पुनर्भरण की ठोस योजना तैयार की जाएगी
Bhopal:Monday, February 27, 2012
जल संसाधन मंत्री श्री जयंत मलैया ने कहा कि भू-जल स्तर में प्रतिवर्ष गिरावट आ रही है। यह गहरी चिन्ता का विषय है। इसका अर्थ यह है कि भू-जल का दोहन अधिक है और पुनर्भरण के प्रयास कम हो रहे हैं। भू-जल सर्वेक्षण से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर राज्य सरकार भू-जल पुनर्भरण की ठोस योजना तैयार करेगी। राज्य में भू-जल बोर्ड गठन के भी प्रयास किए जाएंगे।
श्री मलैया आज अपने निवास स्थान पर केन्द्रीय भू-जल बोर्ड,जल संसाधन मंत्रालय, दिल्ली एवं राज्य के जल संसाधन विभाग के समन्वय से तैयार भू-जल सर्वेक्षण पुस्तिका ‘ डायनामिक ग्राउण्ड वाटर रिसोर्सेज ऑफ मध्यप्रदेश (Dynamic Ground Water Resources of Madhya Pradesh) के विमोचन अवसर पर संबोधित कर रहे थे। श्री मलैया ने भू-जल सर्वेक्षण पुस्तिका तैयार करने वाले भू-जलविद् एवं अधिकारियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने बड़ी मेहनत से महत्वपूर्ण आँकड़े जुटाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इन आँकड़ों से प्रदेश की विकास नीति के निर्धारण में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय भू-जल बोर्ड के क्षेत्रीय संचालक श्री सी.पी.श्रीवास्तव ने भू-जल सर्वेक्षण के ऑकड़ों की जानकारी देते हुए कहा कि पश्चिमी मध्यप्रदेश के विकास खंडों में भू-जल की स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक है। पूरे मालवा क्षेत्र के विकास खंड अधिक भू-जल दोहन के शिकार है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के विकास खंड भी अर्धसुरिक्षत अर्थात खतरे के करीब हैं। प्रदेश के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र के विकासखंड अभी सुरक्षित हैं। कुल 313 विकासखंडों में से 24 विकासखंड अतिदोहन का शिकार हैं। 4 विकासखंड असुरक्षित और 61 विकासखंड अर्धसुरक्षित हैं। अभी 224 विकासखंड सुरक्षित हैं। भू-जल संबंधी ये आँकड़े राज्य सरकार की भू-जल संबंधी नीति निर्माण में सहायक होंगे। इस पुस्तिका में भू-जल के वर्ष 2009 मार्च तक के आँकड़े हैं। शीघ्र ही 2011 मार्च तक के आँकड़ों की पुस्तिका तैयार की जाएगी।
इस अवसर पर जल संसाधन विभाग की विश्व बैंक परियोजना के संचालक श्री मनीष सिंह, केन्द्रीय भू-जल बोर्ड के भू-जलविद् एवं जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री ए.के.जैन ने किया।
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