ए-कृशिगत एवं यांन्निक नियंन्नण- फसल कटने के बाद गहरी जुताइ्र करे । बिजली की सुविधा होने पर प्रकाच्च प्रपंच का उपयोग रान्नि ८ बजे तक ही करे ताकि एकत्रित हानिकारक कीटो को नष्ट किया जा सकें । बोनी जल्दी करे । मेड पर उगे खरपतवारों को नश्ट करें । कीट प्रतिरोधी जातियां-असिंचित में सी-२१४ एवं सिंचित में जी-१३०, जेजी-३२२ जेजी-१६ जेजी-११ पूसा-३७२ आदि का उपयोग करे ।
बी-जैविक नियंन्नण-खेतों में उपलब्ध जैविक कीट जैसे-कम्पोलोटिस क्लोरिडी इल्ली परजीवी लेडीवड वीटल, कायसोपा एवं परभक्षी मकडियों का संरक्षण करें । फसल में एक फुट ऊंची मुडी हुई लकडियां अथवा टी आकार की खूटियां प्रति हेक्टर १० से १२ स्थान पर गडा दे, ताकि पक्षी इन पर बैठकर इल्ली को खाकर नियंन्नण कर सकें । नीम तेल ००.३ प्रतिशत २.५० लीटर, ५०० लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर की दर से छिडकाव करे । १५ से २० किलों नीम पत्तियां डालियों सहित २०० लीटर पानी में भिगोकर छांव में रखे तथा पानी पीला होने तक गहने दे, पश्चात छानकर स्प्रे करे । यह एक एकड के लिए पर्याप्त है । आधा किलों लहसुन और आधा किलों हरी मिर्च बारीक पीसकर पानी में घोल ले छानकर २०० लीटर पानी में मिलकर इसमें १०० ग्राम साबुन पाऊडर भी मिला दे पश्चात एक एकड फसल पर छिडकाव करे ।
आधा किलों तम्बाखू की सूखी पत्ती २-३ लीटर पानी में उबाले और काडा बना ले इस काडे को छानकर प्रति स्प्रे पंप टंकी में ३० मि.ली.मिलाकर छिडकाव करे । गौ मून्न को बाटल या बडे कांच के बर्तन में भरकर धूप में रखे पुराना होने पर १५० से २०० मिली.गौर मन्न १५ लीटर प्रति पंप के हिसाब से स्प्रे करे । एक एकड के लिए १०-१२ पंप स्प्रे की आवच्च्यकता होगी ।
सी-रासायनिक नियंन्नण-इल्ली का अत्याधिक प्रकोप प्रति मीटर २ या २ से अधिक होने पर निम्न में से किसी एक कीटनाच्चक दवा का छिडकाव करें ं एक हेक्टर के लिए ५०० लीटर घोल का उपयोग करे । कीटनाच्चक एवं मान्ना प्रति हेक्टर -प्रोफेनोफास ५० ईसी-१.०० लीटर प्रति हेक्टर, क्यूनालफास २५ ईसी-१.२५ लीटर प्रति हेक्टर, ट्रायजोफास ४० ईसी-१.०० लीटर प्रति हेक्टर, प्रोफेनोफास +सायपरमेथिन ५० ईसी-१.०० लीटर प्रति हेक्टर, ट्रायजोफास ३६ ईसी+डेल्टामेथन १ प्रतिच्चत-१.०० लीटर प्रति हेक्टर तथा मैथोमिल ७५ प्रतिच्चत डब्लूपी-१.०० किलोग्राम प्रति हेक्टर ।
छोटी अवस्था की इल्ली पर क्यूनालफास १५ प्रतिच्चत चूर्ण या मिथाईल पैराथियान २ प्रतिशत चूर्ण या फेनवेंलरेट ०४ प्रतिशत चूर्ण का २५ कि./हेक्टर की दर से भुरकाव करे, आवश्यकता पडने पर १५ दिनों बाद दूसरा छिडकाव/भुरकाव करे बडी अवस्था की इल्ली के नियंन्नण के लिए क्रमांक २ एवं उसके नीचे लिखी दवाओं का उपयोग करे ।
