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Sunday, December 27, 2009

खाद्यान्न और जलवायु सुरक्षा सम्मेलन के निष्कर्ष प्रदेश में लागू होंगे

स्वयंसेवी संगठनों और समाज को राज्य के मार्गदर्शन के लिये आगे आयें
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि खाद्यान्न और जलवायु सुरक्षा सम्मेलन के निष्कर्षों को यथासंभव मध्यप्रदेश में लागू करने के प्रयास होंगे। श्री चौहान आज सुबह स्थानीय गांधी भवन में एकता परिषद द्वारा आयोजित खाद्यान्न और जलवायु सुरक्षा पर केन्द्रित दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु और खाद्यान्न सुरक्षा सहित प्रकृति के संतुलित दोहन के साथ विकास के संबंध में स्वयंसेवी संगठनों और समाज को राज्य के मार्गदर्शन के लिये आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि विकास की दौड़ में प्रकृति के अंधाधुंध दोहन से बनी वर्तमान स्थिति चिंतनीय है। श्री चौहान ने कहा कि स्वावलंबी गाँव की अनुपस्थिति से ही बेरोजगारी और पलायन की समस्या उत्पन्न हुई है।
श्री चौहान ने कहा कि देश में बार-बार चुनावों से राजनैतिक दलों को विकास और अन्य दूसरी बातों को सोचने का समय ही नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में सभी विधायी सदनों, नगरीय निकायों और पंचायत संस्थाओं के चुनाव पांच वर्ष में एक बार होने चाहिये। 
श्री चौहान ने प्रधानमंत्री और मुंख्यमंत्री के प्रत्यक्ष निर्वाचन और चुनाव खर्च की स्टेट फंडिंग को भी जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि चुनावों की स्टेट फंडिंग से चंदे का धंधा भी बंद होगा और चंदा देने वालों की अनुचित मांगों की पूर्ति पर रोक लगकर प्राकृतिक साधनों का उनके हित में अंधाधुंध दोहन भी रूकेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत में सदैव से न केवल मानव बल्कि प्राणीमात्र के कल्याण की परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि वे प्रदेश में वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन का प्रत्यक्ष जायजा देने के लये प्रदेश के भ्रमण पर भी विचार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पिछले तीन वर्ष से शुरू जलाभिषेक अभियान निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने अभियान को और अधिक परिणामकारी बनाने के लिये उपस्थित लोगों से मार्गदर्शन देने को कहा।
जल बिरादरी के श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि जलवायु और खाद्यान्न सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण काम महज कानून बनाने से संभव नहीं है। उन्होंने इसके लिये राज्य और समाज के साझा प्रयासों की जरूरत बतायी। श्री सिंह ने प्रदेश के जलाभिषेक अभियान को अच्छी पहल बताते हुए कहा कि अभियान को परिणामकारी बनाने के लिये वे सहयोग देने को तैयार है।
भारत विकास संगम के श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि विकास की वर्तमान मानव केन्द्रित अवधारणा को प्रकृति र्केन्द्रित बनाया जाना चाहिये। उन्होंने विकास के पैमाने को बदलने को युगीन आवश्यकता बताते हुए कहा कि मानव के साथ ही जमीन, जल, जंगल और जानवर के अधिकारों को पुन: परिभाषित कर उन्हें अनुलंघनीय बनाकर ही हम संतुलित विकास की राह पर बढ़ा सकते हैं।
क्लायमेट चेंज एक्शन नेटवर्क की सुश्री अदिति कपूर ने कोपेनहेगन में हाल ही में संपन्न जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के निर्णयों और उनके भारत पर प्रभावों पर प्रकाश डाला। राज्यसभा सदस्य श्री अनिल दवे ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।
एकता परिषद के अध्यक्ष श्री पी.व्ही. राजगोपाल ने सम्मेलन के उद्देश्यों और विषय की पृष्ठभूमि की जानकारी दी। उन्होंने मध्यप्रदेश में सम्मेलन के आयोजन को जलवायु और पर्यावरण संबंधी समस्याओं के निराकरण के लिये सभी से संवाद की राज्य शासन की सुखद पहल का परिणाम बताया।
इसके पहले मुख्यमंत्री श्री चौहान और अन्य अतिथियों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप जलाकर सम्मेलन का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने परिषद के श्री रमेश शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक 'खाद्यान्न एवं जलवायु सुरक्षा-प्रश्न और प्रतिप्रश्न' का भी लोकार्पण किया। कार्यक्रम का संचालन परिषद के राष्ट्रीय संयोजक श्री रनसिंह परमार ने किया।

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