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Saturday, January 9, 2010

औषधीय पौधों के उत्पादन की 76 करोड़ की योजना तैयार

मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने मंथन-2009 में गठित अधिकारियों के कार्यदलों द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर विभागवार समीक्षा के अंतर्गत मंत्रालय में आज दूसरे दौर में वन, कृषि, पशुपालन और मत्स्य-पालन विभाग द्वारा तैयार रोड मेप की समीक्षा की। इस अवसर पर संबंधित मंत्रीगण सर्वश्री सरताज सिंह, डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, श्री अजय विश्नोई, राज्य मंत्री श्री बिजेन्द्र प्रताप सिंह और श्री जयसिंह मरावी के अलावा मुख्य सचिव श्री राकेश साहनी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।वन विभाग
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वन विभाग को अपनी गतिविधियों को आय वृद्धि की दृष्टि से संचालित करने की दिशा में अधिक ध्यान देने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि फलदार पौधों का रोपण भी प्रतिवर्ष किया जाये। वनोपज संघ के कार्यों से भी आय बढ़ना चाहिये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि केरल में जिस तरह लौंग, काली मिर्च आदि का उत्पादन वृहद स्तर पर हो रहा है, उसी तरह प्रदेश में इस क्षेत्र में उपलब्ध संभावनाओं का दोहन किया जाये। श्री चौहान ने इंदौर में होने वाली खाद्य प्रसंस्करण उद्योग संगोष्ठी में स्पाइस पार्क के मॉडल के प्रदर्शन के निर्देश दिये।
वन विभाग द्वारा प्रस्तुत रोड मेप में बताया गया कि औषधीय पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये 76 करोड़ रूपये की योजना तैयार की गई है। निवेश एवं रोजगार सृजन के उद्देश्य से वन विभाग में प्रकोष्ठ का गठन कर लिया गया है। राज्य सीमाओं पर वन विभाग की वर्तमान जांच चौकियों को एकीकृत कम्प्यूटर आधारित जांच चौकी में बदलने की दिशा में कदम उठाये गये हैं। इस वित्त वर्ष की समाप्ति तक पशुहानि, जनहानि और संरक्षित क्षेत्र से विस्थापित व्यक्तियों को मिल रही सुविधाओं का विवरण विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जायेगा। वन विभाग को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संचालित कॉल सेंटर में जानकारी उपलब्ध कराने एवं शिकायत दर्ज कराने के लिये सम्बद्ध किया गया है। विभागीय अधिकारियों को वन्यप्राणी संरक्षण, संयुक्त वन प्रबंधन और वन ग्रामों के विकास में विशेषज्ञता हासिल करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों का डाटा बेस भी तैयार किया जा रहा है।
किसान कल्याण एवं कृषि
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कृषि को फायदे का धंधा बनाने के लिये मंथन के कार्यदल की अनुशंसाओं पर किसान कल्याण तथा कृषि विभाग द्वारा प्रस्तुत रोड मेप की विस्तार से समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कृषि विभाग द्वारा किसानों को स्वयं बीज उत्पादन के लिये प्रोत्साहित करने के प्रयासों को बढ़ाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राज्य बीज निगम की अंश पूंजी में वृद्धि और राज्य सरकार की गारंटी से 47.72 करोड़ की वित्त व्यवस्था की सहमति दी। इस व्यवस्था से बीज उत्पादन कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन किया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस वर्ष स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना को लागू करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि चरणबद्ध रूप से योजना का क्रियान्वयन करते हुए अगले दो साल में प्रत्येक किसान को भूमि का हेल्थ कार्ड प्रदान किया जाये। इसी तरह जैविक खाद को बढ़ावा देने एवं प्रदेश की जैविक नीति तैयार करने का कार्य शीघ्र पूरा करने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हर विकासखंड के एक ग्राम में एक मॉडल कृषि फार्म विकसित करने के निर्देश दिये। उन्होंने सरकारी कृषि प्रक्षेत्रों पर पायलेट आधार पर प्रदर्शन के लिये मॉडल फार्म विकसित करने पर भी बल दिया। श्री चौहान ने किसानों को निरंतर उपयोगी परामर्श, प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन देने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ कृषि विभाग के बेहतर समन्वय की जरूरत बताते हुए इन केन्द्रों को किसानों के लिये अधिक उपयोगी बनाने के निर्देश दिये।