कीटनियंन्नण हेतु विभाग की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अनुदान पर विकास खण्ड स्तर पर कृशकों हेतु कीटनाच्चक दवाये उपलब्ध है । कृशकों को विच्च्वसनीय एवं गुणवक्ता युक्त दवाइयां मिले इसके लिए आवश्यक है कि किसान निजी विक्रेताओं से कीटनाच्चक/नीदानाशक खरीदते समय उसका पक्का बिल अवश्य प्राप्त करे जिसमें दवाइयां का नाम बैच नं.एवं निर्माण/अवधि तिथि अंकित रहे । किसान भाई अपने क्षेन्न के वरिश्ठ कृशि विकास अधिकारी /ग्रामीण कृशि विस्तार अधिकारी से भी अधिक जानकारी एवं समस्या के निदान हेतु मार्गदर्च्चन प्राप्त कर सकते है । साथ ही किसान भाई अपने खेत में बैठे-बैठे ही निःशु ल्क किसान कॉल सेन्टर-१८००-२३३-४४३३ पर अपनी समस्याओं के बारे में बात कर अपनी समस्या समाधान कर सकते है ।
पाले से फसलों को बचाने के उपाय-मौसम में अत्याधिक ठंड प्रारंभ होने से फसलों में पाले से प्रभावित होने की संभावना अत्याधिक है, अतः कृशकों को सलाह दी जाती है कि वे खेतों में हल्के पानी से सिंचाई करे ताकि नमी बनी रहे अथवा खेतों के चारों तरफ आग जलाकर धुआ करे अथवा दलहनी फसलों में २ प्रतिच्चत यूरिया या डी.ए.पी.का पर्णीय छिडकाव करे ताकि फसले पाले से सुरक्षित रह सके । डी.ए.पी.का छिडकाव करने के लिए एक दिन पहले घोल बना लें ।
उगरा रोग बिल्ट के नियंन्नण के उपाय-उगरा रोग बिल्ट के नियंन्नण के उपाय के लिए भी फसलों में सिंचाई करते रहे है अर्थात खेत में नमी बनी रहे जिससे इस रोग कम नुकसान हो सके इसके अलावा कॉबान्डिजम+मिन्कोजेब का मिश्रण २५० ग्राम दवा का ३००-४०० लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड छिडकाव करे ।
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बी-जैविक नियंन्नण-खेतों में उपलब्ध जैविक कीट जैसे-कम्पोलोटिस क्लोरिडी इल्ली परजीवी लेडीवड वीटल, कायसोपा एवं परभक्षी मकडियों का संरक्षण करें । फसल में एक फुट ऊंची मुडी हुई लकडियां अथवा टी आकार की खूटियां प्रति हेक्टर १० से १२ स्थान पर गडा दे, ताकि पक्षी इन पर बैठकर इल्ली को खाकर नियंन्नण कर सकें । नीम तेल ००.३ प्रतिशत २.५० लीटर, ५०० लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर की दर से छिडकाव करे । १५ से २० किलों नीम पत्तियां डालियों सहित २०० लीटर पानी में भिगोकर छांव में रखे तथा पानी पीला होने तक गहने दे, पश्चात छानकर स्प्रे करे । यह एक एकड के लिए पर्याप्त है । आधा किलों लहसुन और आधा किलों हरी मिर्च बारीक पीसकर पानी में घोल ले छानकर २०० लीटर पानी में मिलकर इसमें १०० ग्राम साबुन पाऊडर भी मिला दे पश्चात एक एकड फसल पर छिडकाव करे ।
आधा किलों तम्बाखू की सूखी पत्ती २-३ लीटर पानी में उबाले और काडा बना ले इस काडे को छानकर प्रति स्प्रे पंप टंकी में ३० मि.ली.मिलाकर छिडकाव करे । गौ मून्न को बाटल या बडे कांच के बर्तन में भरकर धूप में रखे पुराना होने पर १५० से २०० मिली.गौर मन्न १५ लीटर प्रति पंप के हिसाब से स्प्रे करे । एक एकड के लिए १०-१२ पंप स्प्रे की आवच्च्यकता होगी ।
