रिकार्ड गेहूँ उपार्जन खेती को लाभ का धंधा बनाने के प्रयासों का उदाहरण
Bhopal:Monday, July 18, 2011:
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पारस चंद्र जैन ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह द्वारा प्रदेश में समर्थन मूल्य पर उपार्जित गेहूँ के संबंध में लगाये गये आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
मध्यप्रदेश में अतिरिक्त बोनस देकर किसानों से 49 लाख मीट्रिक टन गेहूँ समर्थन मूल्य पर पूरी पारदर्शी व्यवस्था से खरीदा गया। समय-समय पर निरीक्षण किए गए। गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधितों के विरुद्ध त्वरित कार्यवाही की गई। श्री जैन के अनुसार नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश सरकार द्वारा दोषियों के विरुद्ध की गई कार्यवाही को ही आरोप पत्र बनाकर प्रस्तुत कर दिया है। वास्तविकता यह है कि जो कार्यवाही संभव हो सकी है वह शासन द्वारा की गयी पारदर्शी व्यवस्था का ही परिणाम है।
श्री जैन ने कहा कि वस्तुस्थिति तो यह है कि नेता प्रतिपक्ष ने सुनी सुनाई बातों पर आरोप गढ़ दिए। उन्हें न आंकड़े पता हैं और न ही उनके द्वारा कहीं भी गेहूँ विक्रय में किसानों को सहयोग दिया गया। गेहूँ खरीदी की व्यवस्थाओं से किसान खुश हैं, यह भी नेता प्रतिपक्ष को पता नहीं। श्री जैन के अनुसार गेहूँ खरीदी की पारदर्शी व्यवस्था का एक नमूना यह है कि खुद नेता प्रतिपक्ष अपने गृह जिले सीधी में गेहूँ खरीदी में एक भी गड़बड़ी नहीं पकड़ सके।
श्री जैन कहा कि खेती बाड़ी को दी जा रही सर्वोच्च प्राथमिकता, किसानों को उपलब्ध कराई गई बीज, उर्वरक, सस्ते दर पर ऋण आदि सुविधाओं का सीधा लाभ इस साल रबी में देखा गया। उत्पादन घटने की तमाम आशंकाओं के विपरीत इस वर्ष गेहूँ का विपुल उत्पादन हुआ।
प्रदेश में कृषकों से सहकारी/विपणन सहकारी समितियों के द्वारा सीधे गेहूँ खरीदा गया। प्रदेश के प्रत्येक जिले में गेहूँ खरीदी का कृषकवार रिकार्ड रखने के निर्देश सरकार ने कलेक्टरों को दिए थे। खरीदी की पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए समर्थन मूल्य और बोनस राशि किसानों के खातों में सीधे जमा की गयी। इससे व्यापारियों अथवा अन्य बिचौलियों से गेहूँ खरीदे जाने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
गेहूँ की खरीदी किसानों के सामने की गयी। कलेक्टरों ने खुद तथा अपने मातहत अधिकारियों के जरिए व्यवस्था का सतत् निरीक्षण किया। ऐसी स्थिति में स्थानीय किसानों के सामने कोई बाहरी व्यक्ति या कोई अन्य आदमी खरीदी केन्द्रों में गेहूँ विक्रय कर जाए, संभव नहीं हो सकता।
श्री जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एवं खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और सहकारिता विभाग के मंत्रियों ने किसानों की साल भर की मेहनत आय के एकमात्र स्त्रोत गेहूँ उत्पादन को गंभीरता से लिया है। पूरे प्रदेश में 15 मार्च से 31 मई 2011 तक गेहूँ खरीदी कार्य अनवरत चला। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वीडियो कान्फ्रंेसिंग के माध्यम से स्वयं समय-समय पर उपार्जन की समीक्षा की। केबिनेट बैठकों में भी लगातार गेहूँ खरीदी की समीक्षा की गई। खाद्य मंत्री ने कहा कि मैंने स्वयं भी जिलों में भ्रमण किये। इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा प्रतिदिन उपार्जन एवं भंडारण ऐजेंसियों, मंडी बोर्ड, अपेक्स वैंक एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा की जाती रही। परिणामस्वरुप जिलों में अतिरिक्त भंडारण की आवश्यक व्यवस्था कराई जाकर गेहूँ का सुरक्षित भंडारण संभव हुआ।
