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Sunday, February 21, 2010

कृषि यंत्रों को गाँव-गाँव तक पहुँचाने की आवश्यकता - किसान कल्याण मंत्री

किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने कहा है कि मध्यप्रदेश में कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिये हरसंभव प्रयास किये जायेंगे। कृषि मंत्री डॉ. कुसमरिया ने कहा कि प्रदेश में कृषि उत्पादन प्रति हेक्टेयर बढ़ सके इसके लिये जरूरी है कि किसानों तक उचित दाम पर पूरी गुणवत्ता के कृषि यंत्र समय पर पहुँचे। 
किसान कल्याण मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया भोपाल के नबीबाग स्थित केन्द्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान में आज 'कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने में कृषि यंत्रीकरण का योगदान' विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कृषि इंजीनियरिंग संस्थान में आयोजित कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ भी किया।
इस मौके पर उप महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारत सरकार डॉ. एम.एम. पांडे, मध्यप्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एम.के. राय एवं प्रमुख सचिव किसान कल्याण श्री इन्द्रनीलशंकर दाणी भी उपस्थित थे।
छोटे किसानों की मदद के लिये बैलों पर सब्सिडी दिये जाने का विचार
कृषि यंत्रों की पहुँच गाँव-गाँव तक पहुँचाये जाने की आवश्यकता
मध्यप्रदेश में फार्म पावर दो किलोवाट प्रति हेक्टेयर किया जायेगा

किसान कल्याण मंत्री डॉ. कुसमरिया ने कहा कि वर्तमान सिस्टम में कृषि यंत्रों को किसानों तक पहुँचाने में जो व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं उन्हें शीघ्र दूर कर दिया जायेगा। डॉ. कुसमरिया ने कहा कि मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में छोटे किसान हैं। 
यह किसान बैल आधारित कृषि व्यवस्था पर निर्भर हैं। राज्य सरकार इन किसानों के हित में निर्णय लेते हुये बैलों की खरीदी पर भी उचित सब्सिडी दिये जाने पर विचार कर रही है। किसान कल्याण मंत्री डॉ. कुसमरिया ने कृषि यंत्रों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने एवं गाँव स्तर तक यंत्र संचालन का प्रशिक्षण दिये जाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि कृषि यंत्रों की टेस्टिंग कार्य के लिये भोपाल के कृषि इंजीनियरिंग संस्थान एवं प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों को अधिकृत किया गया है।

उप महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डॉ. एम.एम. पांडे ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि यंत्रों पर पर्याप्त सब्सिडी दी जा रही है, जरूरत इस बात की है कि सब्सिडी का पूरा लाभ किसानों तक पहुँचे। उन्होंने कहा कि कृषि राज्य सरकार का मामला है इसलिये राज्य सरकारों को कृषि यंत्रों की पहुँच गाँव-गाँव तक पहुँचाने के लिये आवश्यक पहल करनी होगी। कृषि यंत्रों के बेहतर उपयोग से कृषि उत्पादन आयुक्त 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। 
डॉ. पांडे ने मध्यप्रदेश में कृषि मजदूरों को राज्य सरकार द्वारा दुर्घटना के दौरान मुआवजा देने की योजना की प्रशंसा की। कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एम.के. राय ने कहा कि प्रदेश में फार्म पावर की उपलब्धता 0.80 किलोवाट प्रति हेक्टेयर है उसे राष्ट्रीय स्तर के 1.35 किलोवाट प्रति हेक्टेयर तक पहुँचाने और वर्ष 2020 तक दो किलोवाट प्रति हेक्टेयर तक लक्ष्य को हासिल किया जायेगा।

कार्यक्रम को कृषि संचालक डॉ. डी.एन. शर्मा, केन्द्रीय अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल के निदेशक पीतम चन्द्र एवं कार्यशाला में भाग लेने आये प्रगतिशील कृषकों एवं कृषि यंत्रों के निर्माताओं ने भी संबोधित किया। किसानों ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि मध्यप्रदेश में कृषि यंत्रों पर लगे पांच प्रतिशत के वैट टैक्स को हटाया जाना चाहिए। इससे किसानों को उचित दाम पर कृषि यंत्र उपलब्ध हो सकेंगे। मध्यप्रदेश कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय के संयुक्त संचालक श्री राजेश चौधरी ने मध्यप्रदेश में कृषि यंत्रों के उपयोग, उपलब्धता एवं गुणवत्ता के बारे में प्रजेंटेशन दिया। 
श्री चौधरी ने बताया कि मध्यप्रदेश में कुल कृषक संख्या 73.60 लाख है इनमें सीमान्त कृषक 28.38 लाख एवं लघु कृषक 19.51 लाख है। परिसर में आयोजित प्रदर्शनी में कृषि यंत्रों रिवर्सिबल प्लाउ, रोटावेटर, राइस ट्रान्सप्लांटर, सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, रेज्ड बेड प्लान्टर, बैल चलित सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, शुगरकेन कटर प्लान्टर आदि का प्रदर्शन किया गया। किसानों को इन यंत्रों को चलाकर बताया गया।

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