मध्यप्रदेश के चम्बल संभाग में इस वर्ष रबी सीजन में फसलों की सिंचाई के लिये एक ही सिंचाई का पानी दिया जा सकेगा। यह निर्णय पिछले दिनों मुरैना में आयोजित कमिश्नर श्री एस.डी. अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित कलेक्टर कांफ्रेंस में जल उपयोगिता पर विस्तृत चर्चा के बाद लिया गया।
बैठक में निर्णय लिया गया कि पानी की कम उपलब्धता को देखते हुये 45 दिन नहर चलाकर किसानों को एक ही सिंचाई का पानी दिया जा सकेगा। बैठक में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि इस वर्ष हुयी कम वर्षा के कारण राणा प्रताप सागर और गांधी सागर बाँध में जल का कम भराव हो पाया है।
मध्यप्रदेश के चम्बल संभाग के लिये कोटा बेरेज में मात्र 49 एम.ए.एफ. पानी है। इसमें मात्र 45 दिन ही चम्बल नहर चलायी जा सकेगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोटा बेरेज से रबी फसलों के लिये इस वर्ष एक नवम्बर से पानी छोड़ा जाये और जल संसाधन विभाग का मैदानी अमला नहरों से पानी वितरण की व्यवस्था पर सजग निगरानी रखे।
चम्बल नहर प्रणाली से इस वर्ष रबी में श्योपुर जिले का 30 हजार और मुरैना जिले का 25 हजार हेक्टेयर रकबा सिचिंत किया जा सकेगा। भिण्ड जिले को पगारा और कोतवार बांध से पानी दिया जा सकेगा। पानी की कम उपलब्धता को देखते हुये इस वर्ष पलेवा के लिये पानी नहीं दिया जा सकेगा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि पानी की कम उपलब्धता को देखते हुये 45 दिन नहर चलाकर किसानों को एक ही सिंचाई का पानी दिया जा सकेगा। बैठक में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि इस वर्ष हुयी कम वर्षा के कारण राणा प्रताप सागर और गांधी सागर बाँध में जल का कम भराव हो पाया है।
मध्यप्रदेश के चम्बल संभाग के लिये कोटा बेरेज में मात्र 49 एम.ए.एफ. पानी है। इसमें मात्र 45 दिन ही चम्बल नहर चलायी जा सकेगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोटा बेरेज से रबी फसलों के लिये इस वर्ष एक नवम्बर से पानी छोड़ा जाये और जल संसाधन विभाग का मैदानी अमला नहरों से पानी वितरण की व्यवस्था पर सजग निगरानी रखे।
चम्बल नहर प्रणाली से इस वर्ष रबी में श्योपुर जिले का 30 हजार और मुरैना जिले का 25 हजार हेक्टेयर रकबा सिचिंत किया जा सकेगा। भिण्ड जिले को पगारा और कोतवार बांध से पानी दिया जा सकेगा। पानी की कम उपलब्धता को देखते हुये इस वर्ष पलेवा के लिये पानी नहीं दिया जा सकेगा।
1 comments:
и всё эе: неподражаемо... а82ч
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