श्री पारस जैन के अनुसार, छतरपुर एवं टीकमगढ़ जिलों का जहॉ तक प्रश्न है, सामान्य से कम वर्षा होने का अर्थ यह नहीं माना जा सकता कि वहाँ गेहूँ या अन्य जिंसों का उत्पादन कम हुआ हो। टीकमगढ़ जिले में प्राथमिक सहकारी संस्थाओं के 70 एवं विपणन सहकारी संस्थाओं के 6 केन्द्र इस प्रकार कुल 76 केन्द्रों के माध्यम से पटवारी प्रमाण-पत्र के आधार पर कुल 60 हजार 500 मीट्रिक टन गेहूँ का उर्पाजन हुआ है। किसान द्वारा बोए गए रकबे के अनुसार पटवारी प्रमाण-पत्र के आधार पर ही उपार्जन किया गया है। छतरपुर एवं टीकमगढ़ जिलों में वर्ष 2010-11 एवं 2011-2012 में निम्नानुसार खरीदी हुई हैः-
क्रमांक जिला वर्ष 2010-2011 वर्ष 2011-2012
1 छतरपुर 73002.68 मीं. टन 82000.00 मी. टन
2 टीकमगढ़ 66945.12 मी. टन 60500.00 मी. टन
-
योग 139947.80 मी. टन 142500.00 मी. टन
इस प्रकार दोनों जिलों की कुल खरीदी में बहुत अधिक वृद्धि नहीं रही। इसलिए यह कहना सही नहीं है कि यहाँ पर उत्तरप्रदेश राज्य से बिचौलियों के माध्यम से गेहूँ क्रय किया गया है।
सहकारिता विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार हरदा जिले के कृषक श्री गोविंद मूलाजी द्वारा क्रमशः उपार्जन केन्द्र कडोला में 938.35 क्विंटल, सोनतलाई में 198.65 क्विंटल एवं पीपलघटा में 20.45 इस प्रकार कुल 1157.45 क्विंटल गेहूँ का विक्रय किया गया हैं। कृषक द्वारा स्वंय की कुल 4.04 हेक्टेयर एवं सिकमी पर ली गई 33 हेक्टेयर भूमि कुल 37.04 हेक्टेयर भूमि (लगभग 93 एकड़) संबंधी दस्तावेजों के आधार पर गेहूँ विक्रय किया गया हैं। इस प्रकार इस कृषक से निर्धारित नीति अनुसार ही गेहूँ क्रय किया गया है।
हरदा मंडी की कडोला सोसायटी का लगभग 2000 क्विंटल गेहूँ बारिश से क्षतिग्रस्त होने के कारण कडोला सोसायटी द्वारा बीमा कंपनी को दावा प्रस्तुत किया गया है ।
होशंगाबाद जिले के बाबई में कव्हर्ड गोदामों को अनुबंध में लिया जाकर गेहूँ भंडारित कराया गया। इस जिले में उपार्जन अधिक होने के कारण गेहूँ केप में भी भंडारित किया गया। इसके अतिरिक्त इटारसी में भी गेहूँ क्षतिग्रस्त नहीं हुआ।
जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील के फनवानी एवं मार्केटिंग सोसायटी सिहोरा से प्राप्त जानकारी अनुसार श्री रामकृष्ण पटेल इन समितियों के सदस्य नहीं हैं न ही वर्ष 2011 में इन समितियों द्वारा श्री पटेल से कोई गेहूँ मात्रा क्रय की गई है। अतः भुगतान का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता हैं। वास्तविक स्थिति यह है कि श्री रामकृष्ण पटेल सेवा सहकारी संस्था मजगवां के सदस्य है तथा इन्होंने अपने एवं अपनी पत्नी के नाम से वर्ष 2011 में सेवा सहकारी संस्था मजगवां में 500.49 क्विंटल गेहूँ का विक्रय समर्थन मूल्य पर किया।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री के मुताबिक अशोकनगर जिले की मुंगावली तहसील की सहकारी सेवा समिति डोंगरा के 2 ट्रक एवं पिपरई खरीदी केन्द्र ओण्डेर का एक ट्रक जो जमा होने वेयरहाउस में लाया गया था की शिकायत के निराकरण हेतु जिला स्तरीय प्रशासकीय समिति गठित की गई। समिति द्वारा जाँच में गेहूँ एफएक्यू क्वालिटी का होना पाया। इस प्रकरण में आगे की जाँच हेतु जिला आपूर्ति नियंत्रक ग्वालियर, क्षेत्रीय प्रबंधक म.प्र. स्टेट सिविल सप्लाईज कारपोरेशन ग्वालियर एवं क्षेत्रीय प्रबंधक, भारतीय खाद्य निगम ग्वालियर को निर्देशित किया गया है।
