प्रदेश के लाख उत्पादक 10 जिले
वन मंत्री श्री सरताज सिंह की अध्यक्षता में आज हुई वनोपज अंतर्विभागीय समिति की बैठक में लाख की संग्रहण दर में वृद्धि करने का निर्णय लिया गया। अब कुसुम वृक्षों से प्राप्त होने वाली कच्ची लाख की संग्रहण दर सत्तर रुपये किलो तथा पलाश एवं अन्य वृक्षों से प्राप्त होने वाली लाख की संग्रहण दर साठ रुपये प्रति किलो तय की गई है। ये दरें पिछले साल की तुलना में करीब डेढ़ गुना ज्यादा है।
लघु वनोपज अंतर्विभागीय समिति की बैठक में लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष श्री विश्वास सारंग, वन विभाग तथा लघु वनोपज संघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। नई संग्रहण दरें इसी माह से शुरू होने वाले संग्रहण सीजन से तत्काल लागू कर दी गई हैं।ज्ञातव्य है कि सितम्बर, 2009 के पूर्व लाख एक अविनिर्दिष्ट वनोपज थी जिसका संग्रहण कोई भी कर सकता था। संग्राहकों को सही मूल्य उपलब्ध कराने के लिये प्रदेश के लाख उत्पादक 10 जिलों – नरसिंहपुर, सिवनी, होशंगाबाद, बालाघाट, छिन्दवाड़ा, मण्डला, डिण्डोरी, उमरिया, अनूपपुर एवं शहडोल में राज्य शासन द्वारा 17 सितम्बर, 2009 को एक वर्ष के लिये लाख को विनिर्दिष्ट वनोपज घोषित किया गया।
पिछले सीजन में इन जिलों में प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से लाख का क्रय किया गया था। इनका गोदामीकरण करने के पश्चात निविदा द्वारा निर्वर्तन किया गया। शासन द्वारा वर्ष 2009-10 के लिये कुसुम वृक्ष की लाख की चौरी हेतु 90 रुपये प्रति किलो एवं अन्य वृक्षों की चौरी हेतु 75 रुपये प्रति किलो की संग्रहण दर निर्धारित की गई थी।
संग्राहकों द्वारा संग्रहण केन्द्रों पर लाई जा रही कच्ची लाख में चौरी के प्रतिशत के आधार पर उक्त दरों से उन्हें संग्रहण मजदूरी गत वर्ष भुगतान की गई थी। इस प्रकार विगत सीजन में कुसुम की कच्ची लाख हेतु औसतन 45 रुपये प्रति किलो एवं अन्य वृक्षों से प्राप्त होने वाली कच्ची लाख के लिये औसतन 37.50 प्रति किलो की दर से संग्राहकों को भुगतान किया गया।
संग्रहण दर में वृद्धि होने से संग्राहकों को अधिक आमदनी प्राप्त होगी तथा और अधिक मात्रा में लाख संग्रहण होगा। लाख के अधिक संग्रहण से प्राप्त होने वाली आय से संग्राहकों को अधिक प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि का भुगतान किया जा सकेगा।
संग्रहण दर में वृद्धि होने से संग्राहकों को अधिक आमदनी प्राप्त होगी तथा और अधिक मात्रा में लाख संग्रहण होगा। लाख के अधिक संग्रहण से प्राप्त होने वाली आय से संग्राहकों को अधिक प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि का भुगतान किया जा सकेगा।
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