कमिश्नर-कलेक्टर काफ्रेंस में की राजस्व विभाग की समीक्षा
मुख्यमंत्री
श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राजस्व महत्वपूर्ण विभाग है।
कमिश्नर-कलेक्टर कान्फ्रेंस में प्राप्त सुझावों पर दो हिस्से में कार्रवाई
होगी। तात्कालिक महत्व के विषयों पर तत्काल प्रभाव से और नीतिगत विषयों पर
विचार कर दीर्घकालिक फैसले किये जायेंगे। श्री चौहान आज यहाँ
कमिश्नर-कलेक्टर कान्फ्रेंस में राजस्व विभाग की समीक्षा कर रहे थे।
विभागीय
प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि राजस्व प्रकरणों के शीघ्र निराकरण, अर्थ
दण्ड, अपीलीय प्रावधान आदि विषयों को सरल तथा उपयोगी बनाने के लिये
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता में संशोधन किया गया है। बताया गया कि राजस्व
प्रकरणों की जटिल और लम्बी प्रक्रिया के चलते दादा-परदादा के जमाने के
मामले चलते रहते थे। त्वरित निराकरण तथा अनावश्यक मुकदमेबाजी को रोकने के
लिहाज से भू-राजस्व संहिता के कुछ प्रावधानों को बदला गया है। संशोधन में
अर्थ दण्ड को व्यवहारिक बनाया गया है। अब मुकदमे को लम्बा खींचने की दृष्टि
से बार-बार तिथि बदलने की अनुमति नहीं दी जायेगी। इसे सीमित कर केवल तीन
बार अनुमति देने का प्रावधान किया गया है। नये प्रावधान के अनुसार अब कोई
भी अपीलीय अधिकारी अपने निर्णय का पुनरीक्षण नहीं कर पायेगा। यह अधिकार
केवल राजस्व मण्डल को होगा।
बैठक
में निर्देश दिये गये कि किसी परियोजना के लिये प्रस्तावित भूमि के
हस्तांतरण अथवा भू-अर्जन में अनावश्यक विलम्ब नहीं हो। राजस्व न्यायालयों
का कम्प्यूटरीकरण कर आनलाइन किया जाय। राजस्व रिकार्ड को तुरंत अद्यतन किये
जाने की सतत प्रक्रिया अपनायी जाय। शत प्रतिशत शासकीय परिसम्पत्तियाँ
अभिलेख में दर्ज की जाये। फसल कटाई प्रयोग सही हो तथा फसल संबंधी आँकड़े समय
पर दर्ज किये जाये। भू-अर्जन प्रकरणों में मुआवजा वितरण में विलम्ब नहीं
हो। पुनर्वास पर विशेष ध्यान दिया जाय। भू-अर्जन में किसानों के हितों को
विशेष रूप से देखा जाय। आमजन को हेरा-फेरी और अनपेक्षित आचरण से बचाने के
लिये पटवारियों का बस्ता जमा कर केवल कम्प्यूटीकृत नक्शा और बीवन देने की
प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये गये।
बैठक में जानकारी दी गयी कि पूरे प्रदेश की शासकीय भूमि का ब्यौरा राजस्व विभाग की वेबसाइट http://www.landrecords.mp.gov.in/ में
उपलब्ध करा दिया गया है। इसे कोई भी देखकर उद्योग सहित अन्य सार्वजनिक
प्रयोजनों के लिये मांग सकता है। इसकी प्रदेश में पारदर्शी प्रक्रिया है।
बैठक
में दी गयी जानकारी के अनुसार प्रदेश के 12 जिलों को छोड़कर शेष सभी जिलों
में पटवारी रिकार्ड कम्प्यूटरीकृत हो गये हैं। भूमि के डिजिटलाइजेशन का
कार्य भी लगभग पूर्ण होने की जानकारी दी गयी। इस कार्य में शिवपुरी, दमोह
तथा पन्ना जिलों को तेजी से कार्य करने के निर्देश दिये गये। राजस्व
समीक्षा में बताया गया कि प्रदेश में वन तथा राजस्व भूमि के सीमांकन संबंधी
प्रकरणों का पाँच जिलों को छोड़ शेष सभी जिलों में निराकरण हो गया है।
बैठक
में सुझाव दिये गये कि राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिये विधि अधिकारी
नियुक्त किये जाये। कलेक्टरों को विभिन्न परियोजनाओं को जिस तरह शासकीय
भूमि देने का अधिकार है, उसी तरह उन्हें परियोजनाओं के लिये भूमि लेने के
अधिकार भी दिये जायें। गवाह का अर्थ दण्ड एक हजार तक बढ़ाने की तरह डाइट मनी
भी बढ़ायी जाय। शासकीय भूमि के विभागीय हस्तांतरण में विलम्ब रोका जाय।
मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में केवल गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने
वाले बुजुर्गों का चयन किया जाय। जिलों में राजस्व प्रकरणों के निराकरण के
लिये पृथक से अधिकारी रहे और अवैध खनिज उत्खनन-परिवहन में वाहन राजसात
करने के प्रावधान किये जाये। सभी शासकीय भूमि में मुनारे लगे और शासकीय
विभागों को दी जाने वाली शासकीय भूमि का भी मूल्य लिया जाय।
उद्योगों
के लिये चिन्हित भूमि 15 सितम्बर तक अनिवार्य रूप से उद्योग विभाग को
हस्तांरित की जाय। बैठक में इस विषय पर चर्चा के दौरान बताया गया कि 36
जिलों में 16 हजार हेक्टर भूमि उद्योगों के लिये चिन्हित है। मुख्यमंत्री
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश विकास के लिये औद्योगिक निवेश आवश्यक है।
निवेशकों को भटकाव से बचाया जाय। जो भूमि अथवा अन्य सुविधाएँ दी जा सकती
हैं उन्हें देने में कलेक्टर प्रो-एक्टिव होकर कार्य करें। प्रदेश में
औद्योगिक विकास का वातावरण बनायें।
तीर्थ-दर्शन की सर्वत्र सराहना
बैठक
में बताया गया कि मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना आमजन की भावना से जुड़ गयी
है। योजना की सर्वत्र सराहना हो रही है। आगामी 22 यात्राओं की योजना बनाकर
ट्रेनें बुक कर ली गयी हैं। जिन लोगों को आवेदन के बाद तीर्थ में जाने का
मौका नहीं मिला उन्हें बगैर आवेदन-पत्र दिये अगली बार यात्रा में जाने का
मौका मिलेगा।
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