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Wednesday, October 7, 2009

कृषि को लाभदायी बनाने के लिये गठित कार्य समूह का प्रस्तुतीकरण (मंथन-2009)

100 से अधिक अनुशंसाओं पर हुआ विचार-विमर्श
मंथन-2009 कार्यशाला के अंतर्गत कृषि को लाभदायी बनाने के लिये गठित कार्य समूह ने आज शाम प्रशासन अकादमी सभागार में अपनी अनुशंसाएं प्रस्तुत कीं। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान, राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य और मंथन कार्यशाला में भाग ले रहे अधिकारी उपस्थित थे।
कार्य समूह की प्रमुख अनुशंसाओं में प्रदेश में नर्सरी एक्ट बनाने, उद्यानिकी के संकर बीज की हायब्रिड उत्पादन इकाई निजी क्षेत्र में लगाने, बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाने और बीज के डी.एन.ए. परीक्षण की प्रयोगशाला की स्थापना, प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं में बाराबंदी लागू करने लिफ्ट एरीगेशन स्कीमों में बिजली का प्रभार कृषि दर पर लेने, कृषि कार्य के लिये कम से कम 7 घंटे लगातार 3 फेस पर बिजली देने, प्राकृतिक जल संरचनाओं के पुनरूद्धार और जल उपयोग की कार्य योजना बनाने, ग्राम स्तर पर जल और भूमि संरक्षण के लिये समन्वित कार्यक्रम बनाने जैसी अनुशंसाएं शामिल हैं।
इसी तरह धारा 11 की श्रेणी में आने वाले सहकारी बैंकों की माली हालत सुधारने का समयबद्ध कार्यक्रम बनाने, सहकारी ऋणों की वसूली में सुधार, व्यावसायिक बैंकों के माध्यम से भी किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने का अभियान चलाने, फसलों की आनावारी वर्तमान उत्पादन के आधार पर पुनरीक्षित करने, जल कृषि के लिये भी आनावारी लागू करने, मौसम आधारित बीमा योजना की वर्तमान जिलों की पायलट योजना के सफल होने पर उसका विस्तार करने, उर्वरक की वितरण व्यवस्था में सुधार हेतु प्रदेश में भण्डारण की क्षमता में वृद्धि करने और सामान्य शिक्षा में कृषि विषय को शामिल करने की अनुशंसाएं भी समूह ने की हैं।
इसके अलावा कार्य समूह की अन्य प्रमुख अनुशंसाओं में कृषि यंत्रों का पूल ग्रामवार स्थापित करने, बैलचलित कृषि यंत्रों पर भी अनुदान देने और छोटे कृषि यंत्रों पर अनुदान हेतु किसानों को अधिक प्रोत्साहित करने की बात कही गई है। समूह ने क्षेत्र विस्तार एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिये मल्टी टायर खेती को प्रोत्साहन देने, इनसिटू न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट को बढ़ावा देने और नर्मदा घाटी को अधिक कीमत की फसलों के उत्पादन हेतु योजनाबद्ध तरीके से प्रोत्साहित किया जाने वाला झोन घोषित करने, बीहड़ भूमि के कृषिकरण को प्रोत्साहित करने की अनुशंसा की है।
पशुपालन के अंतर्गत समूह द्वारा की गई अनुशंसाओं में जिला सीधी और केसला में महिलाओं द्वारा संचालित सफल कुक्कुट पालन योजना का विस्तार पूरे प्रदेश में करने, श्वेत क्रांति के लिये पशुपालकों को उन्नत नस्ल के पशु प्रदाय के साथ ही उनके वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन, आहार और स्वास्थ्य की घर पहुंच सेवा उपलब्ध करवाने, बल्क मिल्क कूलर की स्थापना पर अनुदान पर लगी रोक को हटाने, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत क्षेत्रवार प्रोजेक्ट/अधोसंरचना के निर्माण के कार्य हाथ में लेने मिल्क रूट व्यवस्था को प्रदेश में अभियान के रूप में लेने और ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों को संगठित करने संबंधी अनुशंसाएं की हैं।
