ओंकारेश्वर नहर शीर्ष विद्युत गृह परियोजनाएं 2013 तक पूरी
नर्मदा घाटी में आगामी चार वर्षों में दो लाख हेक्टेयर के अतिरिक्त सिचाई क्षमता का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये तेजी से काम जारी है तथा इस वर्ष 40,000 हेक्टेयर का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जायेगा। यह जानकारी मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई विभाग की समीक्षा बैठक में दी गई।
बैठक में नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री के.एल. अग्रवाल, मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य, अपर मुख्य सचिव श्री ओ.पी. रावत तथा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश को आवंटित नर्मदा जल का सन् 2021 तक पूरा उपयोग सुनिश्चित करने की परियोजनावार और क्षेत्रवार जानकारी शीघ्र प्रस्तुत करने को कहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में निर्माणाधीन नर्मदा परियोजनाओं की पूर्णता की भी समयबद्ध कार्ययोजना बनायी जाये।
बैठक में बताया गया कि राज्य में इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, रानी अवंती बाई सागर (बरगी), मान तथा जोबट परियोजनाओं के बांधों का निर्माण पूरा हो चुका है। अपर बेदा, पुनासा उद्वहन तथा लोअर गोई परियोजनाओं के बांधों का काम जारी है। अटारिया, अपर नर्मदा, हालोन, राघवपुर, रोसरा तथा बमानिया परियोजनाओं में भी बांध का निर्माण प्रस्तावित है।
बैठक में नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री के.एल. अग्रवाल, मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य, अपर मुख्य सचिव श्री ओ.पी. रावत तथा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश को आवंटित नर्मदा जल का सन् 2021 तक पूरा उपयोग सुनिश्चित करने की परियोजनावार और क्षेत्रवार जानकारी शीघ्र प्रस्तुत करने को कहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में निर्माणाधीन नर्मदा परियोजनाओं की पूर्णता की भी समयबद्ध कार्ययोजना बनायी जाये।
बैठक में बताया गया कि राज्य में इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, रानी अवंती बाई सागर (बरगी), मान तथा जोबट परियोजनाओं के बांधों का निर्माण पूरा हो चुका है। अपर बेदा, पुनासा उद्वहन तथा लोअर गोई परियोजनाओं के बांधों का काम जारी है। अटारिया, अपर नर्मदा, हालोन, राघवपुर, रोसरा तथा बमानिया परियोजनाओं में भी बांध का निर्माण प्रस्तावित है।
कुल 414 करोड़ रूपये लागत की हालोन परियोजना का कार्य इस वर्ष तथा 570 करोड़ रूपये लागत की अपर नर्मदा परियोजना का निर्माण आगामी वर्ष शुरू किया जाना प्रस्तावित है। इन सभी परियोजनाओं से 8.39 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता निर्मित होगी जिसमें से अब तक 2.75 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता का निर्माण हो चुका है।
नर्मदा परिक्रमा पथ के विकास के अंतर्गत नर्मदा के दोनों तटों पर अमरकंटक से गुजरात सीमा तक चिन्हांकन का कार्य पूरा हो चुका है। पथ के विकास का परियोजना प्रतिवेदन भी तैयार कर लिया गया है। अब प्रस्तावित मार्ग का पैदल सर्वेक्षण किया जायेगा।
विभाग द्वारा 15 मेगावाट की इंदिरा सागर तथा 3.5 मेगावाट की ओंकारेश्वर नहर शीर्ष विद्युत गृह परियोजनाएं 2013 तक पूरी कर ली जायेंगी। जोबट परियोजना से 9868 हेक्टेयर की निर्धारित क्षमता से अधिक वर्ष 2009-10 में 10,000 हेक्टेयर में वास्तविक सिंचाई की गई।
नर्मदा परिक्रमा पथ के विकास के अंतर्गत नर्मदा के दोनों तटों पर अमरकंटक से गुजरात सीमा तक चिन्हांकन का कार्य पूरा हो चुका है। पथ के विकास का परियोजना प्रतिवेदन भी तैयार कर लिया गया है। अब प्रस्तावित मार्ग का पैदल सर्वेक्षण किया जायेगा।
विभाग द्वारा 15 मेगावाट की इंदिरा सागर तथा 3.5 मेगावाट की ओंकारेश्वर नहर शीर्ष विद्युत गृह परियोजनाएं 2013 तक पूरी कर ली जायेंगी। जोबट परियोजना से 9868 हेक्टेयर की निर्धारित क्षमता से अधिक वर्ष 2009-10 में 10,000 हेक्टेयर में वास्तविक सिंचाई की गई।
विभाग द्वारा बरगी डायवर्शन परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे इस परियोजना को निश्चित अवधि में पूरा करने में मदद मिलेगी।
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