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Tuesday, June 12, 2012

उर्वरकों के मूल्यों में की गयी अप्रत्याशित वृद्धि केन्द्र वापस ले

 रबी में उर्वरकों के अग्रिम उठाव पर किसानों को ब्याज में मिलेगी छूट
Bhopal:Monday, June 11, 2012
  उर्वरकों के मूल्यों में की गयी अप्रत्याशित वृद्धि केन्द्र शासन द्वारा वापिस ली जाये। इस वृद्धि से किसानों पर कुठाराघात हुआ है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज यहाँ सम्पन्न कृषि केबिनेट की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया। इस वृद्धि से उर्वरकों के मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में दो गुना तक बढ़ गये हैं।
बैठक में बताया गया कि गत वर्ष डी.ए.पी. की दर 632 रूपये प्रति 50 किलो थी जो बढ़कर 1272 रूपये हो गयी है। इसी तरह म्यूटाश आफ पोटाश की दर 599 रूपये प्रति 50 किलो से बढ़कर 890 रूपये हो गयी है।

पूरे देश का ध्यान आकर्षित करेंगे

कृषि केबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि उर्वरकों की कीमतें कम करने के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों तथा सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को पत्र लिखेंगे। श्री चौहान का कहना था कि बाजार में हो रही उथल-पुथल का पूरा भार किसान क्यों वहन करे। देश के किसान ऐसी भाव वृद्धि बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं हैं। उर्वरकों की बढ़ी कीमतों से किसान तबाही के कगार पर खड़े हो जायेंगे।
प्रदेश में सबसे कम कीमत पर उर्वरक

बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश में अग्रिम भण्डारण से खरीफ में किसानों को पाँच लाख मीट्रिक टन से अधिक उर्वरक पुरानी दरों पर उपलब्ध करवाया गया। दूसरी ओर सप्लायर से निगोसियेशन के बाद सुपर फास्फेट केवल 260 रूपये प्रति बैग उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया है। तुलनात्मक रूप से इस उर्वरक का छत्तीसगढ़ में 327 रूपये, राजस्थान में 300 रूपये, महाराष्ट्र में 320 रूपये प्रति 50 किलो मूल्य निर्धारित किया गया है।


बैठक में कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय के वर्तमान सेटअप का युक्तियुक्तकरण कर 125 पद समर्पित करने तथा 53 नये पद सृजित करने का निर्णय लिया गया। इससे 17 जिलों में सहायक यंत्री के पद स्वीकृत होंगे, वर्तमान में 15 जिलों में पहले से सहायक यंत्री कार्यरत हैं।

राज्य सहकारी बैंक तथा जिला सहकारी बैंक तथा प्राथमिक सहकारी समितियों में रिक्त पदों की पूर्ति चरणबद्ध तरीके से करने सैद्धांतिक सहमति भी बैठक में दी गयी। लघु-सीमान्त, अनुसूचित जाति-जनजाति के किसानों को सहकारिता की योजनाओं तथा ऋण सुविधा का लाभ दिलाने की एकीकृत योजना बनाने का निर्णय भी लिया गया।

रबी के दौरान उर्वरकों के अग्रिम उठाव पर आगामी एक अगस्त से 30 सितम्बर तक किसानों को ब्याज से छूट देने का निर्णय भी बैठक में लिया गया। प्राथमिक सहकारी संस्थाओं की तरह अब गोदाम निर्माण के लिये राज्य सहकारी विपणन संघ को भी निःशुल्क भूमि देने का निर्णय लिया गया। प्रदेश में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये योजना बनाकर उपलब्ध खाद, बीज और क्षेत्र का युक्तियुक्तकरण करने का निर्णय भी लिया गया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में कहा कि मध्यप्रदेश ने 9 प्रतिशत से अधिक कृषि विकास दर हासिल कर उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित की है। इसके लिये प्रदेश के किसान और संबंधित विभाग बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष इस विकास दर को 10 प्रतिशत से अधिक करने के लिये योजनाबद्ध प्रयास करें। उन्होंने कृषि उत्पादन में पिछड़े क्षेत्रों के लिये विशेष योजना बनाने के निर्देश दिये। बताया गया कि मंडियों में इस बार रबी और खरीफ में आवक में अंसतुलन रहा है।
भोपाल-होशंगाबाद संभाग की मंडियों में सबसे ज्यादा 57 लाख मीट्रिक टन, इंदौर संभाग में 40 लाख मीट्रिक टन, उज्जैन संभाग में 44 लाख मीट्रिक टन, ग्वालियर संभाग में 31 लाख मीेट्रिक टन, जबलपुर संभाग में 34 लाख मीट्रिक टन, सागर संभाग में 20 लाख मीेट्रिक टन तथा रीवा एवं शहडोल संभाग की मंडियों में केवल 8 लाख मीट्रिक टन अनाज की आवक रही है। 
बैठक में निर्देश दिये गये कि सहकारी बैंकों और प्राथमिक सहकारी समितियों को कोर बैंकिंग से जोड़ने के लिये प्रशिक्षित अमले की व्यवस्था करें। लघु-सीमान्त, अनुसूचित जाति-जनजाति के किसानों को एक प्रतिशत ब्याज पर सहकारी संस्थाओं द्वारा फसल ऋण उपलब्ध करवाने के विशेष प्रयास किये जाये। प्राथमिक सहकारी समितियों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की योजना बनाये और बीज वितरण व्यवस्था की लगातार मॉनीटरिंग करें।

समय पर भण्डारण से किसानों को 1500 लाख रूपये का लाभ

बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश में समय पर उर्वरकों के भण्डारण से किसानों को पुरानी कीमतों पर खाद मिली। इससे किसानों को करीब 1500 लाख रूपये का लाभ हुआ। प्रदेश में 5 लाख मीट्रिक टन से अधिक उर्वरक का अग्रिम भण्डारण किया गया तथा किसानों को अग्रिम उठाव करने पर 31 मई तक ब्याज नहीं देने की सुविधा दी गयी थी। 
बताया गया कि देश में गेहूँ और दलहन उत्पादन में सबसे अधिक वृद्धि मध्यप्रदेश में हुई है। प्रदेश में खरीफ में इस बार 114 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसल ली जायेगी। यह गत खरीफ की तुलना में 10 लाख हेक्टेयर अधिक है। वर्ष 2011-12 में प्राथमिक सहकारी समितियों द्वारा किसानों को एक प्रतिशत ब्याज दर पर 7,477 करोड़ रूपये का कृषि ऋण उपलब्ध करवाया गया।
 इससे पहले वर्ष 2010-11 में भी 5,845 करोड़ 62 लाख रूपये का ऋण दिया गया था। बैठक में बताया गया कि 38 जिला सहकारी बैंक लाभ में हैं। बैठक में अपेक्स बैंक, मार्कफेड की गतिविधियों का प्रस्तुतीकरण भी किया गया। बैठक में केबिनेट के सदस्य मंत्रीगण तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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