ग्रामीण आजीविका परियोजना से 9 जिलों के 2.83 लाख परिवार लाभान्वित
Bhopal:Monday, May 7, 2012
मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल 9 जिलों के 2 लाख 83 हजार परिवार ग्रामीण आजीविका परियोजना से लाभान्वित हुए हैं। यह परियोजना प्रदेश के धार, झाबुआ, बड़वानी, अलीराजपुर, श्योपुर, मण्डला, डिण्डोरी, शहडोल और अनूपपुर जिले में ब्रिटिश सरकार के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग के वित्तीय सहयोग से संचालित की जा रही थी। विगत 31 मार्च, 2012 को यह परियोजना पूर्ण हो चुकी है।
इस परियोजना के माध्यम से लाभान्वित परिवारों में से 83 हजार 811 परिवारों की मासिक आय बढ़कर 3 हजार रुपये से अधिक हो चुकी है। परियोजना के जरिये 25 हजार 933 ग्रामीण श्रमिक परिवारों को भी आजीविका गतिविधियों से जोड़ा गया है। इसके साथ ही परियोजना क्षेत्र में 97 रोजगार मेलों और शिविरों का आयोजन कर 26 हजार युवाओं का चयन किया गया है।मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल 9 जिलों के 2 लाख 83 हजार परिवार ग्रामीण आजीविका परियोजना से लाभान्वित हुए हैं। यह परियोजना प्रदेश के धार, झाबुआ, बड़वानी, अलीराजपुर, श्योपुर, मण्डला, डिण्डोरी, शहडोल और अनूपपुर जिले में ब्रिटिश सरकार के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग के वित्तीय सहयोग से संचालित की जा रही थी। विगत 31 मार्च, 2012 को यह परियोजना पूर्ण हो चुकी है।
इनमें करीब 14 हजार युवा विभिन्न रोजगार से जुड़ चुके हैं। आजीविका गतिविधियों के रूप में 5,556 युवा कारीगरों को अगरबत्ती, सीसल, न्यूरोथैरेपी, लकड़ी खिलौने, गोंद, हाथ-करघा, हीरा तराशी, दोना-पत्तल निर्माण, वॉयर-बाइंडिंग, मार्केटिंग, स्पिनिंग जैसे रोजगार-मूलक कार्यों का प्रशिक्षण दिया गया है। परियोजना क्षेत्र में 41 नये हाट की स्थापना की गई है। रोजगार मूलक गतिविधियों से परियोजना क्षेत्र में काम की तलाश में होने वाले पलायन को रोकने में मदद मिली है।
परियोजना के जरिये महिलाओं के सशक्तिकरण तथा परिवारों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में भी मदद मिली। कुल 10 हजार 199 स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है, जिसमें 68 फीसदी महिला समूह हैं। इस दौरान 1 लाख 85 हजार हितग्राहियों को सरकार द्वारा संचालित विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से लाभान्वित किया गया। इनमें 1 लाख 20 हजार महिला हितग्राही शामिल हैं, जिन्हें जननी सुरक्षा और लाड़ली लक्ष्मी योजना सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर बनाने के लिये 3,064 आकस्मिक कोष तथा 446 अन्य कोष बनाए गए। इनमें से निर्धन परिवारों के लिये ग्राम कोष की 75 फीसदी राशि और महिलाओं के लिये 46 प्रतिशत राशि का उपयोग हुआ है। बड़वानी एवं झाबुआ में 2 समुदाय आधारित माइक्रो क्रेडिट फायनेंस संस्थाएँ पंजीकृत हुई हैं, जिनमें 2,010 सदस्य हैं। इसी तरह मण्डला एवं श्योपुर जिलों में लघु वनोपज विपणन प्रोड्यूसर कम्पनी तथा अनूपपुर में अगरबत्ती फेडरेशन का पंजीकरण किया गया है।
