किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया की अध्यक्षता में उज्जैन संभाग के डॉलर चना उत्पादकों, मण्डी अध्यक्षों व पदाधिकारियों के साथ मण्डी बोर्ड मुख्यालय भोपाल में डॉलर चने के उत्पादन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं, मानकीकरण तथा इसमें लगने वाले रोगों के उपचार आदि के संबंध में बैठक सम्पन्न हुई।
कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने कहा कि डॉलर चना अन्य नामों से पूर्व से ही कृषकों द्वारा उगाया जाता रहा है। यही किस्में बदले रूप में तुर्की से लायी गई बताई जाती है। डॉलर चने के क्षेत्र में राष्ट्रीय दलहन अनुसंधान परिषद, कानपुर के सहयोग से अनुसंधान किया जायेगा, जिसमें इसकी मानकीकृत, उन्नत और रोग प्रतिरोधी किस्में विकसित की जायेंगी। प्रमुख सचिव कृषि एवं सहकारिता श्री एम.एम. उपाध्याय द्वारा बताया गया कि विदेशों में यह चना तीन गुने से अधिक दामों पर विक्रय किया जाता है। इसका लाभ कृषकों को मिल सके, इसके लिये मण्डियों एवं प्रमुख उत्पादक ग्रामों में ग्रेडर की व्यवस्था की जायेगी।बैठक में कृषकों द्वारा बताया गया कि डॉलर चने के सामान्य नाम से 10 से अधिक प्रजातियां प्रचलित हैं, जिनमें से अधिकांश अधिसूचित नहीं हैं, जिनके कारण इनके रोगों के उपचार तथा असामान्य परिस्थितियों में बीमा लाभ आदि मिलने में कठिनाई उत्पन्न होती है। यह किस्म मौसम के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिससे नमी की अधिकता की स्थिति में इसे भारी नुकसान पहुंचता है। विपणन एवं निर्यात के मामले में बिचौलियों की अधिकता और उपज के मानकीकृत न होने के कारण कृषकों को वास्तविक मूल्य नहीं मिल पाता है।
बैठक में डॉलर चने के उत्पादन में बढ़ोतरी तथा कृषकों को लाभप्रद मूल्य दिलाने के लिये आवश्यक सुझावों पर भी चर्चा की गई।
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