यूरिया की गत वर्ष 2.26 लाख मैट्रिक टन की खपत
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग खरीफ मौसम में अपने लक्ष्यानुसार उर्वरकों की आपूर्ति करने में सफल रहा है, जिसके कारण किसानों को उनकी मांग के अनुसार उर्वरक मिलने से फसलों की बोवाई में निरंतरता बनी हुई है। काम्पलेक्स उर्वरकों के कारण आवश्यक मात्रा में तत्वों की पूर्ति फसलों में की जा सकी है। सुपर फास्फेट के महत्व को समझते हुए किसानों ने बोवाई के पहले फास्फोरस तत्व के लिये इस उर्वरक का खूब प्रयोग किया और गत वर्ष इस समय तक यहां 0.29 लाख मैट्रिक टन ही सुपर फास्फेट प्रयोग में लाया गया था। इस वर्ष अब तक 0.30 लाख मैट्रिक टन सुपर फास्फेट किसानों द्वारा उपयोग किया जा चुका है। काम्पलेक्स उर्वरक की भी 0.44 लाख मैट्रिक टन की तुलना में अब तक 0.99 लाख मैट्रिक टन की खपत हो चुकी है।
यूरिया की गत वर्ष 2.26 लाख मैट्रिक टन की खपत के मुकाबले अभी तक 2.52 लाख मैट्रिक टन विक्रय की जा चुकी है। टाप ड्रेसिंग के समय इसकी खपत काफी अधिक बढ़ने की संभावना है। डीएपी तुलनात्मक अवधि में विक्रय हो चुके 2.85 लाख मैट्रिक टन की तुलना में कुछ कम, 2.48 लाख मैट्रिक टन भले ही उठा हो लेकिन समयबद्ध आपूर्ति के कारण किसानों को कहीं भी परेशानी नहीं उठाना पड़ी।
यूरिया की गत वर्ष 2.26 लाख मैट्रिक टन की खपत के मुकाबले अभी तक 2.52 लाख मैट्रिक टन विक्रय की जा चुकी है। टाप ड्रेसिंग के समय इसकी खपत काफी अधिक बढ़ने की संभावना है। डीएपी तुलनात्मक अवधि में विक्रय हो चुके 2.85 लाख मैट्रिक टन की तुलना में कुछ कम, 2.48 लाख मैट्रिक टन भले ही उठा हो लेकिन समयबद्ध आपूर्ति के कारण किसानों को कहीं भी परेशानी नहीं उठाना पड़ी।
शुरूआती मौसम में उर्वरकों की कमी की आशंका को देखते हुए किसानों में जल्दबाजी तो देखने को मिली लेकिन विभाग द्वारा जमाखोरी पर नियंत्रण लगाने के लिये बरती गई चौकसी के कारण उर्वरक वितरण व्यवस्था सुगम बनी रही।
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