परियोजना के जरिये कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के भी सफल प्रयास हुए। परियोजना क्षेत्र के 1262 गाँव की 17 हजार 201 हेक्टेयर भूमि पर 50 हजार किसानों के साथ धान की एसआरआई पद्धति द्वारा उत्पादन का सफल प्रयोग हुआ है। फसल उत्पादकता में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। करीब 76 हजार किसान द्वारा 18 हजार 325 हेक्टेयर भूमि पर व्यावसायिक सब्जी उत्पादन किया जा रहा है।
परियोजना के जरिये महिलाओं के सशक्तिकरण तथा परिवारों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में भी मदद मिली। कुल 10 हजार 199 स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है, जिसमें 68 फीसदी महिला समूह हैं। इस दौरान 1 लाख 85 हजार हितग्राहियों को सरकार द्वारा संचालित विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से लाभान्वित किया गया। इनमें 1 लाख 20 हजार महिला हितग्राही शामिल हैं, जिन्हें जननी सुरक्षा और लाड़ली लक्ष्मी योजना सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर बनाने के लिये 3,064 आकस्मिक कोष तथा 446 अन्य कोष बनाए गए। इनमें से निर्धन परिवारों के लिये ग्राम कोष की 75 फीसदी राशि और महिलाओं के लिये 46 प्रतिशत राशि का उपयोग हुआ है। बड़वानी एवं झाबुआ में 2 समुदाय आधारित माइक्रो क्रेडिट फायनेंस संस्थाएँ पंजीकृत हुई हैं, जिनमें 2,010 सदस्य हैं। इसी तरह मण्डला एवं श्योपुर जिलों में लघु वनोपज विपणन प्रोड्यूसर कम्पनी तथा अनूपपुर में अगरबत्ती फेडरेशन का पंजीकरण किया गया है।
परियोजना के जरिये कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के भी सफल प्रयास हुए। परियोजना क्षेत्र के 1262 गाँव की 17 हजार 201 हेक्टेयर भूमि पर 50 हजार किसानों के साथ धान की एसआरआई पद्धति द्वारा उत्पादन का सफल प्रयोग हुआ है। फसल उत्पादकता में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। करीब 76 हजार किसान द्वारा 18 हजार 325 हेक्टेयर भूमि पर व्यावसायिक सब्जी उत्पादन किया जा रहा है।
इन किसानों को उत्पादन का उचित दाम दिलाने के लिये आजीविका फ्रेश के 31 आउटलेट्स खोले हैं। परियोजना के जरिये 2,643 कृषकों को खरीफ प्याज उत्पादन से जोड़ा गया है। इसके साथ ही बैगा समुदाय के 1202 आदिवासी किसानों को उन्नत कृषि की तकनीक सिखाई गई।
परियोजना के माध्यम से 1418 कृषक की 1769 हेक्टेयर भूमि का जैविक प्रमाणीकरण कराया गया। डिण्डोरी में किसानों की प्रोड्यूसर कम्पनी तथा परियोजना क्षेत्र में 64 सहकारी बीज उत्पादन समितियों का पंजीकरण हुआ।
पशुपालन के माध्यम से भी आजीविका गतिविधियों को सुदृढ़ बनाया गया है। परियोजना क्षेत्र में 1470 सुअर-पालन इकाइयों को उन्नत प्रबंधन तकनीक से जोड़ा गया। डिण्डोरी में रानी दुर्गावती मुर्गा-पालक संघ की 312 महिला सदस्यों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद मिली है। इन महिलाओं को दस हजार से तेरह हजार रुपये वार्षिक की अतिरिक्त आय हो रही है।
पशुपालन के माध्यम से भी आजीविका गतिविधियों को सुदृढ़ बनाया गया है। परियोजना क्षेत्र में 1470 सुअर-पालन इकाइयों को उन्नत प्रबंधन तकनीक से जोड़ा गया। डिण्डोरी में रानी दुर्गावती मुर्गा-पालक संघ की 312 महिला सदस्यों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद मिली है। इन महिलाओं को दस हजार से तेरह हजार रुपये वार्षिक की अतिरिक्त आय हो रही है।
0 comments:
Post a Comment