कलेक्टर कृषि कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के प्रति अपना नजरिया बदलें तथा कृषि में प्रत्येक घटक का गहन अध्ययन कर अपनी कार्ययोजना बनाएं। मालवा क्षेत्र में इस वर्ष जितनी बारिश हुई है वह विगत दस वर्षों के औसत से ज्यादा कम नहीं है अत: रबी के रकबे में कमी करने की आवश्यकता नहीं है।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती रंजना चौधरी पिछले दिनों उज्जैन में उज्जैन संभाग के सभी जिला कलेक्टरों, कृषि अधिकारियों एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की बैठक में समीक्षा कर रही थी। बैठक में बताया गया कि उज्जैन संभाग में इस वर्ष रबी सीजन में प्रमुख फसलों में गेहूँ 3 लाख हेक्टेयर में तथा चना 4 लाख 80 हजार हेक्टेयर में बोनी की जायेगी।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती चौधरी ने कहा कि निर्वाचन कार्यक्रम निरंतर चलते रहेंगे और आचरण संहिता भी समय समय पर लगती रहेगी इससे लक्ष्य आधारित कार्यक्रमों की पूर्ति पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने हिदायत दी कि किसी भी तरह के अनुदान का 10 रूपया भी यदि सरेण्डर होता है तो यह प्रबंधकीय खामी माना जाएगा।
श्रीमती चौधरी ने सभी कृषि अधिकारियों को हिदायत दी कि जिलों में रबी मौसम में शत प्रतिशत बीज उपचारित किए जाएं, साथ ही बीज प्रतिस्थापन के लिए योजना तैयार करते समय पिछले 5 वर्षों के आंकड़ों का अध्ययन कर योजना बनाई जानी चाहिए।
बैठक में उज्जैन संभाग के विभिन्न जिला कलेक्टरों ने कृषि विभाग से संबंधित उपयोगी सुझाव कृषि उत्पादन आयुक्त के समक्ष रखे।
मछुआरों को मत्स्य बीज उत्पादन के लिये भी प्रेरित करें
बैठक में मत्स्य पालन के संदर्भ में हुई विस्तृत चर्चा के दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त ने जिला कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे वर्षाकाल के बाद ऐसे मौसमी तालाबों में जहाँ डेढ़ मीटर से तीन मीटर तक की गहराई का पानी उपलब्ध हो मछुआरों को मत्स्य पालन के लिये जरूरी सहायता सुलभ कराये।
उनहोंने बताया कि राज्य में आवश्यकता का केवल 65 प्रतिशत मत्स्य बीज का उत्पादन होता है तथा 35 प्रतिशत बीज बाहर से मंगाना पड़ता है। उन्होंने रतलाम जिले में घौलावड़, मंदसौर जिले में गांधीसागर तथा उज्जैन जिले में गंभीर बांध के निचले हिस्सों में हेचरी बनाकर मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य शुरू किये जाने की प्रशंसा की।
पशुपालन कार्यक्रम के संदर्भ में हुई चर्चा के दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त ने सहमति व्यक्त की कि वर्तमान में दुधारू पशुओं के लिए प्रचलित 56 हजार रूपये के इकाई मूल्य को संशोधित किया जाना चाहिए ताकि हितग्राहियों द्वारा उपयुक्त दुघारू पशुओं की खरीदी की जा सके। एम.पी.स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड की प्रबंध संचालक श्रीमती शिखा दुबे ने बताया कि संभाग में वर्तमान में 32 लाख 29 हजार 853 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अधिक से अधिक दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध संघ का सदस्य बनने के लिए प्रेरित किया जाए।
बैठक में पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज गोयल, मध्य प्रदेश स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज़ डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक डॉ. व्ही.एस. निरंजन सहित मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ की प्रबंध संचालक श्रीमती कंचन जैन और एम.पी.स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड की प्रबंध संचालक श्रीमती शिखा दुबे तथा उज्जैन संभाग के कमिश्नर श्री प्रेमचन्द मीना खासतौर उपस्थित थे।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती रंजना चौधरी पिछले दिनों उज्जैन में उज्जैन संभाग के सभी जिला कलेक्टरों, कृषि अधिकारियों एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की बैठक में समीक्षा कर रही थी। बैठक में बताया गया कि उज्जैन संभाग में इस वर्ष रबी सीजन में प्रमुख फसलों में गेहूँ 3 लाख हेक्टेयर में तथा चना 4 लाख 80 हजार हेक्टेयर में बोनी की जायेगी।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती चौधरी ने कहा कि निर्वाचन कार्यक्रम निरंतर चलते रहेंगे और आचरण संहिता भी समय समय पर लगती रहेगी इससे लक्ष्य आधारित कार्यक्रमों की पूर्ति पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने हिदायत दी कि किसी भी तरह के अनुदान का 10 रूपया भी यदि सरेण्डर होता है तो यह प्रबंधकीय खामी माना जाएगा।
श्रीमती चौधरी ने सभी कृषि अधिकारियों को हिदायत दी कि जिलों में रबी मौसम में शत प्रतिशत बीज उपचारित किए जाएं, साथ ही बीज प्रतिस्थापन के लिए योजना तैयार करते समय पिछले 5 वर्षों के आंकड़ों का अध्ययन कर योजना बनाई जानी चाहिए।
बैठक में उज्जैन संभाग के विभिन्न जिला कलेक्टरों ने कृषि विभाग से संबंधित उपयोगी सुझाव कृषि उत्पादन आयुक्त के समक्ष रखे।
मछुआरों को मत्स्य बीज उत्पादन के लिये भी प्रेरित करें
बैठक में मत्स्य पालन के संदर्भ में हुई विस्तृत चर्चा के दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त ने जिला कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे वर्षाकाल के बाद ऐसे मौसमी तालाबों में जहाँ डेढ़ मीटर से तीन मीटर तक की गहराई का पानी उपलब्ध हो मछुआरों को मत्स्य पालन के लिये जरूरी सहायता सुलभ कराये।
उनहोंने बताया कि राज्य में आवश्यकता का केवल 65 प्रतिशत मत्स्य बीज का उत्पादन होता है तथा 35 प्रतिशत बीज बाहर से मंगाना पड़ता है। उन्होंने रतलाम जिले में घौलावड़, मंदसौर जिले में गांधीसागर तथा उज्जैन जिले में गंभीर बांध के निचले हिस्सों में हेचरी बनाकर मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य शुरू किये जाने की प्रशंसा की।
पशुपालन कार्यक्रम के संदर्भ में हुई चर्चा के दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त ने सहमति व्यक्त की कि वर्तमान में दुधारू पशुओं के लिए प्रचलित 56 हजार रूपये के इकाई मूल्य को संशोधित किया जाना चाहिए ताकि हितग्राहियों द्वारा उपयुक्त दुघारू पशुओं की खरीदी की जा सके। एम.पी.स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड की प्रबंध संचालक श्रीमती शिखा दुबे ने बताया कि संभाग में वर्तमान में 32 लाख 29 हजार 853 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अधिक से अधिक दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध संघ का सदस्य बनने के लिए प्रेरित किया जाए।
बैठक में पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज गोयल, मध्य प्रदेश स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज़ डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक डॉ. व्ही.एस. निरंजन सहित मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ की प्रबंध संचालक श्रीमती कंचन जैन और एम.पी.स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड की प्रबंध संचालक श्रीमती शिखा दुबे तथा उज्जैन संभाग के कमिश्नर श्री प्रेमचन्द मीना खासतौर उपस्थित थे।
0 comments:
Post a Comment