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Thursday, May 27, 2010

प्रदेश में खरीफ सीजन में 108 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोनी किये जाने का कार्यक्रम

  दलहन फसलें 11 लाख 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोयी जायेंगी
प्रदेश में खरीफ सीजन के दौरान किसानों को समय पर खाद, बीज एवं अन्य सामग्री समय पर उपलब्ध हो सके इसके लिये आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं। मंगलवार को मंत्रालय में प्रमुख सचिव कृषि एवं सहकारिता श्री एम.एम. उपाध्याय की अध्यक्षता में खरीफ सीजन के लिये की जा रही तैयारियों की समीक्षा की गई।
खरीफ में 108.25 लाख हेक्टेयर में बोनी का कार्यक्रम

सहकारी संस्थाओं में 40 हजार क्विंटल सोयाबीन बीज का भंडारण

खरीफ के दौरान 19.79 लाख मेट्रिक टन रसायन उर्वरक के वितरण का कार्यक्रम


बैठक में प्रमुख सचिव कृषि ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जून के दूसरे सप्ताह में मानसून की बारिश होने के साथ ही खरीफ के लिये खाद, बीज की मांग तेजी से बढ़ेगी। इस बात को दृष्टिगत रखते हुये पर्याप्त मात्रा में भंडारण किया जाये। बैठक में बताया गया कि इस वर्ष खरीफ सीजन में 108 लाख 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोनी का कार्यक्रम तय किया गया है। खरीफ की प्रमुख फसलों में सोयाबीन 53 लाख 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में, धान 15 लाख 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में एवं दलहन फसलें 11 लाख 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोयी जायेंगी।

बैठक में खरीफ सीजन के दौरान बीज की उपलब्धता पर भी चर्चा की गई। प्रदेश में इस वर्ष खरीफ सीजन के दौरान 13 लाख 16 हजार क्विंटल बीज वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पिछले वर्ष खरीफ के दौरान 10 लाख 63 हजार क्विंटल बीज का वितरण किया गया था। वर्तमान में संस्थाओं के पास 7.79 लाख एवं निजी क्षेत्र में 12.39 लाख इस प्रकार कुल 20 लाख 18 हजार क्विंटल बीज उपलब्ध है। सहकारी संस्थाओं में मई के चौथे सप्ताह तक लगभग 40 हजार क्विंटल सोयाबीन बीज भंडारित किया जा चुका है।

किसानों को उर्वरक उनकी मांग के अनुसार उपलब्ध हो सके इसके लिये विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। इस वर्ष खरीफ के दौरान 19 लाख 79 हजार मेट्रिक टन उर्वरक वितरण किये जाने का कार्यक्रम तय किया गया है। प्रदेश में 6 लाख मेट्रिक टन डी.ए.पी. की आवश्यकता होगी।

किसानों से कहा गया है कि वे आवश्यकतानुसार मई माह में ही सहकारी संस्थाओं से रसायन उर्वरक का उठाव करते है तो मई माह का ब्याज नहीं लगेगा। रसायन उर्वरक की आपूर्ति प्रदेश में नियमित रूप से हो सके इसके लिये केन्द्र सरकार के रसायन मंत्रालय से सतत बातचीत किये जाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये गये हैं।

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