उन्होंने कहा कि राजगढ़ वेअरहाउस के संबंध में प्रकाश में आई गड़बड़ी के संबंध में शाखा प्रबंधक श्री कुशवाहा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाकर जॉच प्रारंभ की गयी है।
श्री जैन ने कहा कि यह कहना भी सही नहीं है कि शिवपुरी जिले की पिछोर एवं खनियाघाना तहसील में उत्तरप्रदेश से गेहूँ खरीद कर केन्द्रों पर डाला गया। इस प्रकरण में जिले में 14 केन्द्र प्रभारी तथा 80 कृषकों के विरूद्ध प्रकरण निर्मित कर संबंधितों को कारण बताओं नोटिस दिये जाकर कार्यवाही प्रचलित है। इनमें से 8 प्रकरणों में दस लाख से ज्यादा राशि की वसूली आदेशित की जा चुकी है ।
यह कहना भी सही नहीं है कि खरीदी केन्द्रों पर किसानों को 20 से 25 दिन भटकने के बाद भी कर्ज पेटे गेहूँ नहीं लिया गया। यह भी गलत है कि गेहूँ खरीदी की अवधि में कमालपुर के लगभग 30-40 किसानों का गेहूँ केन्द्र पर नहीं लिया गया। कमालपुर केन्द्र पर 150 किसानों से 9,998 क्विंटल गेहूँ खरीदी की गई जिसमें से रू 8,15,428 की ऋण पेटे वसूली की गई। खरीदी केन्द्र पिछोर में भी 338 किसानों से 26,380 क्विंटल गेहूँ की खरीद की गई, जिसमें से रू 7,31,040 की वसूली ऋण पेटे की गई।
श्री जैन ने कहा कि जहाँ तक सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के संबंध में जानकारी दिये जाने का प्रश्न है प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियाँ और जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की परिधि में शामिल नहीं है। म.प्र. राज्य सूचना आयोग ने भी इस संबंध में आदेश पारित किया है।
रायसेन जिले की गैरतगंज सेवा सहकारी समिति द्वारा जमा कराने के लिए भेजे गए गेहूँ की जिला स्तरीय समिति द्वारा दिनांक 15 जुलाई 2011 को जाँच करने पर गेहूँ पुराना एवं घुना नहीं पाया गया ।
राज्य मंत्री श्री जैन ने कहा कि जहाँ तक रायसेन में उपार्जन केन्द्रों पर समर्थन मूल्य पर फर्जी खरीदी की बात है, इस संबंध में 13 प्रकरण बनाकर 8 प्रकरणों में भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420 के अधीन पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाने की कार्यवाही की गई है । यह भी सही नहीं है कि रायसेन जिले में ऋण पुस्तिका के संबंध में बड़ा घोटाला प्रकाश में आया है। इसी तरह रायसेन जिले में गैरतगंज, सिलवानी, मण्डीदीप एवं नकतरा में बड़े पैमाने पर फर्जी गेहूँ खरीदी की बात भी सही नहीं है।
होशंगाबाद जिले में भी 16000 क्विंटल गेहूँ की फर्जी खरीदी किए जाने का कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है और न ही ऐसी कोई शिकायत प्राप्त हुई है।
छतरपुर जिले के लखनगुआ एवं पनागर (पीपट) खरीदी केन्द्रों में 1500 क्विंटल गेहूँ जप्त नहीं किया गया। इसी तरह पीडीएस का गेहूँ खरीदने का भी कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है। जिले में समस्त गेहूँ शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार कृषकों से खरीदा जाकर भंडारगृह निगम के गोदामों में जमा करवाया जा चुका है।
