8 लाख मैट्रिक टन के लिये खाली पड़े हैं गोदाम
अधिकाधिक किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी के साथ ही राज्य सरकार इसके उचित भण्डारण के लिए भी मुस्तैद है। इसके लिए हर ज़रूरी इंतज़ाम किया जाएगा। पिछले दो दिनों में प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी के चलते कहीं से भी फिलहाल खुले में रखे गए गेहूँ के खराब होने की सूचना राज्य नियंत्रण कक्ष को नहीं मिली है।
इसके बावजूद खरीदी कर रही एजेंसियों, सहकारी समितियों को जहां कहीं खुले में गेहूँ रखा है और इसके कैप स्टोरेज का प्रबंध किया गया है वहां गेहूँ को व्यवस्थित और मुनासिब तरीके से ढंकने के लिये कहा गया है। अभी गोदामों को लेकर कोई हड़बड़ाहट इसलिये नहीं है कि उपार्जित गेहूँ में से इसकी 8 से 9 लाख मैट्रिक टन मात्रा को रख सकने वाले मौजूदा उपलब्ध गोदामों में इसे पहुंचाया जा रहा है।
इसी वजह से जल्द परिवहन के लिये ट्रकों का भी जरूरत पड़ने पर अधिग्रहण कर उनके जरिए माल को इन गोदामों तक पहुंचाया जा सकेगा। उधर गेहूँ खरीदी लगातार जारी है लेकिन सच्चाई यह भी है कि कई स्थानों पर इसकी आवक धीरे-धीरे कम होने लगी है।
समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी की योजना किसानों के हर वर्ग को सीधे तौर पर लाभान्वित करने वाली सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना है। इस तथ्य के मद्देनज़र प्रदेश में अधिकाधिक किसानों से गेहूँ खरीदने की नीति पर काम हो रहा है।
समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी की योजना किसानों के हर वर्ग को सीधे तौर पर लाभान्वित करने वाली सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना है। इस तथ्य के मद्देनज़र प्रदेश में अधिकाधिक किसानों से गेहूँ खरीदने की नीति पर काम हो रहा है।
इस योजना पर अत्यंत प्रभावी ढंग से अमल के चलते यहां तक कि प्रचुर गेहूँ उत्पादन वाले कई राज्य भी समर्थन मूल्य पर इसकी खरीदी में मध्यप्रदेश से पीछे छूट चुके हैं। प्रदेश में इस योजना के सारे सामाजिक-आर्थिक पहलुओं, प्रभावों पर विचार कर अमल की ठोस रणनीति के तहत काम होता है।
किसानों को फसल का वाजिब मूल्य दिलाना, बिचौलियों से उन्हें शोषणमुक्त करना, समर्थन मूल्य के अलावा बोनस भी देना और उपार्जित गेहूँ से पूरे साल सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित करना राज्य सरकार की इस सिलसिले में बनाई कार्ययोजना के प्रमुख तत्व थे।
बड़ी मात्रा में उपार्जित गेहूँ के भण्डारण की फिक्र राज्य सरकार लगातार कर रही है। उसे यह भी बेहतर मालूम है कि मौसमी करवटों से खुले में रखे गेहूँ पर क्या असर हो सकता है। इस सबके मद्देनज़र ही पहले से खुद की एजेंसियों के अधीन सारे गोदामों के अलावा किराए के निजी गोदामों के इंतजाम और जरूरत पड़ने पर उनके अधिग्रहण तक की समूची कार्रवाई सरकार कर रही है।
बड़ी मात्रा में उपार्जित गेहूँ के भण्डारण की फिक्र राज्य सरकार लगातार कर रही है। उसे यह भी बेहतर मालूम है कि मौसमी करवटों से खुले में रखे गेहूँ पर क्या असर हो सकता है। इस सबके मद्देनज़र ही पहले से खुद की एजेंसियों के अधीन सारे गोदामों के अलावा किराए के निजी गोदामों के इंतजाम और जरूरत पड़ने पर उनके अधिग्रहण तक की समूची कार्रवाई सरकार कर रही है।
बहुत बड़े स्तर पर होने वाले इस काम में परिवहन का घटक भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। लिहाजा इसके हरसंभव उपाय करने की ठानी गई है जिनमें ट्रकों का अधिग्रहण भी अब शामिल रहेगा। इसके निर्देश जारी कर दिये गये हैं।
समितियों से यह कहा गया है कि यदि उनके क्षेत्रों में गेहूँ खुले में रखा है तो वे मौसम के मुताबिक उसे सुरक्षित ढंग से ढंकने और संरक्षण के अन्य उपाय करने में कोताही न करें।
समितियों से यह कहा गया है कि यदि उनके क्षेत्रों में गेहूँ खुले में रखा है तो वे मौसम के मुताबिक उसे सुरक्षित ढंग से ढंकने और संरक्षण के अन्य उपाय करने में कोताही न करें।
0 comments:
Post a Comment