भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिये जैविक खेती को अपनाना होगा। हमारे पास जो संग्रहीत संपदा है उसे सहेजने की आवश्यकता है। जैविक खेती एक क्रांति है। हमें पुरातन का विश्लेषण कर नूतन ज्ञान का अन्वेषण कर निचोड़ को स्वीकार करना होगा। यह विचार किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने आज राज्य कृषि प्रशिक्षण केन्द्र भोपाल में जैविक खेती पर आधारित कार्यशाला में व्यक्त किये।
बैठक में डॉ. कुसमरिया ने कहा कि जिनका खेती की तरफ लगाव है उन्हें प्रेरित करने की आवश्यकता है। हमारा लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश को जैविक राज्य बनाया जाये, इसके लिये प्रत्येक गांव में एक कृषक को जैविक खेती की जानकारी देने के लिये जिम्मेदारी सौंपी जायेगी। आज हमारे देश में दिनों-दिन हो रहे यूरिया, डी.ए.पी. रासायनिक खाद और पौधसंरक्षण दवाओं के उपयोग से फसलों में शुद्धता नष्ट हो रही है जो कि मानव शरीर के लिये नुकसानदायक है। इसे रोकने के लिये जैविक खेती से ही जमीन की शक्तियां बढ़ सकती हैं।हम सबका दायित्व है कि हम गाय पालें, उसके गोबर का उपयोग करें। हमारे गांवों को आदर्श गांव बनाने के लिये गांव में शाला भवन, खेल मैदान आदि की सुविधा मुहैया करवाएं तभी गांव का सर्वांगीण विकास हो सकेगा। हमारे स्कूली बच्चों को भी जैविक खेती से होने वाले फायदों के विषय में समझाएं इसके दूरगामी परिणाम अच्छे होंगे। आज हमारे देश की आबादी बढ़ रही है और जमीन कम हो रही है। किसान 5 एकड़ जमीन में जैविक खेती अपनाकर अधिक उत्पादन ले सकते हैं।
डॉ. कुसमरिया ने कहा कि प्रत्येक राज्य में एक जैविक विश्वविद्यालय की स्थापना की जाना चाहिये, जिसमें जैविक खेती से होने वाले उत्पादों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी जाना चाहिये। इससे लोगों की मानसिकता बदलेगी। इसके लिये एक व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता। इसमें सभी की सहभागिता आवश्यक है। किसानों को अन्तरमन से जैविक खेती करने को अपनाने की प्रेरणा ली जाना चाहिये, वह दिन दूर नहीं कि मध्यप्रदेश देश में जैविक प्रदेश बनने में अग्रणी राज्य होगा।
कार्यक्रम में पूर्व गन्ना आयुक्त श्री साधुराम शर्मा ने कहा कि जैविक खेती से कीट व्याधियों पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है। कार्यक्रम में प्रभारी क्षेत्रीय जैविक खेती केन्द्र जबलपुर डॉ. एम.के. पालीवाल, अपर संचालक सीएट श्री के.सी. पालीवाल, श्री अरुण डिके बायोटेक इंदौर, डॉ.अजय सिंह राजपूत सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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