सी-रासायनिक नियंन्नण-इल्ली का अत्याधिक प्रकोप प्रति मीटर २ या २ से अधिक होने पर निम्न में से किसी एक कीटनाच्चक दवा का छिडकाव करें ं एक हेक्टर के लिए ५०० लीटर घोल का उपयोग करे । कीटनाच्चक एवं मान्ना प्रति हेक्टर -प्रोफेनोफास ५० ईसी-१.०० लीटर प्रति हेक्टर, क्यूनालफास २५ ईसी-१.२५ लीटर प्रति हेक्टर, ट्रायजोफास ४० ईसी-१.०० लीटर प्रति हेक्टर, प्रोफेनोफास +सायपरमेथिन ५० ईसी-१.०० लीटर प्रति हेक्टर, ट्रायजोफास ३६ ईसी+डेल्टामेथन १ प्रतिच्चत-१.०० लीटर प्रति हेक्टर तथा मैथोमिल ७५ प्रतिच्चत डब्लूपी-१.०० किलोग्राम प्रति हेक्टर ।
छोटी अवस्था की इल्ली पर क्यूनालफास १५ प्रतिच्चत चूर्ण या मिथाईल पैराथियान २ प्रतिशत चूर्ण या फेनवेंलरेट ०४ प्रतिशत चूर्ण का २५ कि./हेक्टर की दर से भुरकाव करे, आवश्यकता पडने पर १५ दिनों बाद दूसरा छिडकाव/भुरकाव करे बडी अवस्था की इल्ली के नियंन्नण के लिए क्रमांक २ एवं उसके नीचे लिखी दवाओं का उपयोग करे ।
कीटनियंन्नण हेतु विभाग की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अनुदान पर विकास खण्ड स्तर पर कृशकों हेतु कीटनाच्चक दवाये उपलब्ध है । कृशकों को विच्च्वसनीय एवं गुणवक्ता युक्त दवाइयां मिले इसके लिए आवश्यक है कि किसान निजी विक्रेताओं से कीटनाच्चक/नीदानाशक खरीदते समय उसका पक्का बिल अवश्य प्राप्त करे जिसमें दवाइयां का नाम बैच नं.एवं निर्माण/अवधि तिथि अंकित रहे । किसान भाई अपने क्षेन्न के वरिश्ठ कृशि विकास अधिकारी /ग्रामीण कृशि विस्तार अधिकारी से भी अधिक जानकारी एवं समस्या के निदान हेतु मार्गदर्च्चन प्राप्त कर सकते है । साथ ही किसान भाई अपने खेत में बैठे-बैठे ही निःशु ल्क किसान कॉल सेन्टर-१८००-२३३-४४३३ पर अपनी समस्याओं के बारे में बात कर अपनी समस्या समाधान कर सकते है ।
पाले से फसलों को बचाने के उपाय-मौसम में अत्याधिक ठंड प्रारंभ होने से फसलों में पाले से प्रभावित होने की संभावना अत्याधिक है, अतः कृशकों को सलाह दी जाती है कि वे खेतों में हल्के पानी से सिंचाई करे ताकि नमी बनी रहे अथवा खेतों के चारों तरफ आग जलाकर धुआ करे अथवा दलहनी फसलों में २ प्रतिच्चत यूरिया या डी.ए.पी.का पर्णीय छिडकाव करे ताकि फसले पाले से सुरक्षित रह सके । डी.ए.पी.का छिडकाव करने के लिए एक दिन पहले घोल बना लें ।
उगरा रोग बिल्ट के नियंन्नण के उपाय-उगरा रोग बिल्ट के नियंन्नण के उपाय के लिए भी फसलों में सिंचाई करते रहे है अर्थात खेत में नमी बनी रहे जिससे इस रोग कम नुकसान हो सके इसके अलावा कॉबान्डिजम+मिन्कोजेब का मिश्रण २५० ग्राम दवा का ३००-४०० लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड छिडकाव करे ।
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