श्री पारस जैन ने कहा कि प्रदेश में गेहूँ खरीदी के दौरान नाप-तौल में गड़बड़ी संबंधी कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश में गत वर्ष उपार्जन प्रारंभ में लगभग 10 लाख मी. टन गेहूँ अतिशेष बचा रहने से अधिकांश जिलों में पर्याप्त भंडारण स्थान उपलब्ध नहीं था। यहाँ यह उल्लेखनीय तथ्य है कि वर्ष 2010-11 में भारतीय खाद्य निगम द्वारा मात्र 3 लाख मी.टन गेहूँ केन्द्रीय पूल में जमा किया गया। शेष अतिशेष गेहूँ केन्द्र शासन को कई बार लिखने के बाद भी केन्द्रीय पूल में जमा नहीं किया गया। इस प्रकार इस वर्ष 2011-12 का अतिशेष जोड़कर लगभग 35 लाख मी.टन गेहूँ प्रदेश में अतिशेष बचा हुआ है जिसके विरूद्ध अभी तक भारतीय खाद्य निगम द्वारा मात्र 7.50 लाख मी.टन गेहूँ ही केन्द्रीय पूल में लिया गया है ।
श्री जैन के अनुसार भण्डारण व्यवस्था के संबंध में यह कहना सही नहीं है कि राज्य सरकार के पास कुल 41 लाख मी. टन गेहूँ ही रखने की व्यवस्था है और 15 लाख टन गेहूँ खुले में पड़ा है। वस्तु-स्थिति यह है कि वर्ष 2010-11 के उपार्जित गेहूँ 35 लाख मीट्रिक टन के विरूद्ध प्रदेश में विभिन्न सार्वजनिक वितरण प्रणाली की योजनाओं में वितरित होने वाले गेहूँ की वार्षिक आवश्यकता लगभग 21 से 22 लाख मी. टन से अतिरिक्त शेष आधिक्य मात्रा लगभग 13 लाख मी. टन गेहूँ का भारतीय खाद्य निगम द्वारा केन्द्रीय पूल में शतप्रतिशत उठाव नहीं करने से भण्डारण व्यवस्था में समस्याएँ निर्मित हुई। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद उपार्जन के दौरान राज्य शासन द्वारा विशेष प्रयास कर अधिक से अधिक निजी गोदाम एवं कव्हर्ड स्पेस का उपयोग करते हुए उपार्जित सम्पूर्ण मात्रा का सफल भण्डारण किया गया है।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पारस चंद्र जैन ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह द्वारा प्रदेश में समर्थन मूल्य पर उपार्जित गेहूँ के संबंध में लगाये गये आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
मध्यप्रदेश में अतिरिक्त बोनस देकर किसानों से 49 लाख मीट्रिक टन गेहूँ समर्थन मूल्य पर पूरी पारदर्शी व्यवस्था से खरीदा गया। समय-समय पर निरीक्षण किए गए। गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधितों के विरुद्ध त्वरित कार्यवाही की गई। श्री जैन के अनुसार नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश सरकार द्वारा दोषियों के विरुद्ध की गई कार्यवाही को ही आरोप पत्र बनाकर प्रस्तुत कर दिया है। वास्तविकता यह है कि जो कार्यवाही संभव हो सकी है वह शासन द्वारा की गयी पारदर्शी व्यवस्था का ही परिणाम है।
श्री जैन ने कहा कि वस्तुस्थिति तो यह है कि नेता प्रतिपक्ष ने सुनी सुनाई बातों पर आरोप गढ़ दिए। उन्हें न आंकड़े पता हैं और न ही उनके द्वारा कहीं भी गेहूँ विक्रय में किसानों को सहयोग दिया गया। गेहूँ खरीदी की व्यवस्थाओं से किसान खुश हैं, यह भी नेता प्रतिपक्ष को पता नहीं। श्री जैन के अनुसार गेहूँ खरीदी की पारदर्शी व्यवस्था का एक नमूना यह है कि खुद नेता प्रतिपक्ष अपने गृह जिले सीधी में गेहूँ खरीदी में एक भी गड़बड़ी नहीं पकड़ सके।
श्री जैन कहा कि खेती बाड़ी को दी जा रही सर्वोच्च प्राथमिकता, किसानों को उपलब्ध कराई गई बीज, उर्वरक, सस्ते दर पर ऋण आदि सुविधाओं का सीधा लाभ इस साल रबी में देखा गया। उत्पादन घटने की तमाम आशंकाओं के विपरीत इस वर्ष गेहूँ का विपुल उत्पादन हुआ।
