किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ने ली कृषि वैज्ञानिकों की बैठक
Gwalior:Tuesday, October 4, 2011
कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान कर खेती का एक ऐसा मॉडल विकसित करें जिससे लघु एवं सीमांत कृषक स्वावलंबी बनें। वे खाद व बीज सहित अन्य कृषि आवश्यकताओं के लिये किसी पर निर्भर न रहें। यह बात किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने मंगलवार को राजमाता विजयाराजे सिंधिया विश्वविद्यालय मे आयोजित हुई बैठक में कृषि वैज्ञानिकों से कही।
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री . रामकृष्ण कुसमरिया ने कृषकों को स्वावलंबी बनाने के लिये जैविक हरित क्रांति की जरूरत प्रतिपादित करते हुए कहा कि हमें उत्पादन बढ़ाने के साथ साथ जमीन की सेहत का भी पूरा ध्यान रखना होगा।कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान कर खेती का एक ऐसा मॉडल विकसित करें जिससे लघु एवं सीमांत कृषक स्वावलंबी बनें। वे खाद व बीज सहित अन्य कृषि आवश्यकताओं के लिये किसी पर निर्भर न रहें। यह बात किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने मंगलवार को राजमाता विजयाराजे सिंधिया विश्वविद्यालय मे आयोजित हुई बैठक में कृषि वैज्ञानिकों से कही।
तभी हम लम्बे समय तक खाद्यान्न की आपूर्ति कर पायेंगे और पर्यावरण संतुलन बनाये रख सकेंगे। उन्होंने कहा बढ़ती हुई जनसंख्या के हिसाब से कृषि रकबा कम पड़ रहा है। अतः इसे एक चुनौती के रूप में लेते हुए हमें जैविक खेती को बढ़ावा देना ही होगा। डॉ. कुसमरिया ने जोर देकर कहा कि खाद्य सुरक्षा का आशय केवल पेट भरना ही नहीं है अपितु लोगों को ऐसा खाद्यान्न मिले जो पोषक तत्वों से परिपूर्ण हो। यह सब जैविक खेती से ही संभव होगा।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय सिंह तोमर ने इस मौके पर विश्वविद्यालय की गत तीन वर्ष की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय ने विभिन्न फसलों की 19 नई किस्में अनुसंधान के जरिए इजाद की हैं।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय सिंह तोमर ने इस मौके पर विश्वविद्यालय की गत तीन वर्ष की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय ने विभिन्न फसलों की 19 नई किस्में अनुसंधान के जरिए इजाद की हैं।
जिनका उपयोग प्रदेश भर के किसान सफलता पूर्वक कर रहे हैं। उन्होंने बताया चंबल के बीहडों को समतलीकरण किए बगैर उपजाऊ बनाने के लिये भी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक प्रयासरत हैं। इस मौके पर अन्य कृषि वैज्ञानिकों ने भी पॉवर पॉइन्ट प्रजेन्टेशन के जरिए विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
केंचुआ खाद व संकर बाजरा बीज इकाईयों का किया लोकार्पण
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के भ्रमण के दौरान किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने केंचुआ खाद उत्पादन इकाई तथा संकर बाजरा बीज तैयार करने के लिये बनाई गई फसल परागण नियंत्रक इकाई का लोकार्पण भी किया।
केंचुआ खाद व संकर बाजरा बीज इकाईयों का किया लोकार्पण
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के भ्रमण के दौरान किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने केंचुआ खाद उत्पादन इकाई तथा संकर बाजरा बीज तैयार करने के लिये बनाई गई फसल परागण नियंत्रक इकाई का लोकार्पण भी किया।
इसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय में चल रही अन्य कृषि गतिविधियों का भी जायजा लिया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय सिंह तोमर तथा श्री कमल माखीजानी व दीपक शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण व संबंधित अधिकारी उनके साथ थे।
संभाग स्तरीय अधिकारियों की भी बैठक ली
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने मंगलवार को ग्वालियर-चंबल संभाग के कृषि अधिकारियों की बैठक भी ली। इस बैठक में उन्होंने खासकर रबी के लिये खाद-बीज की व्यवस्था के बारे में पूँछा। उन्होंने कहा कि डीएपी खाद की आपूर्ति के लिये जल्द ही ग्वालियर में रेल्वे की एक रेक आयेगी। इसी तरह दोनों संभागों के अन्य जिलों में भी खाद की कमी नहीं होने दी जायेगी।
संभाग स्तरीय अधिकारियों की भी बैठक ली
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने मंगलवार को ग्वालियर-चंबल संभाग के कृषि अधिकारियों की बैठक भी ली। इस बैठक में उन्होंने खासकर रबी के लिये खाद-बीज की व्यवस्था के बारे में पूँछा। उन्होंने कहा कि डीएपी खाद की आपूर्ति के लिये जल्द ही ग्वालियर में रेल्वे की एक रेक आयेगी। इसी तरह दोनों संभागों के अन्य जिलों में भी खाद की कमी नहीं होने दी जायेगी।
डॉ. कुसमरिया ने इस बैठक में संभाग की कृषि उपज मंडियों की भी समीक्षा की। उप संचालक मंडी श्री विजय अग्रवाल ने बैठक में जानकारी दी कि पिछले तीन महीनों से संभाग की सभी 43 मंडियाँ वसूली में पूरे प्रदेश में अग्रणी रही हैं। बैठक में संभागीय संयुक्त संचालक कृषि श्री एम आर जाटव सहित दोनों संभागों के उपसंचालक कृषि मौजूद थे।
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