अब लोगों को 55 लीटर प्रति व्यक्ति पानी देने के लक्ष्य
ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने और इसके लिये भू-जल स्तर में वृद्धि करने के विषय पर ग्रामीण स्वच्छता एवं पेयजल वितरण पर शुरू हुई राज्य स्तरीय कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञों के साथ मैदानी, प्रशासनिक अधिकारियों के बीच चर्चा और विमर्श का दौर के बाद यह तय किया गया कि उन सभी तकनीकों और नवाचारों को देशव्यापी बनाया जाये जिनसे लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सके और घटते भू-जल के स्तर को बढ़ाया जा सके।
कार्यशाला के दूसरे दिन ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल मुद्दे पर विमर्श की शुरूआत करते हुये भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय में सचिव श्रीमती राजवंत संधू ने ने कहा कि लोगों तक शुद्ध जल, पेयजल उपलब्ध कराने की एक बड़ी चुनौति आज हमारे सामने हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा पेयजल योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान दिया जाये ताकि उसके परिणामों से हम अधिकाधिक बसाहटों को पानीदार बना सके।लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव श्री आर.के. स्वाई ने प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराने के प्रयासों की जानकारी देते हुये बतलाया कि अब लोगों को 40 लीटर प्रति व्यक्ति पानी देने के लक्ष्य को 55 लीटर प्रति व्यक्ति कर बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि हम गाँवो को स्थाई जल स्त्रोतों से जोड़ें।
भारत सरकार में संयुक्त सचिव श्री टी.एम. विजय भास्कर ने जल संरक्षण की तकनीकों विशेषकर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रस्तुतिकरण करते हुये कहा कि हमें इस मामले में निर्धारित मार्गदर्शिकाओं का प्रभावी ढ़ंग से पालन करना चाहिए तभी हम वास्तविक रूप में लोगों तक लाभ पहुँचा पायेंगे।
कार्यशाला के दूसरे दिन का दूसरा सत्र प्रदेश के विभिन्न जिलों में जल वितरण और संरक्षण के लिये अपनाई जा रही तकनीकों की जानकारी दी गई। ग्राम पंचायत अमोदा जिला रायसेन के ग्रामीण द्वारा नल-जल प्रदाय योजना के जरिए सात दिन 24 घंटें पानी दिये जाने के प्रयासों की जानकारी दी गई। बैतूल जिले की ग्रामीण भारतीय महिला समिति ने भोगईखापा पंचायत के तीन गाँवों में पानी के पुर्नउपयोग की जानकारी और उसकी सफलता का रेखांकन किया।
जिला देवास ग्राम महूखेड़ी एवं तेंदुआ पंचायत के प्रतिनिधि द्वारा पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनने के प्रयासों को बताया। कार्यशाला में विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने जल तकनीकों को बतलाते हुये इस बात पर जोर दिया कि पेयजल योजना की उपलब्धता मान आधारित होना चाहिए। राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान नागपुर द्वारा जल की गुणवत्ता बनाये रखने एवं निगरानी के संबंध में जानकारी दी।
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