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Saturday, May 15, 2010

्रामीण क्षेत्रों में परिवहन के लिए बस-टैक्सी परमिट

 मध्यप्रदेश का विकास हमारा मिशन
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने मध्यप्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र के अंतिम दिन आज राजस्व प्रकरणों के निपटारे के लिए समय सीमा निर्धारित करने, एक हजार जनसंख्या तक के गांवों के लिए मुख्यमंत्री नल-जल योजना, खेतों तक पहुंच के लिए सड़क निर्माण, शासकीय भवनों के निर्माण तथा रखरखाव के लिए पृथक इकाई, किसानों को
ऋण पुस्तिका के साथ खसरे की नकल, आवश्यक होने पर खेती की जमीन न्यूनतम पांच लाख रुपये एकड़ की दर से अर्जित करने, ग्रामीण आवास मिशन, असंगठित मजदूरों-गरीबों के कल्याण की योजनाओं के लिए पृथक मंत्री, मेला विकास प्राधिकरण के गठन, कुपोषण समाप्त करने तथा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अटल बाल आरोग्य मिशन, ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय कर्मचारियों के बेहतर कार्य संपादन के लिए जनमित्र योजना, ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधा के लिए बस तथा टेक्सी के परमिट तथा गांव की आबादी की मकानों के पट्टे का प्रावधान किए जाने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री श्री चौहान राज्य विधानसभा के विशेष सत्र के चौथे एवं अंतिम दिन स्वर्णिम मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए विधायकों के सुझावों के आधार पर तैयार किए गए संकल्प पत्र को प्रस्तुत कर रहे थे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश का विकास हमारा मिशन है तथा हम अभी भी विकास के लिए प्रतिपक्ष का सहयोग चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा का यह विशेष सत्र ऐतिहासिक है जिसमें समृद्धि के लिए संकल्प के रूप में रोडमेप तैयार किया गया है। सभी के सहयोग से ही स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनेगा।

श्री चौहान ने कहा कि पिछले वर्षों में विकास की दिशा में काफी काम हुआ है। वर्ष 2003 में राज्य की विकास दर 0.67 प्रतिशत थी जो वर्ष 2009 में बढ़क 8.67 प्रतिशत हो गई है। हमारा प्रयास होगा कि न्यूनतम विकासदर 9 प्रतिशत तक बनाई रखी जाये।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बिजली का उत्पादन अकेले प्रदेश सरकार के हाथ में नहीं है। उन्होंने कहा कि केन्द्र द्वारा विभिन्न स्वीकृतियों में विलंब से परियोजना लागत तो बढ़ती ही है विकास भी अवरुद्ध होता है। उन्होंने कहा कि वे केन्द्र सरकार से भी आग्रह करते हैं कि विकास के कामों में राजनीति नहीं हो।

मुख्यमंत्री ने अफसोस व्यक्त किया कि प्रदेश के ताप बिजली संयंत्रों को अमानक स्तर का पत्थर मिला कोयला प्रदाय किया जा रहा है। श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में पर्याप्त कोयले का भण्डार है। उन्होंने केन्द्र से मांग की कि प्रदेश की जरूरत का कोयला प्रदेश से उत्खनित कोयले से ही प्रदाय कर अनावश्यक परिवहन व्यय के बोझ से प्रदेश को मुक्ति दिलायें। मुख्यमंत्री ने जनता से भी अपील की कि वह वैधानिक तरीके से ही बिजली लें।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विशेष सत्र के समापन के अवसर पर अपने संबोधन में प्रदेश के साथ केन्द्र सरकार की नाइंसाफी के मुद्दों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने केन्द्र द्वारा प्रदेश की बी.पी.एल. परिवारों की 65 लाख की संख्या के विरुद्ध मात्र 42 लाख परिवारों के मान से खाद्यान्न आवंटन को राज्य के गरीबों के साथ अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि केन्द्र द्वारा प्रदेश के ताप विद्युतगृहों की जरूरत के हिसाब से कोयले की आपूर्ति नहीं किये जाने से प्रदेश के विद्युत उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
श्री चौहान ने कहा कि आज हालात यह हैं कि प्रदेश को अधिक कीमत पर कोयले के आयात के लिये मजबूर होना पड़ा है। श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश ने वनों का संरक्षण कर पूरे देश को प्राणवायु दी परन्तु केन्द्र ने केम्पा की राशि प्रदेश को प्रदाय नहीं की। 

