एप्को) द्वारा आयोजित एक कार्यशाला
भारत जैव विविधता के मामले में विश्व में सर्वोपरि है एवं विश्व में जीवन की उत्पत्ति के सात में से तीन केन्द्र भारत में रहे हैं। यह बात प्रख्यात वन्यप्राणी विशेषज्ञ श्री एच.एस. पवार ने विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में कही। वन्य, जैव विविधता एवं जलवायु परिवर्तन विषय पर आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण श्री आलोक श्रीवास्तव ने की।श्री पवार ने विश्व तापक्रम वृद्धि की समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव अपनी स्वभावगत कमजोरियों के कारण स्वयं को प्रकृति के केन्द्र में मानकर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है। इस कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि वनों को पुर्नस्थापित किया जाए एवं आदिवासियों को इस प्रयास में सहभागी बनाया जाए। अपने व्याख्यान के अंत में उन्होंने कहा कि भारत में वनों को पुर्नस्थापित करने के लिए बहुत बड़ी धनराशि की आवश्यकता होगी। मध्यप्रदेश में यह कार्य किया जा सकता है क्योंकि यहां इसके लिये विस्तृत भू-भाग उपलब्ध है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री ए.के. दुबे ने अपने व्याख्यान में प्रदेश में वन संरक्षण के क्षेत्र में आ रही समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सरकार द्वारा सीमित संसाधनों के बावजूद वन क्षेत्रों का समुचित रूप से विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वनों को पूर्णरूपेण मानवमुक्त क्षेत्र बनाने के लिए बहुत बड़ी धनराशि की आवश्यकता होगी। जबकि अभी केन्द्र सरकार से प्रदेश को अपर्याप्त राशि ही मिल रही है।
प्रमुख सचिव श्री आलोक श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में वन, वन्यप्राणी, जैव विविधता और पर्यावरण असंतुलन पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञों के बीच समूह चर्चा हुई और उन्होंने जिज्ञासु श्रोताओं के प्रश्नों के समाधानकारक उत्तर भी दिये।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री ए.के. दुबे ने अपने व्याख्यान में प्रदेश में वन संरक्षण के क्षेत्र में आ रही समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सरकार द्वारा सीमित संसाधनों के बावजूद वन क्षेत्रों का समुचित रूप से विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वनों को पूर्णरूपेण मानवमुक्त क्षेत्र बनाने के लिए बहुत बड़ी धनराशि की आवश्यकता होगी। जबकि अभी केन्द्र सरकार से प्रदेश को अपर्याप्त राशि ही मिल रही है।
प्रमुख सचिव श्री आलोक श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में वन, वन्यप्राणी, जैव विविधता और पर्यावरण असंतुलन पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञों के बीच समूह चर्चा हुई और उन्होंने जिज्ञासु श्रोताओं के प्रश्नों के समाधानकारक उत्तर भी दिये।
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