प्रदेश में कृषकों से सहकारी/विपणन सहकारी समितियों के द्वारा सीधे गेहूँ खरीदा गया। प्रदेश के प्रत्येक जिले में गेहूँ खरीदी का कृषकवार रिकार्ड रखने के निर्देश सरकार ने कलेक्टरों को दिए थे। खरीदी की पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए समर्थन मूल्य और बोनस राशि किसानों के खातों में सीधे जमा की गयी। इससे व्यापारियों अथवा अन्य बिचौलियों से गेहूँ खरीदे जाने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
गेहूँ की खरीदी किसानों के सामने की गयी। कलेक्टरों ने खुद तथा अपने मातहत अधिकारियों के जरिए व्यवस्था का सतत् निरीक्षण किया। ऐसी स्थिति में स्थानीय किसानों के सामने कोई बाहरी व्यक्ति या कोई अन्य आदमी खरीदी केन्द्रों में गेहूँ विक्रय कर जाए, संभव नहीं हो सकता।
श्री जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एवं खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और सहकारिता विभाग के मंत्रियों ने किसानों की साल भर की मेहनत आय के एकमात्र स्त्रोत गेहूँ उत्पादन को गंभीरता से लिया है। पूरे प्रदेश में 15 मार्च से 31 मई 2011 तक गेहूँ खरीदी कार्य अनवरत चला। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वीडियो कान्फ्रंेसिंग के माध्यम से स्वयं समय-समय पर उपार्जन की समीक्षा की। केबिनेट बैठकों में भी लगातार गेहूँ खरीदी की समीक्षा की गई। खाद्य मंत्री ने कहा कि मैंने स्वयं भी जिलों में भ्रमण किये। इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा प्रतिदिन उपार्जन एवं भंडारण ऐजेंसियों, मंडी बोर्ड, अपेक्स वैंक एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा की जाती रही। परिणामस्वरुप जिलों में अतिरिक्त भंडारण की आवश्यक व्यवस्था कराई जाकर गेहूँ का सुरक्षित भंडारण संभव हुआ।
श्री पारस जैन के अनुसार, छतरपुर एवं टीकमगढ़ जिलों का जहॉ तक प्रश्न है, सामान्य से कम वर्षा होने का अर्थ यह नहीं माना जा सकता कि वहाँ गेहूँ या अन्य जिंसों का उत्पादन कम हुआ हो। टीकमगढ़ जिले में प्राथमिक सहकारी संस्थाओं के 70 एवं विपणन सहकारी संस्थाओं के 6 केन्द्र इस प्रकार कुल 76 केन्द्रों के माध्यम से पटवारी प्रमाण-पत्र के आधार पर कुल 60 हजार 500 मीट्रिक टन गेहूँ का उर्पाजन हुआ है। किसान द्वारा बोए गए रकबे के अनुसार पटवारी प्रमाण-पत्र के आधार पर ही उपार्जन किया गया है। छतरपुर एवं टीकमगढ़ जिलों में वर्ष 2010-11 एवं 2011-2012 में निम्नानुसार खरीदी हुई हैः-
क्रमांक जिला वर्ष 2010-2011 वर्ष 2011-2012
1 छतरपुर 73002.68 मीं. टन 82000.00 मी. टन
2 टीकमगढ़ 66945.12 मी. टन 60500.00 मी. टन
-
योग 139947.80 मी. टन 142500.00 मी. टन
इस प्रकार दोनों जिलों की कुल खरीदी में बहुत अधिक वृद्धि नहीं रही। इसलिए यह कहना सही नहीं है कि यहाँ पर उत्तरप्रदेश राज्य से बिचौलियों के माध्यम से गेहूँ क्रय किया गया है।
सहकारिता विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार हरदा जिले के कृषक श्री गोविंद मूलाजी द्वारा क्रमशः उपार्जन केन्द्र कडोला में 938.35 क्विंटल, सोनतलाई में 198.65 क्विंटल एवं पीपलघटा में 20.45 इस प्रकार कुल 1157.45 क्विंटल गेहूँ का विक्रय किया गया हैं। कृषक द्वारा स्वंय की कुल 4.04 हेक्टेयर एवं सिकमी पर ली गई 33 हेक्टेयर भूमि कुल 37.04 हेक्टेयर भूमि (लगभग 93 एकड़) संबंधी दस्तावेजों के आधार पर गेहूँ विक्रय किया गया हैं। इस प्रकार इस कृषक से निर्धारित नीति अनुसार ही गेहूँ क्रय किया गया है।