उन्होंने कहा कि वन बचाने के लिये प्रदेश को केन्द्र द्वारा 8000 करोड़ की राशि प्रदाय की जानी चाहिये। श्री चौहान ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू करने के लिये अगले तीन साल में 5000 करोड़ की राशि देने की भी मांग केन्द्र सरकार से अपने संबोधन में की। उन्होंने कहा कि केन्द्र को प्रदेश की लम्बित रेल परियोजनाओं को भी शीघ्र स्वीकृति देना चाहिये।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में बजट राशि के समुचित और समय पर उपयोग के लिये बजट राशि के तिमाही आवंटन की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने बताया कि यह राशि भी विभाग की कार्ययोजना अनुसार ही आवंटित होगी। श्री चौहान ने कहा कि सभी विभागों को एक माह, तीन माह और सालाना कार्ययोजना बनाकर बजट राशि का उपयोग करने को कहा गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लघु उद्योगों को सच्चे अर्थों में प्रोत्साहन देने और शासकीय खरीदी में लघु उद्योग निगम की भूमिका को समाप्त कर शासकीय खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था की जायेगी।

श्री चौहान ने बताया कि सिटीजन चार्टर व्यवस्था को कारगर बनाने के उद्देश्य से आगामी मानसून सत्र में लोकसेवाओं की प्रदायगी की गारंटी विधेयक प्रस्तुत किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास पारदर्शी और प्रामाणिक प्रशासनिक व्यवस्था बनाने का है। 
उन्होंने कहा कि अच्छा काम करने वाले लोकसेवकों को पुरस्कृत किया जायेगा और भ्रष्टाचारी और लापरवाह अधिकारियों को दण्डित करने में भी कोई कोताही नहीं की जायेगी। श्री चौहान ने कहा कि शासकीय भुगतानों को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से ई-पेमेन्ट और सायबर ट्रेजरी व्यवस्था लागू की गई है।

श्री चौहान ने कहा कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए गेहूं तथा चावल पर बोनस की वर्तमान व्यवस्था जारी रखी जाएगी तथा तीन प्रतिशत दर पर सरकारी कृषि ऋण दिए जा रहे हैं। सब्जी फलों, फूलों तथा जड़ी बूटियों की खेती को बढ़ावा देकर उद्यानिकी के तहत रकबे को दुगना किया जाएगा। 

इसके साथ ही खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए गोदामों का बड़े पैमाने पर निर्माण किया जाएगा। प्रत्येक किसान को मिट्टी के हेल्थ कार्ड दिए जायेंगे। मंडियों का सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। खेती की जमीन के गैर कृषि कार्यों के लिए खरीदी को हतोत्साहित करने के लिए कदम उठाये जायेंगे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्थापित होने वाले उद्योगों में 50 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को सुनिश्चित ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि के लिए पशुपालन तथा डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा।

श्री चौहान ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में दस हजार करोड़ रुपये मूल्य तक की मछली का उत्पादन हो सकता है। मछुआरों को तीन प्रतिशत की दर से कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश अपेक्षाकृत शांत राज्य है। यहां सूचीबद्ध डाकू गिरोहों का सफाया किया जा चुका है। सिमी के नेटवर्क को ध्वस्त किया गया है तथा नक्सली गतिविधियों पर नियंत्रण है। राज्य सरकार पुलिस बल में वृद्धि जारी रखेगी। साथ ही पूर्व सैनिकों की तथा भारत रिजर्व बटालियन का गठन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला से इंग्लैण्ड ले जायी गयी देवी सरस्वती की मूर्ति को वापिस लाने के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया जाएगा।

श्री चौहान ने कहा कि शासकीय विभागों में कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए वर्षों से बंद भर्ती को पुन: शुरू किया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विधायकों ने स्वर्णिम मध्यप्रदेश के हिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। जो सुझाव तत्काल अमल किए जाने योग्य पाये गए हैं उन पर शीघ्र अमल सुनिश्चित किया जाएगा। श्री चौहान ने कहा कि विधायकों द्वारा विधानसभा क्षेत्रों मे विकास योजना की समीक्षा बैठकें तीन माह के स्थान पर अब दो माह में होगी। उन्होंने कहा कि सबके सहयोग से ही समृद्ध स्वर्णिम मध्यप्रदेश का निर्माण होगा।

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