मोटे अनाज मक्का, ज्वार, बाजरा का
उपार्जन एक अक्टूबर से
राज्य
शासन ने इस साल के खरीफ विपणन वर्ष में धान एवं मोटे अनाज के उपार्जन की
प्रक्रिया भी ई-उपार्जन से करवाने की योजना बनाई है। धान एवं मोटे अनाज के
उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन 16 अगस्त से शुरू होगा जो 15 सितंबर तक
चलेगा। शासन द्वारा समस्त जिला कलेक्टर को धान ई-उपार्जन के लिए निर्धारित
समय-सीमा में कार्य करने के निर्देश दिए गये हैं।
खरीफ
विपणन मौसम में समर्थन मूल्य के अंतर्गत मोटे अनाज मक्का, ज्वार, बाजरा का
उपार्जन एक अक्टूबर से 31 जनवरी, 2013 तक तथा धान का उपार्जन एक नवम्बर से
31 जनवरी, 2013 तक किया जायेगा। शासन ने उपार्जन प्रक्रिया की जानकारी से
किसानों को भी अवगत करवाने को कहा हैं। उपार्जन कार्यक्रम के तहत किसानों
का पंजीयन संबंधित समिति द्वारा प्रत्येक निर्धारित खरीदी केन्द्र पर किया
जाएगा। कलेक्टर द्वारा प्रत्येक खरीदी केन्द्र के लिए खरीदी के क्षेत्र
(सर्विस एरिया) का निर्धारण किया गया है। किसानों के बीच खरीदी केन्द्र का
व्यापक प्रचार-प्रसार मुनादी आदि द्वारा करवाया जायेगा। जन-प्रतिनिधियों को
भी इसकी जानकारी दी जा रही है। किसानों का पंजीयन खरीदी केन्द्र स्तर पर
करने के निर्देश पहले ही दिये जा चुके हैं। यह भी जरूरी किया गया है कि
किसान की भूमि जिस सर्विस एरिया में स्थित हो, पंजीयन भी उसी खरीदी केन्द्र
में किया जाए, जो किसान अपने खरीदी केन्द्र में बदलाव करवाना चाहेंगें, वे
एक से दस अक्टूबर के बीच समिति स्तर पर खरीदी केन्द्र बदलवा सकेंगे। यह
बदलाव एक ही बार किया जा सकेगा।
पंजीयन
के बाद किसान की ऋण पुस्तिका में पंजीयन के बारे में प्रविष्टि करवाई
जाएगी। इससे एक किसान का एक बार, एक ही खरीदी केन्द्र पर पंजीयन सुनिश्चित
हो सकेगा। पटवारी से समस्त पंजीयनों का, तहसीलदारों द्वारा 10 प्रतिशत एवं
एसडीएम से 5 प्रतिशत पंजीयन का फील्ड वेरीफिकेशन विशेष रूप से बोनी
क्षेत्रफल का प्रमाणीकरण अनिवार्यतः करवाया जाएगा। बाद में पुनः संशोधित
जानकारी की प्रविष्टि ऋण पुस्तिका में करवाई जाएगी।
शासन
द्वारा निर्धारित खरीफ उपार्जन केन्द्रों पर हार्डवेयर आदि की व्यवस्थाएँ
जिला कलेक्टरों द्वारा सुनिश्चित की गई हैं। खरीफ की खरीदी प्रक्रिया भी
वही होगी जो रबी के लिए निर्धारित थी। यह अनिवार्य नहीं किया गया है कि
किसानों द्वारा सहकारी समिति में अपना खाता खुलवाया जाए। कलेक्टरों से कहा
गया हैं कि भुगतान की सुविधा की दृष्टि से पंजीयन के पूर्व किसानों को
सहकारी समिति में खाता खुलवाने के लिए प्रोत्साहित करें। खरीफ उपार्जन के
लिए जिन विभाग/संस्थाओं को कार्यों का दायित्व सौंपा गया है, उनमें एनआईसी,
सहकारिता, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम, को-ऑपरेटिव्ह बैंक आदि शामिल हैं।
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