शहडोल से सटे छोटे-से गांव कुदरी की श्रीमती शैलेन्द्री सिंह की कामयाबी
बाहर से दिखने पर तो श्रीमती शैलेन्द्री सिंह एक साधारण ग्रामीण महिला दिखती हैं। औसत कद-काठी की बातूनी 57 बर्षीया श्रीमती शैलेन्द्री सिंह आत्मनिर्भर हैं और गन्ने की पहली फसल ने ही उन्हें लाखों रूपये दिला दिये हैं।
शहडोल से सटे छोटे-से गांव कुदरी की श्रीमती शैलेन्द्री सिंह की कामयाबी की कहानी शहडोल जिले में महिला कृषकों के बीच में अलग ही नजर आती है। एक गृहिणी ने जिस काम को अतिरिक्त कमाई के तौर पर शुरू किया था, आज वही अच्छी कमाई के फलते-फूलते कारोबार में तब्दील हो गया है। अच्छा मुनाफा दे रही इस गन्ने की खेती में उनके 60 वर्षीय पति श्री खड़गसिंह और बेटे भी उनकी मदद करते हैं।पहले शैलेन्द्री सिंह पारंपरिक रूप से बारिश के पानी के भरोसे एक एकड़ में ही गन्ने की फसल ले पाती थीं, लेकिन डेढ़ साल पहले कृषि विभाग की मदद से अनुदान बतौर खोदे गये बलराम तालाब ने उनका जीवन ही बदल दिया। पहली वर्षा में ही बलराम तालाब में लबालब भरे पानी से उत्साहित शैलेन्द्री सिंह ने चार एकड़ रकबे में गन्ने की फसल उगाई, जिससे उन्हें तीन लाख रूपये की आमदनी हुई। सिंचाई का साधन हो जाने पर उन्होंने धान, गेहूँ, चना, सब्जी की फसलें भी लीं और इनसे लगभग पौने दो लाख रूपये की और आय हुई।
सोने की तरह गन्ने के ऊंचे भाव मिलने पर गन्ने की नगदी फसल से उनकी जीवन शैली में तेजी से व्यापक परिवर्तन आ रहा है। उनका गन्ना पेराई के लिए हाथों-हाथ जाता है। गन्ने की बदौलत उनके रूके सारे काम एक ही झटके में पूरे हो गये। गन्ने का धन आते ही मकान नव निर्माण के लिए नींव रख दी है। वास्तव में यह सब करिश्मा बलराम तालाब की सिंचाई का ही है।
गन्ने का खेत खड़ा करने में शैलेन्द्री सिंह ने सालभर पहले बहुत मेहनत की। बीजारोपण करने के बाद पौधों के बढ़ने में लगातार सिंचाई करने और पौधों को नष्ट होने से बचाने पर ध्यान देती रहीं। यही वजह है कि उन्होंने गन्ने की भरपूर फसल ली है और शहडोल के बाजारों की जरूरत को उनका गन्ना पूरी कर रहा है।
वाकई गन्ने के इस स्वाद ने शैलेन्द्री सिंह की जिन्दगी बदल दी। यही नहीं, वे औसतन पांच-छः मजदूरों को सालभर रोजगार भी देती हैं। वे बेवाकी से बताती हैं, ''हमारे घर के सारे खर्चे खेती-बाड़ी की कमाई से ही चल रहे हैं। बलराम तालाब सिंचाई सुविधा देकर हमारे खेतों का जैसे जीवनदाता बन गया है।'
' कृषि विभाग के क्षेत्रीय वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी श्री अखिलेश नामदेव कहते हैं,'' जल संरक्षण एवं संवर्धन तथा वर्षा के जल को संरक्षित कर उसका उपयोग सिंचाई में करने के लिए जिले में काष्तकारों के यहां व्यापक पैमाने पर बलराम तालाब खुदवाए जा रहे हैं। सिंचाई के साथ-साथ इन तालाबों का इस्तेमाल मछली पालन के लिए भी किया जा रहा है।''
बहरहाल सिंचाई के रूप में गन्ने की आबोहवा के लिए बलरामतालाब काफी कारगर साबित हो रहा है। खुले बाजार में एक गन्ना अमूमन 10 से 20 रूपये तक में बिकता है। गन्ने की कमाई से उत्साहित शैलेन्द्री सिंह अब गन्ने के रकबे में और बढ़ोतरी करने जा रही हैं।
बहरहाल सिंचाई के रूप में गन्ने की आबोहवा के लिए बलरामतालाब काफी कारगर साबित हो रहा है। खुले बाजार में एक गन्ना अमूमन 10 से 20 रूपये तक में बिकता है। गन्ने की कमाई से उत्साहित शैलेन्द्री सिंह अब गन्ने के रकबे में और बढ़ोतरी करने जा रही हैं।
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