बीज का बीजोपचार करना अति आवश्यक
सोयाबीन उत्पादक किसानों को अब शीघ्र पकने वाली फसलों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। बोये जाने वाले सम्पूर्ण बीज का बीजोपचार करना अति आवश्यक है। ऐसे मौसम में फफूंद रोग लगने की संभावनाएँ बढ़ जाती है। इसके लिए ट्राइकोडर्मा विरीडी जैविक फफूंदनाशक का प्रयोग करना प्रभावी होगा।
बीजोपचार करने के बाद सोयाबीन का रायजोबियम कल्चर और पी.एस.वी. के कम से कम 5-5 पैकेटो को बीज में अच्छी तरह से मिलाना चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिये 20 से 25 दिन की फसल अवस्था पर कुल्फा-डोरा चलाकर यांत्रिक पद्धति से नींदा नियंत्रण करना चाहिए।
रासायनिक ख्रपतवार नियंत्रण की अपेक्षा यह अधिक लाभकारी होगा। खेतो का नियमित निरीक्षण, कीट व बीमारी का समय से उपचार एवं अधिक पानी भरने पर जल निकास की व्यवस्था आदि उपायों से सोयाबीन का वर्तमान परिस्थितियों मे भी अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
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