि यंत्रों के निर्माता अपने डीलर नेटवर्क के माध्यम से अथवा एमपी एग्रो या विपणन संघ के माध्यम से सामग्री का प्रदाय कर सकते हैं।
विक्रेता द्वारा निर्धारित, सभी कर सहित कीमतों पर भी किसान मोल भाव कर संतुष्ट होकर खरीदारी कर सकेंगे और विभाग से अनुदान भी प्राप्त कर सकेंगे। इसीलिये पंजीयन समिति द्वारा किसी भी सामग्री के मूल्य का अनुमोदन नहीं किया गया है। दूसरी ओर निर्माताओं के लिये यह बाध्यता रहेगी कि वे कृषि यंत्रों के लिये निर्धारित मानक स्तर के यंत्र ही तैयार करें।
फिलहाल विक्रेताओं का पंजीयन 31 दिसम्बर 2012 तक के लिये किया गया है, किन्तु जिन यंत्रों के लिये आईएसआई प्रमाण पत्र लिया गया है उनकी वैधता अवधि इस प्रमाण पत्र की वैधता अवधि पर भी निर्भर होगी। यानि 2012 से पूर्व भी आईएसआई प्रमाण पत्र की वैधता खत्म होने पर राज्य समिति की मान्यता खत्म हो सकती है। कृषि विभाग की जिन योजनाओं में अनुदान दिये जाते हैं उनमें हितग्राही चयन और अनुदान वितरण आदि के लिये शासन द्वारा समय-समय पर जारी निर्देश लागू होंगे।
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