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Thursday, April 26, 2012

प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करें

रीवा-शहडोल संभाग में रबी की समीक्षा  बैठक सम्पन्न

Bhopal:Thursday, April 26, 2012

  रबी वर्ष 2011-12 में शहडोल संभाग में उत्पादन में 21 प्रतिशत और उत्पादकता प्रति किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 24.12 प्रतिशत की और रीवा संभाग में उत्पादन में 22 प्रतिशत और उत्पादकता में प्रति हेक्टेयर किलोग्राम में 18 प्रतिशत वृद्धि हुई है। यह जानकारी रीवा और शहडोल संभाग में रबी की समीक्षा और खरीफ की तैयारी संबंधी बैठक में दी गई। सतना में सम्पन्न इस बैठक की अध्यक्षता कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एम.एम. उपाध्याय ने की।


बैठक में श्री उपाध्याय ने कहा कि रीवा और शहडोल संभाग में प्रति हेक्टेयर फसलों का उत्पादन और बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए पर्याप्त कृषि उपकरण उपलब्ध कराने के साथ-साथ किसानों में जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान स्तर पर कार्रवाई की जानी चाहिए। बैठक में प्रमुख सचिव कृषि श्री आर.के. स्वाई, मार्कफेड के प्रबंध संचालक श्री अजय तिर्की, रीवा, शहडोल के प्रभारी संभागायुक्त और सभी कलेक्टर, कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता, एम.पी. एग्रो के अधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में शहडोल और रीवा संभाग में रबी 2011-12 की स्थिति, खरीफ फसल 2012 की तैयारी, क्षेत्राच्छादन, पड़त भूमि विकास, बलराम ग्राम और फसल उत्पादकता में वृद्धि, उर्वरकों के अग्रिम भण्डारण, उद्यानिकी विकास और परि-सम्पत्तियों के अभिलेखीकरण, सहकारिता और कृषि ऋण तथा क्रेडिट-कार्ड वितरण आदि की समीक्षा की गयी।

उल्लेखनीय है कि खरीफ वर्ष 2012 के लिए शहडोल संभाग में 449 हजार हेक्टेयर और रीवा संभाग में 801 हजार हेक्टेयर में क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य रखा गया है। इस वर्ष दोनों संभागों में 6,480 हेक्टेयर क्षेत्र में गहरी जुताई का लक्ष्य भी निर्धारित है।

कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत भूमि अधिकार-पत्र धारक हितग्राहियों के क्रेडिट-कार्ड का वितरण 31 मई तक पूरा किया जाये। इसी प्रकार अनुसूचित-जाति, जनजाति के किसानों और बलराम ग्राम के किसानों को अधिकाधिक कृषि ऋण उपलब्ध करवाने की कार्रवाई की जाये।

यंत्रदूत गाँव के किसानों से चर्चा

श्री उपाध्याय ने बुधवार को सतना प्रवास के दौरान कृषि अभियांत्रिकी कार्यशाला में जिले के मतहा, डठिया और गोबराव खुर्द यंत्रदूत गाँवों के किसानों से रू-ब-रू चर्चा की। गोबराव खुर्द के किसान रणजीत सिंह ने बताया कि गहरी जुताई अपनाने तथा रिज फेरा पद्धति से सोयाबीन की बुवाई से उन्हें लगभग तीन गुना उत्पादन इस वर्ष प्राप्त हुआ है। 
एस.आर.ए. पद्धति से धान की फसल लेने पर काफी पैदावार हुई है। जीरो टिल से बुवाई करने पर बीज की बचत और उत्पादन में वृद्धि हुई है। मतहा के किसान गुड्डू ने बताया कि उन्होंने कुफरी ज्योति और चिपसोना आलू बोया था, जिसमें 110 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन मिला है। 
इसी प्रकार बद्री सिंह और मतहा के किसान ने बताया कि अब उनके गाँव में छिटुआ पद्धति से बीज बोनी बिल्कुल खत्म हो गई है। कृषि उपकरणों के उपयोग से हुए फसल उत्पादन को देखकर आसपास के गाँव के किसान भी उन्नत तकनीकी अपना रहे हैं।
 डढिया गाँव के श्री बैजनाथ सिंह ने बताया कि वे सोयाबीन से दूध और पनीर तैयार कर रहे हैं। कृषि उत्पादन आयुक्त ने मतहा को केन्द्र बिन्दु बनाकर आसपास के बीस गाँवों का क्लस्टर तैयार कर कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये।

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