हरदा मंडी की कडोला सोसायटी का लगभग 2000 क्विंटल गेहूँ बारिश से क्षतिग्रस्त होने के कारण कडोला सोसायटी द्वारा बीमा कंपनी को दावा प्रस्तुत किया गया है ।
होशंगाबाद जिले के बाबई में कव्हर्ड गोदामों को अनुबंध में लिया जाकर गेहूँ भंडारित कराया गया। इस जिले में उपार्जन अधिक होने के कारण गेहूँ केप में भी भंडारित किया गया। इसके अतिरिक्त इटारसी में भी गेहूँ क्षतिग्रस्त नहीं हुआ।
जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील के फनवानी एवं मार्केटिंग सोसायटी सिहोरा से प्राप्त जानकारी अनुसार श्री रामकृष्ण पटेल इन समितियों के सदस्य नहीं हैं न ही वर्ष 2011 में इन समितियों द्वारा श्री पटेल से कोई गेहूँ मात्रा क्रय की गई है। अतः भुगतान का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता हैं। वास्तविक स्थिति यह है कि श्री रामकृष्ण पटेल सेवा सहकारी संस्था मजगवां के सदस्य है तथा इन्होंने अपने एवं अपनी पत्नी के नाम से वर्ष 2011 में सेवा सहकारी संस्था मजगवां में 500.49 क्विंटल गेहूँ का विक्रय समर्थन मूल्य पर किया।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री के मुताबिक अशोकनगर जिले की मुंगावली तहसील की सहकारी सेवा समिति डोंगरा के 2 ट्रक एवं पिपरई खरीदी केन्द्र ओण्डेर का एक ट्रक जो जमा होने वेयरहाउस में लाया गया था की शिकायत के निराकरण हेतु जिला स्तरीय प्रशासकीय समिति गठित की गई। समिति द्वारा जाँच में गेहूँ एफएक्यू क्वालिटी का होना पाया। इस प्रकरण में आगे की जाँच हेतु जिला आपूर्ति नियंत्रक ग्वालियर, क्षेत्रीय प्रबंधक म.प्र. स्टेट सिविल सप्लाईज कारपोरेशन ग्वालियर एवं क्षेत्रीय प्रबंधक, भारतीय खाद्य निगम ग्वालियर को निर्देशित किया गया है।
उन्होंने कहा कि राजगढ़ वेअरहाउस के संबंध में प्रकाश में आई गड़बड़ी के संबंध में शाखा प्रबंधक श्री कुशवाहा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाकर जॉच प्रारंभ की गयी है।
श्री जैन ने कहा कि यह कहना भी सही नहीं है कि शिवपुरी जिले की पिछोर एवं खनियाघाना तहसील में उत्तरप्रदेश से गेहूँ खरीद कर केन्द्रों पर डाला गया। इस प्रकरण में जिले में 14 केन्द्र प्रभारी तथा 80 कृषकों के विरूद्ध प्रकरण निर्मित कर संबंधितों को कारण बताओं नोटिस दिये जाकर कार्यवाही प्रचलित है। इनमें से 8 प्रकरणों में दस लाख से ज्यादा राशि की वसूली आदेशित की जा चुकी है ।
यह कहना भी सही नहीं है कि खरीदी केन्द्रों पर किसानों को 20 से 25 दिन भटकने के बाद भी कर्ज पेटे गेहूँ नहीं लिया गया। यह भी गलत है कि गेहूँ खरीदी की अवधि में कमालपुर के लगभग 30-40 किसानों का गेहूँ केन्द्र पर नहीं लिया गया। कमालपुर केन्द्र पर 150 किसानों से 9,998 क्विंटल गेहूँ खरीदी की गई जिसमें से रू 8,15,428 की ऋण पेटे वसूली की गई। खरीदी केन्द्र पिछोर में भी 338 किसानों से 26,380 क्विंटल गेहूँ की खरीद की गई, जिसमें से रू 7,31,040 की वसूली ऋण पेटे की गई।
श्री जैन ने कहा कि जहाँ तक सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के संबंध में जानकारी दिये जाने का प्रश्न है प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियाँ और जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की परिधि में शामिल नहीं है। म.प्र. राज्य सूचना आयोग ने भी इस संबंध में आदेश पारित किया है।
