वनमंत्री द्वारा 16 मई को बैठक आहुत
वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने बताया है कि प्रदेश के वन क्षेत्रों में वृक्षारोपण एवं रोजगार सृजन कार्य के लिये अशासकीय संस्थाओं का सहयोग भी लिया जायेगा। इस संबंध में अशासकीय संस्थाओं से परामर्श एवं चर्चा के लिये भोपाल में 16 मई को बैठक होगी।श्री सरताज सिंह ने कहा है कि वृक्षारोपण कार्य में सहयोग की इच्छुक समस्त संस्थाएं इस बैठक में भाग ले सकती हैं। उन्होंने कहा है कि अशासकीय संस्थाएं वन समितियों के माध्यम से काम कर सकेंगी।
श्री सिंह ने बताया कि प्रदेश में इस साल को बांस वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। प्रदेश में इस साल 5 करोड़ बांस के पौधे लगाने का कार्यक्रम है। बांस रोपण की तैयारियां की जा रही हैं और जुलाई माह में बड़े पैमाने पर पौधे लगाने का काम किया जायेगा। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में अच्छे किस्म का बांस उपलब्ध कराने का प्रयास है। इसके लिये टिश्यू कल्चर का बांस क्रय करेंगे। शहरों में बांस रोपण के लिये स्थल चयन किया जा रहा है। प्रयास है कि सड़क किनारे दोनो ओर अधिक से अधिक वृक्षारोपण हो।
श्री सिंह ने बताया कि वन क्षेत्रों के आसपास रोजगार सृजन के लिये वन समितियों को निर्देश दिये गये हैं कि उपलब्ध खाली भूमियों पर घास बीज डालें। घास काटने का अधिकार समिति का ही होगा। वनों के पास आदिवासी क्षेत्रों में दुधारु पशुपालन व्यवसाय ज्यादा सम्भव है। बाद में पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम पशुपालन विभाग के सहयोग से किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के वनों और आसपास के क्षेत्रों में टसर एवं पोल्ट्री उत्पादन कार्यक्रम किये जा सकते हैं। टसर उत्पादन के लिये क्षेत्र चिन्हित करने की कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं। इस हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिये रेशम पालन विभाग से भी चर्चा की गई है। रेशम उत्पादन/पोल्ट्री व्यववसाय से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
वन मंत्री ने बताया कि औषधीय पौधों के लिये सलाहकार दल बनायेंगे। प्रदेश के क्लाईमेटिक जोन अनुसार अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग किस्म की औषधीय महत्व की जड़ी-बूटी लगाने का कार्यक्रम तय किया जायेगा।
वन मंत्री ने वन विकास और वनों के माध्यम से प्रदेश की रोजगार सृजन क्षमता बढ़ाने में सहयोग के लिये प्रशासकीय संस्थाओं से आगे आने की अपील भी की है।
श्री सिंह ने बताया कि प्रदेश में इस साल को बांस वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। प्रदेश में इस साल 5 करोड़ बांस के पौधे लगाने का कार्यक्रम है। बांस रोपण की तैयारियां की जा रही हैं और जुलाई माह में बड़े पैमाने पर पौधे लगाने का काम किया जायेगा। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में अच्छे किस्म का बांस उपलब्ध कराने का प्रयास है। इसके लिये टिश्यू कल्चर का बांस क्रय करेंगे। शहरों में बांस रोपण के लिये स्थल चयन किया जा रहा है। प्रयास है कि सड़क किनारे दोनो ओर अधिक से अधिक वृक्षारोपण हो।
श्री सिंह ने बताया कि वन क्षेत्रों के आसपास रोजगार सृजन के लिये वन समितियों को निर्देश दिये गये हैं कि उपलब्ध खाली भूमियों पर घास बीज डालें। घास काटने का अधिकार समिति का ही होगा। वनों के पास आदिवासी क्षेत्रों में दुधारु पशुपालन व्यवसाय ज्यादा सम्भव है। बाद में पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम पशुपालन विभाग के सहयोग से किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के वनों और आसपास के क्षेत्रों में टसर एवं पोल्ट्री उत्पादन कार्यक्रम किये जा सकते हैं। टसर उत्पादन के लिये क्षेत्र चिन्हित करने की कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं। इस हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिये रेशम पालन विभाग से भी चर्चा की गई है। रेशम उत्पादन/पोल्ट्री व्यववसाय से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
वन मंत्री ने बताया कि औषधीय पौधों के लिये सलाहकार दल बनायेंगे। प्रदेश के क्लाईमेटिक जोन अनुसार अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग किस्म की औषधीय महत्व की जड़ी-बूटी लगाने का कार्यक्रम तय किया जायेगा।
वन मंत्री ने वन विकास और वनों के माध्यम से प्रदेश की रोजगार सृजन क्षमता बढ़ाने में सहयोग के लिये प्रशासकीय संस्थाओं से आगे आने की अपील भी की है।
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