पशुपालन मंत्री श्री अजय विश्नोई का केन्द्र से आग्रह
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार द्वारा नई दिल्ली में आयोजित पशुपालन मंत्रियों की बैठक में पशुपालन मंत्री श्री अजय विश्नोई ने पशुओं के वंश सुधार के साथ-साथ पशुओं की खुराक पर ध्यान केन्द्रित करने पर जोर दिया। गाय-भैंस की वंशावली दूध उत्पादन में 30 प्रतिशत मदद करती है।
जानवर किसी भी वंश का हो बिना बेहतर खुराक के अधिक दूध नहीं दे सकता। बेहतर चारे के उत्पादन के लिये बीज की उपलब्धता के साथ देश में कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ चारे का संकट उत्पन्न करता है। श्री विश्नोई ने कहा कि इन हालातों से निपटने के लिये केन्द्र सरकार को फाडर कार्पोरेशन आफ इंडिया की स्थापना करना चाहिये।
सूखे, चारे को यूरिया के माध्यम से उसमें प्रोटीन मात्रा में सुधार जैसे प्रयोग किसानांें को सिखाने होंगे। हरे चारे के उत्पादन को बेहतर प्रोत्साहन देना होगा। हरे चारे को सर्पोट प्राईस पर खरीदने की योजना आवश्यक है। फूड ब्लाक की उपलब्धता, गुणवत्ता और कीमतों पर अंकुश रखने के लिए केन्द्र सरकार कानून बनाये और अनुदान उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे।
श्री अजय विश्नोई ने दूध उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली गाय और गौवंश के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने तथा इसे संविधान में मूलभूत अधिकार के रूप में शामिल करने पर भी जोर दिया। गौवंश को ज्यादा उपयोगी और लाभदायक बनाने, गौ मूत्र से इलाज और फसलों की रक्षा के लिये कीटनाशक बनाने के प्रयासोंं को प्रोत्साहन देने की योजनायें भी केन्द्र शासन को बनाना चाहिये।
श्री अजय विश्नोई ने दूध उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली गाय और गौवंश के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने तथा इसे संविधान में मूलभूत अधिकार के रूप में शामिल करने पर भी जोर दिया। गौवंश को ज्यादा उपयोगी और लाभदायक बनाने, गौ मूत्र से इलाज और फसलों की रक्षा के लिये कीटनाशक बनाने के प्रयासोंं को प्रोत्साहन देने की योजनायें भी केन्द्र शासन को बनाना चाहिये।
गोबर के उपयोग से गैस और खाद के लिये इन्टीग्रेेटेड योजनाओं को बल दिया जाना चाहिये। राष्ट्रीय गौ एवं भैंस वंशीय प्रजनन परियोजना के दायरे को बढ़ाकर उसमें बछिया के माँ बनने तक पालन की योजना को शामिल करने का सुझाव देते हुये इस परियोजना को 2012 से आगे बढ़ाने पर श्री विश्नोई ने बल दिया।
कृषि विद्यालयों के साथ-साथ पशु विज्ञान विश्वविद्यालयों को भी अधिक सहायता दिलाने की मांग रखते हुये श्री अजय विश्नोई ने बतलाया कि विगत 22 साल में देश के जी.डी.पी. में पशुधन का योगदान मामूली गिरावट के साथ तकरीबन एक सा बना हुआ है। वह 4.83 प्रतिशत से 4.40 प्रतिशत आया है।
कृषि विद्यालयों के साथ-साथ पशु विज्ञान विश्वविद्यालयों को भी अधिक सहायता दिलाने की मांग रखते हुये श्री अजय विश्नोई ने बतलाया कि विगत 22 साल में देश के जी.डी.पी. में पशुधन का योगदान मामूली गिरावट के साथ तकरीबन एक सा बना हुआ है। वह 4.83 प्रतिशत से 4.40 प्रतिशत आया है।
परन्तु कृषि का जी.डी.पी. में योगदान पिछले 22 साल में 34.72 प्रतिशत से घटकर 16.62 प्रतिशत हो गया है। आंकड़े बताते हैं पशुधन और दूध उत्पादन पर ध्यान देकर हम देश की जी.डी.पी. में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं। मध्यप्रदेश के जी.डी.पी. में पशुधन का योगदान 8.06 प्रतिशत है। इसे और प्रोत्साहन दिये जाने की आवश्यकता है।
श्री अजय विश्नोई ने गाय, भैंस और मुगिर्यों की लुप्त होती जा रही प्रजातियों की रक्षा करने पर जोर देते हुये बताया कि भोपाल की 162 एकड़ भूमि पर देश का पहला एनीमल बायोडायबसिर्टी पार्क बनने जा रहा है, जहां गाय, भैंस और मुगिर्यों की सभी प्रजातियों को उसकी मूल भूमि के वातावरण में रखा जायेगा और इस पार्क को टूरिज्म से जोड़ा जायेगा।
श्री अजय विश्नोई ने गाय, भैंस और मुगिर्यों की लुप्त होती जा रही प्रजातियों की रक्षा करने पर जोर देते हुये बताया कि भोपाल की 162 एकड़ भूमि पर देश का पहला एनीमल बायोडायबसिर्टी पार्क बनने जा रहा है, जहां गाय, भैंस और मुगिर्यों की सभी प्रजातियों को उसकी मूल भूमि के वातावरण में रखा जायेगा और इस पार्क को टूरिज्म से जोड़ा जायेगा।
बकरी को गरीब की गाय और किसान का ए.टी.एम. बताते हुये श्री विश्नोई ने बतलाया कि देश के कुल दुग्ध उत्पादन में बकरी के दूध का योगदान 3.72 प्रतिशत है। मध्यप्रदेश में यह 7.4 प्रतिशत है, इसलिये देश में बकरीपालन को भी प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये।
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