इसी तरह , अच्छी गुणवत्ता के पशु आहार की उपलब्धता के लिये निजी क्षेत्र में पशु आहार की स्थापना को बकरी पालन हेतु पशुपालकों को प्रोत्साहितप्रोत्साहित करने और गौ-शालाओं के माध्यम से गौ वंश उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने जैसी अनुशंसाएं भी समूह ने की हैं।
मत्स्य पालन के अंतर्गत ग्रामीण तालाबों की मत्स्य उत्पादकता नरेगा योजना के माध्यम से बढ़ाकर उन्हें बारहमासी बनाने, निर्माणाधीन बड़े और मध्यम जलाशयों में मत्स्य बीजों की पूर्ति हेतु परियोजना राशि से मत्स्य-बीज प्रक्षेत्र निर्माण हेतु भूमि का अधिग्रहण और मत्स्य क्षेत्र का निर्माण कराने, बड़े जलाशयों की नहरों के किनारों की भूमि, जो सिंचाई विभाग के स्वामित्व की है, में नये तालाबों का निर्माण कर मत्स्य-पालन के लिये उपयोग करने की अनुशंसा समूह ने की है।
इसी क्षेत्र के अंतर्गत समूह द्वारा की गई अन्य अनुशंसाओं में फिशरमेन क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवाने, बड़े जलाशयों में मत्स्याखेट करने वाले मछुआरों को अधिकतम लाभ दिलाने और उनके हितों को संरक्षित करने के लिये लंबी अवधि पर देने और जिला स्तर पर सहकारिता के अंतर्गत समितियों का जिला स्तर पर संघ गठन करने की अनुशंसा शामिल है।
समूह ने फसलोत्तर प्रबंधन के अंतर्गत कृषि एवं उद्यानिकी फसलों को प्रदेश में, प्रदेश के बाहर तथा विदेशों में निर्यात हेतु रेल, सड़क और वायु मार्ग के माध्यम से समुचित लाजिस्टिक सुविधाएं विकसित करने पर जोर दिया है। इसी तरह स्व-सहायता समूहों के जरिये ग्रामीण क्षेत्र में प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहन देने और प्रदेश के पिछड़े जिलों में उद्यानिकी फसलों के विकास की संभावना अनुसार अधोसंरचना के विकास संबंधी अनुशंसा की गई है।
कार्य समूह ने विपणन के अंतर्गत प्रदेश में उद्यानिकी फसलों के विपणन के लिये फल-फूल एवं सब्जियों की मंडियों की बड़े पैमाने पर स्थापना की जाने और मंडियों में भंडार गृहों की स्थापना पर जोर दिया है। इसके अलावा मंडियों में पेरिशेबल फसलों के विपणन से पूर्व प्री कूलिंग चेम्बर, ग्रेडिंग तथा पैकिंग इत्यादि की सुविधाओं के साथ ही इलेक्ट्रानिक नीलाम के लिये स्पाट एक्सचेंज की सुविधा उपलब्ध करवाने की अनुशंसा समूह ने की है।
कार्य समूह ने बीज क्षेत्र में राज्य शासन का निवेश बढ़ाने, किसानों को भण्डारण शुल्क में 40 प्रतिशत की छूट देने और उर्वरकों के अग्रिम भंडारण के लिये किसानों द्वारा लिये जाने वाले ऋण पर ब्याज में छूट देने पर भी विचार करने को कहा है।
इस समूह के संयोजक प्रमुख सचिव श्री आर. परशुराम और सचिव मुख्यमंत्री के अपर सचिव श्री विवेक अग्रवाल थे। समूह का प्रस्तुतीकरण प्रमुख सचिव कृषि श्री आई.एन. दाणी ने दिया। प्रस्तुतीकरण की तैयारी में प्रमुख योगदान प्रमुख सचिव जल संसाधन ने दिया।

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