रायसेन जिले की गैरतगंज सेवा सहकारी समिति द्वारा जमा कराने के लिए भेजे गए गेहूँ की जिला स्तरीय समिति द्वारा दिनांक 15 जुलाई 2011 को जाँच करने पर गेहूँ पुराना एवं घुना नहीं पाया गया ।
राज्य मंत्री श्री जैन ने कहा कि जहाँ तक रायसेन में उपार्जन केन्द्रों पर समर्थन मूल्य पर फर्जी खरीदी की बात है, इस संबंध में 13 प्रकरण बनाकर 8 प्रकरणों में भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420 के अधीन पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाने की कार्यवाही की गई है । यह भी सही नहीं है कि रायसेन जिले में ऋण पुस्तिका के संबंध में बड़ा घोटाला प्रकाश में आया है। इसी तरह रायसेन जिले में गैरतगंज, सिलवानी, मण्डीदीप एवं नकतरा में बड़े पैमाने पर फर्जी गेहूँ खरीदी की बात भी सही नहीं है।
होशंगाबाद जिले में भी 16000 क्विंटल गेहूँ की फर्जी खरीदी किए जाने का कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है और न ही ऐसी कोई शिकायत प्राप्त हुई है।
छतरपुर जिले के लखनगुआ एवं पनागर (पीपट) खरीदी केन्द्रों में 1500 क्विंटल गेहूँ जप्त नहीं किया गया। इसी तरह पीडीएस का गेहूँ खरीदने का भी कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है। जिले में समस्त गेहूँ शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार कृषकों से खरीदा जाकर भंडारगृह निगम के गोदामों में जमा करवाया जा चुका है।
श्री पारस जैन ने कहा कि प्रदेश में गेहूँ खरीदी के दौरान नाप-तौल में गड़बड़ी संबंधी कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश में गत वर्ष उपार्जन प्रारंभ में लगभग 10 लाख मी. टन गेहूँ अतिशेष बचा रहने से अधिकांश जिलों में पर्याप्त भंडारण स्थान उपलब्ध नहीं था। यहाँ यह उल्लेखनीय तथ्य है कि वर्ष 2010-11 में भारतीय खाद्य निगम द्वारा मात्र 3 लाख मी.टन गेहूँ केन्द्रीय पूल में जमा किया गया। शेष अतिशेष गेहूँ केन्द्र शासन को कई बार लिखने के बाद भी केन्द्रीय पूल में जमा नहीं किया गया। इस प्रकार इस वर्ष 2011-12 का अतिशेष जोड़कर लगभग 35 लाख मी.टन गेहूँ प्रदेश में अतिशेष बचा हुआ है जिसके विरूद्ध अभी तक भारतीय खाद्य निगम द्वारा मात्र 7.50 लाख मी.टन गेहूँ ही केन्द्रीय पूल में लिया गया है ।
श्री जैन के अनुसार भण्डारण व्यवस्था के संबंध में यह कहना सही नहीं है कि राज्य सरकार के पास कुल 41 लाख मी. टन गेहूँ ही रखने की व्यवस्था है और 15 लाख टन गेहूँ खुले में पड़ा है। वस्तु-स्थिति यह है कि वर्ष 2010-11 के उपार्जित गेहूँ 35 लाख मीट्रिक टन के विरूद्ध प्रदेश में विभिन्न सार्वजनिक वितरण प्रणाली की योजनाओं में वितरित होने वाले गेहूँ की वार्षिक आवश्यकता लगभग 21 से 22 लाख मी. टन से अतिरिक्त शेष आधिक्य मात्रा लगभग 13 लाख मी. टन गेहूँ का भारतीय खाद्य निगम द्वारा केन्द्रीय पूल में शतप्रतिशत उठाव नहीं करने से भण्डारण व्यवस्था में समस्याएँ निर्मित हुई। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद उपार्जन के दौरान राज्य शासन द्वारा विशेष प्रयास कर अधिक से अधिक निजी गोदाम एवं कव्हर्ड स्पेस का उपयोग करते हुए उपार्जित सम्पूर्ण मात्रा का सफल भण्डारण किया गया है।
0 comments:
Post a Comment