प्रदेश में 15 अक्टूबर से धान और मोटे अनाज की खरीदी शुरू होने जा रही है। उपार्जन व्यवस्था का जायजा लेने तथा स्टॉक की गुणवत्ता और विषयांतर्गत अन्य निर्णय लेने के लिए हर जिले में प्रशासकीय समितियाँ गठित की जा रही हैं। इस समिति को खरीदी संबंधी सारे विवादों के अंतिम निराकरण का अधिकार भी होगा। उपार्जन की तैयारियाँ तेज कर दी गई हैं।
राज्य शासन के निर्देश के मुताबिक जिला प्रशासकीय समिति के अध्यक्ष संबंधित कलेक्टर या उनके प्रतिनिधि होंगे। इसके सदस्यों में उप पंजीयक या सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं, जिला या शाखा प्रबंधक भारतीय खाद्य निगम, प्रबंधक जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक, उप संचालक कृषि, जिला प्रबंधक म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ, जिला प्रबंधक या शाखा प्रभारी म.प्र. राज्य भंडार गृह और लाजिस्टिक्स निगम तथा सचिव कृषि उपज मंडी शामिल रहेंगे।
अनुभाग स्तर पर खास दलराज्य शासन के निर्देश के मुताबिक जिला प्रशासकीय समिति के अध्यक्ष संबंधित कलेक्टर या उनके प्रतिनिधि होंगे। इसके सदस्यों में उप पंजीयक या सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं, जिला या शाखा प्रबंधक भारतीय खाद्य निगम, प्रबंधक जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक, उप संचालक कृषि, जिला प्रबंधक म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ, जिला प्रबंधक या शाखा प्रभारी म.प्र. राज्य भंडार गृह और लाजिस्टिक्स निगम तथा सचिव कृषि उपज मंडी शामिल रहेंगे।
धान और मोटे अनाज के समर्थन मूल्य पर उपार्जन संबंधी निगरानी, सुपरवीजन आदि के लिए अनुभाग स्तर पर खास दल भी गठित किए जा रहे हैं। कलेक्टर द्वारा गठित होने वाले इन दलों में कृषि, राजस्व, सहकारिता, भारतीय खाद्य निगम और उपार्जन संस्था के प्रतिनिधि शामिल होंगे। ये दल खरीदी केन्द्रों का आकस्मिक निरीक्षण करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि वहाँ बिक्री के लिए आ रहा खाद्यान्न तयशुदा गुणवत्ता के मुताबिक ही खरीदा जा रहा है या नहीं। इनके जिम्मे क्रेता और विक्रेताओं के विभिन्न विवादों का निराकरण करना भी होगा।
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