वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश में चन्दन वृक्षों के संरक्षण के साथ ही नये क्षेत्रों में चन्दन रोपण के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश में शासकीय रोपणीयों में वर्तमान में उपलब्ध चन्दन के पौधों को जनभागीदारी से उन क्षेत्रों में रोपा जायेगा जहां उनके संरक्षण की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं।
श्री सरताज सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश के सिवनी तथा कुछ सीमित जिलों के वन क्षेत्रों में चंदन वृक्ष उपलब्ध है। वर्तमान में अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त सिवनी की शासकीय रोपणियों में लगभग 50 हजार चंदन के 8 से 10 माह तक के पौधे उपलब्ध हैं। वन क्षेत्रों के अतिरिक्त राजस्व एवं निजी भूमि पर व्यावसायिक रूप से भी चंदन के पौधे लगाये जाना लाभप्रद होगा। इसे व्यवसायिक स्तर पर लगाये जाने से अच्छी आर्थिक आमदनी अर्जित की जा सकती है।श्री सरताज सिंह ने बताया कि आगामी चन्दन रोपण मौसम में वन कार्यालय एवं अन्य ऐसे शासकीय कार्यालय परिसरों, जहां पौधों की देखभाल एवं संरक्षण की व्यवस्थाएं हों, में 5-5 चन्दन के पौधे लगाये जायेंगे। इसके साथ ही, जो व्यक्ति अपनी निजी भूमि पर चन्दन रोपण करना चाहते हों, उन्हें भी पौधे सशुल्क प्रदाय किये जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि भोपाल, सीहोर, राजगढ़, सिवनी आदि जिलों की जलवायु चन्दन के लिये अनुकूल है।
चंदन के पौधों के लिये 800 से 1200 मिली मीटर वर्षा के साथ ठंडे एवं मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त होते हैं। इसके पौधे सेण्डी, क्लोरेड स्वाइल के साथ-साथ ब्लेक काटन स्वाइल में भी अच्छी तरह विकसित होते हैं। चंदन वृक्षों में फरवरी से अप्रैल तक फ्लावरिंग होती है एवं जुलाई से अक्टूबर तक फ्रूटिंग होती है। यह पैरा साइट (परजीवी) पौधा है, जिन्हें केसिया सामिया, तुअर दाल एवं लेन्टाना जैसी झाड़ियों के साथ लगाया जाता है। लगभग 25 से 30 वर्ष में 40 से.मी. के लगभग गोलाई होती है एवं इस वृक्ष में लगभग 15 किलो सुगंधित काष्ठ (हार्ड वुड) निकलती है, जिससे डेढ़ प्रतिशत सुगंधित तेल निकलता है।
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