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Sunday, June 20, 2010

अनाज भंडारण की एक मजबूत कोशिश

 प्रदेश को वेअर हाऊसिंग लाजिस्टिक हब बनाने का मसौदा
मौसमी मेहरबानियों के चलते प्रदेश में गेहूँ और अन्य प्रमुख फसलों का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। उधर पिछले तीन सालों से समर्थन मूल्य पर खरीदी का ग्राफ भी ऊँचा किया जा रहा है। यह सच्चाई अब चुभने लगी है कि भंडारण के इंतजाम नाकाफी हैं और इससे निजात पाने की पुरजोर कोशिश होना जरूरी है।
इन्हीं सूरतों में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कहने पर एक राज्य स्तरीय कमेटी ने प्रदेश को वेअर हाऊसिंग लाजिस्टिक हब बनाने का मसौदा गुरुवार को अपनी बैठक में तैयार कर लिया है।

कोई 10 लाख मे. टन क्षमता के गोदाम प्रदेश के विभिन्न जिलों में राज्य और केन्द्र सरकार के भंडारगृह निगमों के जरिये बनाये जायेंगे। स्वाभाविक ही इसमें केन्द्र की मदद जरूरी है और मुख्यमंत्री श्री चौहान एक पखवाड़े पहले केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पंवार से इसकी फौरी बातचीत भी कर चुके हैं। अब अगले दो दिनों में प्रस्ताव केन्द्र को भेजा जा रहा है।

राज्य सरकार अनाज भंडारण के लिये लगातार फिक्र में रही है और हालात के मुताबिक उसकी विभिन्न कोशिशें भी जारी हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान समर्थन मूल्य की खरीदी में ज्यादा से ज्यादा काम का अपना इरादा पहले से जता चुके हैं। 

प्रदेश में मौजूदा भंडारण क्षमता 21 लाख मे. टन ही है जिसमें 50-50 प्रतिशत के हिसाब से भंडारगृह निगम और निजी क्षेत्रों के भंडारों का योगदान है। जहां तक भारतीय खाद्य निगम की इस बारे में नीति की बात है तो उसके गोदाम की सहूलियत रेल्वे हेड यानि रेल लाईनों वाले क्षेत्रों में ही संभव होती है। सच्चाई यह भी है कि प्रदेश के 18-20 जिले अब भी रेल लाइनों से वंचित हैं। इन्हीं हालात में राज्य स्तरीय कमेटी को रास्ता ढूंढने को कहा गया था।

हर साल 3 से 4 लाख मे. टन क्षमता

अगर हालात ठीकठाक रहे तो इस नए प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश हर साल 3 से 4 लाख मे. टन भंडारण क्षमता बढ़ाने के काबिल हो जाएगा। प्रमुख सचिव खाद्य आपूर्ति श्री अशोक दास की अध्यक्षता में बनी राज्य स्तरीय कमेटी ने इस सिलसिले में प्रस्ताव तैयार किया है। इसके मुताबिक 10 हजार मे. टन क्षमता के गोदामों के निर्माण की लागत कोई 2 करोड़ रुपये आयेगी। 

इस काम को केन्द्र और राज्य के भंडारगृह निगम अपने-अपने वित्तीय स्रोतों से अंजाम देंगे। यानि इस सिलसिले में दो लाइनों पर काम होगा। 
एक तो केन्द्र की नई निजी- जन भागीदारी (पीपीपी) वाली योजना जो विकेन्द्रिकृत उपार्जन राज्यों के लिये है उसके तहत सीधे तौर पर या फिर दूसरे केन्द्र तथा राज्य भंडारगृह निगम अपने बूते पर ये गोदाम बना सकेंगे।

केन्द्र की भूमिका

इन गोदामों को बनाये जाने पर भारतीय खाद्य निगम इन्हें तयशुदा दरों पर किराये पर लेगा और इनमें उसका और राज्य सरकार द्वारा उपार्जित खाद्यान्न दोनों इकट्ठा किये जा सकेंगे। इस प्रावधान के चलते यदि ऐसी स्थिति निर्मित होती है कि किसी साल उपार्जन नहीं हो तो ऐसी सूरत में इन गोदामों को अपेक्षाकृत कम किराये पर किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा। 
अब जो केन्द्र की तयशुदा किराया राशि और किसानों को दिये जाने वाले किराये की राशि का फर्क होगा उसकी भरपाई के लिये केन्द्र से छह साल की गारंटी ली जायेगी।

सरकारी जमीने खंगालने का काम जल्द

कोई 10 हजार मे. टन क्षमता के गोदामों के निर्माण के लिये प्रदेश के विभिन्न जिलों में सरकारी जमीन खंगाले जाने की कार्रवाई जल्द शुरू की जा रही है। इसके लिये आज ही सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिख दिया है। इनमें से 19 गोदाम जिला मुख्यालयों पर होंगे और शेष अन्य जिलों के दूसरे स्थानों पर बनाये जायेंगे।

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