देश में बढ़ती आबादी के कारण जमीनें कम होती जा रही हैं
Bhopal:Wednesday, March 28, 2012किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने आज यहाँ छात्र शक्ति भवन में विद्यार्थी कल्याण न्यास द्वारा आयोजित कार्यशाला में कहा कि युवाओं के लिए कृषि आधारित व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जायेगा। हमारे देश में बढ़ती आबादी के कारण जमीनें कम होती जा रही हैं। हमें जमीनों को सुरक्षित रखना होगा। अधिक पैदावार लेने के लालच में लगातार हो रहे रासायनिक खादों के बेतहाशा उपयोग पर रोक लगानी होगी।
डॉ. कुसमरिया ने भारतीय गौ-वंश आधारित कृषि अनुसंधान के संदर्भ में कहा कि गौ-वंश नस्ल सुधार एवं इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएँ हैं। पढ़े-लिखे नौजवान दुग्ध व्यवसाय के अलावा अन्य कार्य भी कर सकते हैं। भारतीय नस्ल के गौ-वंश के दूध, गौ-मूत्र, गोबर, दही का उपयोग पंचगव्य में किया जाता है। इसका उपयोग कैंसर, मधुमेह, अल्सर, किडनी आदि के उपचार में किया जाता है।
इसके अलावा जैविक खाद भी तैयार होता है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी का दायित्व है कि वह खेती के साथ पशु-पालन, मछली-पालन, उद्यानिकी का कार्य भी करे। डॉ. कुसमरिया ने कहा कि गायों की अनेक नस्लों में से गिर गाय सभी मौसम के लिए अनुकूल है। इससे दूध के साथ अच्छी नस्ल के पशुधन भी तैयार होते हैं।
इस अवसर पर आचार्य श्री घनश्यामजी ने कहा कि भारतीय गौ-वंश के विकास के लिए उन्हें खिलाने के लिए क्राप पेटर्न को बदलना होगा। डॉ. बी.एन. सिंह ने बताया कि शासन द्वारा गौ-वंश के विकास और संवर्धन के लिए नंदी शाला योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। वर्ष 2003 से 2007 तक गौ-वंश की संख्या में 18 लाख वृद्धि हुई है। इसके साथ ही औसत दुग्ध उत्पादन जो 1.4 लीटर प्रतिदिन था, वह बढ़कर 1.89 लीटर प्रतिदिन हो गया है।
इस अवसर पर आचार्य श्री घनश्यामजी ने कहा कि भारतीय गौ-वंश के विकास के लिए उन्हें खिलाने के लिए क्राप पेटर्न को बदलना होगा। डॉ. बी.एन. सिंह ने बताया कि शासन द्वारा गौ-वंश के विकास और संवर्धन के लिए नंदी शाला योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। वर्ष 2003 से 2007 तक गौ-वंश की संख्या में 18 लाख वृद्धि हुई है। इसके साथ ही औसत दुग्ध उत्पादन जो 1.4 लीटर प्रतिदिन था, वह बढ़कर 1.89 लीटर प्रतिदिन हो गया है।
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