विद्युत की अधिकतम माँग 7 हजार मेगवॉट तक पहुँची
Bhopal:Wednesday, October 12, 2011 रबी मौसम में फसलों की सिंचाई के लिये कृषि पम्पों का भार आना शुरू हो गया है। विद्युत की अधिकतम माँग 7 हजार मेगावॉट तक पहुँच गई है। उल्लेखनीय है कि गत सितम्बर माह में विद्युत की माँग 5000 से 6000 के बीच दर्ज की गई थी।
वर्तमान में बिजली की माँग बढ़ने का क्रम जारी है। आशा है कि रबी मौसम में इस वर्ष विद्युत की शीर्ष माँग 9 हजार मेगावॉट का आँकड़ा पार कर लेगी। इस वर्ष लोड मैनेजमेंट के अलावा प्रदेश में ग्रिड प्रबंधन भी किया जा रहा है। सभी मैदानी अधिकारियों को सुचारु विद्युत प्रदाय किये जाने के कड़े निर्देश दिये गये हैं।
विद्युत की माँग की पूर्ति के लिये ताप विद्युतगृहों से 1700 मेगावॉट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है। ताप विद्युत की कमी तथा जल विद्युतगृहों के जलाशयों में पर्याप्त जल-स्तर को देखते हुए जल विद्युतगृहों से अधिक से अधिक विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। विद्युत की अधिकतम माँग करीब 7 हजार मेगावॉट के विरुद्ध लगभग 5900 की आपूर्ति की जा रही है। दामोदर वेली कार्पोरेशन से वर्तमान में विद्युत प्राप्त नहीं हो रही है। केन्द्रीय क्षेत्र की छत्तीसगढ़ स्थित सीपत ताप विद्युतगृह की 500 मेगावॉट की इकाई के निर्माण होने के पश्चात क्रियाशील हो गई है। इससे प्रदेश को 106 मेगावॉट विद्युत अतिरिक्त रूप से प्राप्त होगी।
पाँच ताप विद्युत इकाइयाँ रख-रखाव के लिये बंद
प्रदेश की 5 ताप विद्युत इकाइयों को योजनाबद्ध रख-रखाव के लिये बंद किया गया है। इन इकाइयों में अमरकंटक ताप विद्युतगृह की 120-120 मेगावॉट की इकाई क्रमांक-3 एवं 4 तथा संजय गाँधी ताप विद्युतगृह की 210-210 मेगावॉट की इकाई क्रमांक-1 एवं 2 तथा सतपुड़ा ताप विद्युतगृह सारनी 210 मेगावॉट की इकाई क्रमांक-8 बंद है। केन्द्रीय क्षेत्र से भी वर्तमान में 1700 मेगावॉट विद्युत का प्रदेश को अंश मिल रहा है।
विद्युत प्रदाय के लिये समय निर्धारित
ऊर्जा विभाग द्वारा रबी मौसम में फसलों की सिंचाई के लिये कृषि पम्पों के भार को देखते हुए विद्युत वितरण कम्पनियों के सभी मैदानी अधिकारियों को संभागीय मुख्यालयों पर 22 घंटे, जिला मुख्यालयों पर 20 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 16 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्रों पर औसतन 12 घंटे विद्युत प्रदाय किये जाने के कड़े निर्देश दिये गये हैं।
विद्युत की माँग की पूर्ति के लिये ताप विद्युतगृहों से 1700 मेगावॉट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है। ताप विद्युत की कमी तथा जल विद्युतगृहों के जलाशयों में पर्याप्त जल-स्तर को देखते हुए जल विद्युतगृहों से अधिक से अधिक विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। विद्युत की अधिकतम माँग करीब 7 हजार मेगावॉट के विरुद्ध लगभग 5900 की आपूर्ति की जा रही है। दामोदर वेली कार्पोरेशन से वर्तमान में विद्युत प्राप्त नहीं हो रही है। केन्द्रीय क्षेत्र की छत्तीसगढ़ स्थित सीपत ताप विद्युतगृह की 500 मेगावॉट की इकाई के निर्माण होने के पश्चात क्रियाशील हो गई है। इससे प्रदेश को 106 मेगावॉट विद्युत अतिरिक्त रूप से प्राप्त होगी।
पाँच ताप विद्युत इकाइयाँ रख-रखाव के लिये बंद
प्रदेश की 5 ताप विद्युत इकाइयों को योजनाबद्ध रख-रखाव के लिये बंद किया गया है। इन इकाइयों में अमरकंटक ताप विद्युतगृह की 120-120 मेगावॉट की इकाई क्रमांक-3 एवं 4 तथा संजय गाँधी ताप विद्युतगृह की 210-210 मेगावॉट की इकाई क्रमांक-1 एवं 2 तथा सतपुड़ा ताप विद्युतगृह सारनी 210 मेगावॉट की इकाई क्रमांक-8 बंद है। केन्द्रीय क्षेत्र से भी वर्तमान में 1700 मेगावॉट विद्युत का प्रदेश को अंश मिल रहा है।
विद्युत प्रदाय के लिये समय निर्धारित
ऊर्जा विभाग द्वारा रबी मौसम में फसलों की सिंचाई के लिये कृषि पम्पों के भार को देखते हुए विद्युत वितरण कम्पनियों के सभी मैदानी अधिकारियों को संभागीय मुख्यालयों पर 22 घंटे, जिला मुख्यालयों पर 20 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 16 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्रों पर औसतन 12 घंटे विद्युत प्रदाय किये जाने के कड़े निर्देश दिये गये हैं।
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