-->


Jai Kisan,Bharat Mahaan


दीक्षांत समारोह

दीक्षांत समारोह
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

.

खत पढ़ों और घर बैठै 9 हजार रूपए महीना कमाओ Read Email & Get Money

My Great Web page

Tuesday, November 17, 2009

आकस्मिक बारिश से रबी के उत्पादन के बढ़ने की संभावनाए

ऐसे समय में चना के स्थान पर गेहूँ की बोनी लाभकारी
मध्यप्रदेश के ज्यादातर स्थानों पर हो रही बारिश ने रबी के उत्पादन के बढ़ने की संभावनाएं बढ़ाई हैं। किसान कल्याण विभाग ने लगातार हो रही बारिश को ध्यान में रखकर कृषि सलाह दी है।किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने बताया है कि पूर्व में बोई गई फसलों को इस सीजन में हुई आकस्मिक बारिश ने सिंचाई का लाभ दिया है। आगे भी बिना पलेवा किये गेहूँ बोने की अच्छी संभावनाएं बनी हैं।
प्रदेश में मौसम साफ होने तथा बतर मिलने के बाद रबी की रुकी हुई बुवाई फिर शुरू की जा सकेगी। संचालक कृषि डॉ. डी.एन. शर्मा ने बताया कि कृषि विभाग मौसम की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है। किसानों को सलाह दी गई है कि बरसात रुकने के बाद खेती के अनुकूल परिस्थिति मिलते ही अधिक से अधिक क्षेत्रफल में बोनी की जाये। किसी भी स्थिति में खेत खाली न छोड़ा जाए।
ऐसे समय में चना के स्थान पर गेहूँ की बोनी करना अधिक लाभकारी है। किसानों द्वारा पूर्व में बोई गई गेहूँ की फसल में यूरिया की टाप ड्रेसिंग बतर आने पर करना चाहिये। इसके लिये फसल की सिफारिशी मात्रा में एक तिहाई हिस्से का बुरकाव करें किन्तु गेहूँ के अलावा किसी अन्य फसल में यूरिया का प्रयोग न करें।
दलहनी तथा तिलहनी फसलों में यदि निचली भूमि में कहीं जल का भराव हो रहा हो तो नाली बनाकर जल निकास की व्यवस्था की जाना चाहिये। इसके अलावा संबंधित फसल का रायजोबियम कल्चर तथा पीएसबी गोबर की खाद में मिलाकर खेतों में बुरकाव करने से लाभकारी जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि की जा सकती है। बतर आने पर फसलों की कतारों के बीच ‘हेण्ड व्हील हो’ चलाने से जड़ों तक हवा का संचार होगा, इससे भी पौधों की वृद्धि को बनाये रखने में सहायता मिलेगी।
नये खेतों में जहां बोनी की जा सकती है वहां दलहनी व तिलहनी फसलों में जिप्सम तथा गेहूँ की फसल में जिंक सल्फेट का प्रयोग करना उपयोगी होगा। जैविक खादों का अधिकतम उपयोग भी उत्पादन के लिये किया जाना चाहिये। बोये जाने वाले शत-प्रतिशत बीज का उपचार करने तथा जीवाणु खादों का प्रयोग करने की सलाह भी किसानों को दी गई है।
प्रदेश के अंचलों में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के संबंध में किसान कल्याण विभाग द्वारा संचालित किसान कॉल सेन्टर में भी किसानों के फोन कॉल्स प्राप्त हो रहे हैं। किसान कॉल सेन्टर के प्रभारी श्री सुरेश मोटवानी ने बताया कि लगातार बारिश से जिन किसानों ने सप्ताहभर पूर्व बोनी की है और उनके खेतों में फसलों के अंकुरण की स्थिति नहीं बनी है उन किसानों को अपने खेतों में पानी निकासी के लिये नाली की व्यवस्था करनी होगी।
इसके अलावा ऐसे किसानों जिन्होंने अब तक बोनी नहीं की है उन्हें 8 से 10 दिन के भीतर खेत तैयार करके गेहूँ की ऐसी किस्म लेना चाहिये जो देर से पकने वाली हों। किसान अपने खेत में गेहूँ की ‘लोकवन किस्म’ बो सकते हैं। लगातार बारिश से दलहनी-तिलहनी विशेष रूप से चने की फसल पर इल्ली के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है।
ऐसी स्थिति में किसानों को बगैर देरी किये फसलों पर जैविक कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिये। किसान इस मौसम में अपनी अन्य समस्याओं के निराकरण के लिये टोल फ्री नम्बर 1800-233-4433 पर संपर्क कर सकते हैं। किसान कॉल सेन्टर में कृषि विशेषज्ञ सातों दिन सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक किसानों को आवश्यक कृषि सलाह देने के लिये उपलब्ध रहते हैं। यह काल सेन्टर भोपाल के गंगोत्री भवन में इंडियन सोसायटी ऑफ एग्री बिजनेस प्रौफेशनल्स (आईसेप) द्वारा संचालित हो रहा है।

0 comments:

ADMARK

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
 
Blog template by mp-watch.blogspot.com : Header image by Admark Studio