गर्मियों में हरे चारे की कमी दुग्ध उत्पादन को प्रभावित करती है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए एमपी स्टेट को-आपरेटिव डेयरी फेडरेशन की इकाई ग्वालियर दुग्ध संघ द्वारा अपने कार्य क्षेत्र ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, श्योपुर एवं टीकमगढ़ जिलों में हरे चारे के स्थान पर यूरिया उपचारित भूसे का उपयोग करने की सलाह पशुपालकों को दी जा रही है। इसके लिये दुग्ध संघ द्वारा विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
दुग्ध सहकारी समितियों के पशुपालकों को गर्मी के मौसम में हरे चारे की प्रतिपूर्ति एवं कम लागत पर अधिक दूध उपत्पादन के लिए भूसे का यूरिया से उपचार संबंधी प्रदर्शन कार्यक्रम निरन्तर चलाया जा रहा है। भूसे को पशुओं के लिए आसानी से पचने योग्य बनाने के लिए उसे चार प्रतिशत यूरिया के घोल से उपचारित कर 21 दिन तक रखने के बाद खिलाया जाता है। इससे भूसे का कड़ापन दूर हो जाता है एवं पशु इसे आसानी से पचा जाता है।इस प्रक्रिया में 100 किलोग्राम यूरिया उपचारित भूसा बनाने के लिए 65 लीटर पानी में 4 किलो यूरिया को अच्छी तरह घोलकर भूसे पर छिड़क कर मिलाया जाता है। तत्पश्चात् इसे पक्के फर्श पर फैलाकर प्लास्टिक शीट से ढँक कर रखा जाता है। इक्कीस दिन के पश्चात भूसे का रंग सुनहरा हो जाता है तथा भूसा पशुओं को खिलाने लायक मुलायम हो जाता है। यूरिया उपचारित भूसा पशु को खिलाने के पूर्व आधे घण्टे तक खुली हवा में फैलाकर रखना आवश्यक है। इसे पशु चाव से खाते हैं तथा अधिक पानी पीते हैं। ग्वालियर दुग्ध संघ द्वारा इस वर्ष मई में 193 दुग्ध सहकारी समितियों के 706 पशु-पालकों के यहाँ 29 मीट्रिक टन गेहूँ के भूसे को यूरिया द्वारा उपचारित किया गया है।
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