कृषि विभाग के रोड मेप में जानकारी दी गई कि कृषि उपजों के मंडी भाव की जानकारी गांव तक पहुंचाने के लिये एस.एम.एस. माध्यम का उपयोग शुरू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने खेत-तालाब, बलराम-तालाब आदि योजनाओं के समन्वित रूप से उपयोग के निर्देश दिये ताकि इस क्षेत्र में अच्छे परिणाम प्राप्त हों। श्री चौहान ने निवेश वृद्धि समूह की राज्य में अधिक परियोजनाओं को पी.पी.पी. मॉडल पर लागू करने की अनुशंसा पर भी शीघ्र कदम उठाने को कहा। कृषि विभाग के रोड मेप में जानकारी दी गई कि मध्यप्रदेश प्रामाणिक जैविक कपास उत्पादन में देश में अव्वल है। जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिये कार्य कर रही संस्था का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। कृषि एवं उद्यानिकी फसलों को प्रदेश से बाहर एवं विदेशों में निर्यात के लिये लाजिस्टिक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
पशुपालन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मंथन-2009 के समूहों द्वारा की गई अनुशंसाओं पर पशुपालन विभाग के रोड मेप की भी समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में पशुपालन के क्षेत्र में व्यवसाय वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं। उन्नत नस्ल के दूधारू पशुओं के साथ ही वैज्ञानिक प्रबंधन, अच्छे पशु आहार और पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रखने के लिये दी जा रही सेवाओं में और सुधार कर इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पशुपालन गतिविधियों से पशुपालकों को अधिक आय के अवसर उपलब्ध कराने के प्रयास बढ़ाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि दूध, गौ-मूत्र, गोबर के उपयोग से पशुपालक की आमदनी बढ़ाने के लिये सतत कार्रवाई की जाये।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में बकरी पालन को बढ़ावा देने की संभावनाओं का दोहन करने के भी निर्देश दिये। पशुपालन विभाग के रोड मेप में जानकारी दी गई कि मध्यप्रदेश बकरी पालन में संख्या की दृष्टि से देश में छठवें और दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से तीसरे स्थान पर है। बकरी के दूध से निर्मित चीज़ की विदेशों में काफी मांग है। मध्यप्रदेश इस दिशा में पहल कर रहा है।
समीक्षा के दौरान बताया गया कि प्रदेश में गौ-सेवकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है। गौ-सेवकों को विशेष किट भी उपलब्ध कराये जायेंगे ताकि गौवंश में वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने में आसानी हो। मध्यप्रदेश पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के माध्यम से पशु आहार संयंत्र की स्थापना के प्रयास किये जा रहे हैं। निगम में निवेश एवं रोजगार सृजन प्रकोष्ठ गठित किया गया है। पशुपालन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिये ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग एवं समन्वय से स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। चारा उत्पादन कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत प्रयास किये जा रहे हैं। पशुपालन को संगठित क्षेत्र में लाने के प्रयासों में शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में डेयरी और पोल्ट्री एस्टेट के लिये अधोसंरचना का निर्माण किया जा रहा है। दुग्ध संघों की कार्यकुशलता बढ़ाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं।
मत्स्य-पालन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मत्स्य-पालन विभाग द्वारा मंथन की अनुशंसाओं पर आधारित रोड मेप की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रदेश के तालाबों में मत्स्य पालन की क्षमता का पूरा दोहन करने की कार्य योजना बनाई जाये। आवश्यक हो तो ग्रामीण जलाशयों में मत्स्य-उत्पादन में वृद्धि के लिये नरेगा योजना के अंतर्गत जलाशयों का गहरीकरण कार्य किया जाये और वृहद जलाशयों की क्षमताओं का अध्ययन करते हुए आवश्यक कदम उठाये जायें। मत्स्य-बीजों की पूर्ति के लिये परियोजनाओं में आवश्यक प्रावधान किये जायें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मत्स्य-विक्रय के लिये बड़े नगरों में आधुनिक सुविधायुक्त मत्स्य-विक्रय बाजार निर्मित करने की दिशा में समयबद्ध कार्यक्रम तैयार कर क्रियान्वयन के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने मत्स्य-पालन गतिविधियों के लिये विद्युत दरों को कृषि क्षेत्र के समान रखे जाने के संबंध में की जा रही कार्रवाई की जानकारी भी प्राप्त की। विभागीय रोड मेप में जानकारी दी गई कि कृषि की भाँति जल कृषि (एक्वाकल्चर) के लिये आनावरी लागू करने की अनुशंसा पर अमल के लिये भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जायेगा। इसी तरह सिंचाई विभाग के स्वामित्व वाले वृहद तलाशयों की नहरों के किनारों की भूमि पर नये तालाबों के निर्माण और उनके मत्स्य-पालन में उपयोग पर भी विचार-विमर्श हुआ।
मंथन समूहों की अनुशंसाओं पर रोड मेप प्रस्तुति के दौरान संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव, सचिव एवं अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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