म.प्र. राज्य से कृषि उत्पादनों एवं प्रसंस्करित खाद्य पदार्थों की अपार संभावनायें हैं। जिसके लिये किसानों को अच्छे बीज, उर्वरक, दवायें उपलब्ध कराने के साथ आवश्यक तकनीकी ज्ञान एवं मार्गदर्शन प्रदान करना आवश्यक है। इस आशय के उद्गर आज यहाँ संसाधन केन्द्र विश्व व्यापार संगठन प्रशासन अकादमी भोपाल द्वारा फेडरेशन आफ एम.पी.चेम्बर्स आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज के सहयोग से 'कृषिगत/प्रसंस्करित खाद्य पदार्थों के म.प्र. से निर्यात पर विश्व व्यापार संगठन का प्रभाव विषय' पर आयोजित संगोष्ठी में विभिन्न वक्ताओं ने व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री संजय बागची, पूर्व सलाहकार डी.जी. गेट ने की।
प्रारंभ में आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी के महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना ने संगोष्ठी में उपस्थित अतिथियों एवं अन्य लोगों का स्वागत किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संगोष्ठी के माध्यम से प्राप्त जानकारी से म.प्र. के किसानों को लाभ मिलने के साथ ही केन्द्रीय सेवाओं के प्रशिक्षणरत अधिकारी भी लाभांवित होंगे।
अध्यक्ष श्री बागची ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुये जानकारी दी कि विश्व व्यापार संगठन के कतिपय अनुबंध भारत को लाभ पहुँचाने वाले है। जिसके कृषि से संबंधित अनुबंधों में कृषि आधारित उत्पादों को प्रोत्साहित कर स्वस्थ स्पर्धा को बढ़ावा प्रदान करते हैं। जिससे राष्ट्रीय सदस्यों की विश्व बाजार में पहुँच सुधार हो सके। उन्होंने बताया कि भारत में मानसून के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित होता है जिससे देश का व्यापार भी प्रभावित होता है।
उन्होंने कहा कि म.प्र. सहित देश के अन्य भागों में उत्पादित शीघ्र नष्ट होनें वाले पदार्थों के निर्यात हेतु प्रशीतन व्यवस्था के साथ तीव्रगामी परिवहन की व्यवस्था आवश्यक है। श्री ओ.पी गोयल पूर्व अध्यक्ष सोपा (सोयाबीन-आयल प्रोडक्शन एसोशियेसन) ने बताया कि म.प्र. से विभिन्न कृषि उत्पादों के निर्यात की काफी संभावनायें हैं।
जिसके बारे में आवश्यक तकनीकी ज्ञान एवं मार्गदर्शन किसानों को देनी की आवश्यकता है। इसके साथ ही किसानों को अच्छा बीज, उर्वरक दवायें भी कम कीमत पर उपलब्ध करानें की जरूरत है। उन्होंने कहा कि म.प्र. में 22 प्रजाति के गेहूँ की पैदावार किसानों द्वारा ली जाती है। यदि गेहूँ की विभिन्न प्रजाति की पैदावार का सही प्रकार संग्रहण किसान करनें लगे तो उसका निर्यात आसानी से संभव हो सकेगा।
इसी प्रकार प्रदेश में उत्पादित कपास की निर्धारित गुणवत्ता बनाये रखकर उसके निर्यात से ज्यादा आमदनी किसानों को हो सकती है। म.प्र. सोया उत्पादों का एक बड़ा निर्यातक है। प्रदेश में उत्पादित सब्जी एवं फलों का निर्यात भी विदेशों को किया जा सकता है। श्री गोयल ने बताया कि पंजाब के किसानों को नयी तकनीक एवं अच्छा बीज उपलब्ध कराने से टमाटर की पैदावार किसानों द्वारा प्रति हेक्टर 5 टन से बढ़ाकर 20 टन तक ली जानें लगी है। उन्होंने म.प्र. के किसानों को प्रोसेंसिंग आफ फुड प्रोडक्शन की जानकारी देने की बात कही।
जे.एन.एल.आई.यू भोपाल के श्री सी. राजशेखर ने अंर्तराष्ट्रीय व्यापार संगठन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्री विजय भटनागर, ईडीईएफटी भोपाल ने निर्यात की विभिन्न नियम प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी। श्री शिवेन्द्र श्रीवस्तव मुख्य वन संरक्षक ने म.प्र. में पैदा होने वाली विभिन्न लघु वनोपजों के निर्यात पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत की जैव-विविधता काफी समृद्ध है।
उन्होंने इण्डियन बायोडायवर्सिटीज एक्ट तथा म.प्र. बायोडायवर्सिटीज बोर्ड के बारे में जानकारी देने के साथ पेटेंट के बारे में भी बतलाया। श्री के.के. तिवारी, पूर्व मुख्य महानिदेशक म.प्र. कृषि उद्योग निगम ने कृषि व्यापार की नई संभावनायें एवं कृषि प्रक्षेत्रों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुख्य कार्यकारी अधिकारी, संसाधन केन्द्र विश्व व्यापार संगठन श्री व्ही.एस. शर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सिविल सेवा में चयनित अधिकारी, विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।
प्रारंभ में आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी के महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना ने संगोष्ठी में उपस्थित अतिथियों एवं अन्य लोगों का स्वागत किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संगोष्ठी के माध्यम से प्राप्त जानकारी से म.प्र. के किसानों को लाभ मिलने के साथ ही केन्द्रीय सेवाओं के प्रशिक्षणरत अधिकारी भी लाभांवित होंगे।
अध्यक्ष श्री बागची ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुये जानकारी दी कि विश्व व्यापार संगठन के कतिपय अनुबंध भारत को लाभ पहुँचाने वाले है। जिसके कृषि से संबंधित अनुबंधों में कृषि आधारित उत्पादों को प्रोत्साहित कर स्वस्थ स्पर्धा को बढ़ावा प्रदान करते हैं। जिससे राष्ट्रीय सदस्यों की विश्व बाजार में पहुँच सुधार हो सके। उन्होंने बताया कि भारत में मानसून के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित होता है जिससे देश का व्यापार भी प्रभावित होता है।
उन्होंने कहा कि म.प्र. सहित देश के अन्य भागों में उत्पादित शीघ्र नष्ट होनें वाले पदार्थों के निर्यात हेतु प्रशीतन व्यवस्था के साथ तीव्रगामी परिवहन की व्यवस्था आवश्यक है। श्री ओ.पी गोयल पूर्व अध्यक्ष सोपा (सोयाबीन-आयल प्रोडक्शन एसोशियेसन) ने बताया कि म.प्र. से विभिन्न कृषि उत्पादों के निर्यात की काफी संभावनायें हैं।
जिसके बारे में आवश्यक तकनीकी ज्ञान एवं मार्गदर्शन किसानों को देनी की आवश्यकता है। इसके साथ ही किसानों को अच्छा बीज, उर्वरक दवायें भी कम कीमत पर उपलब्ध करानें की जरूरत है। उन्होंने कहा कि म.प्र. में 22 प्रजाति के गेहूँ की पैदावार किसानों द्वारा ली जाती है। यदि गेहूँ की विभिन्न प्रजाति की पैदावार का सही प्रकार संग्रहण किसान करनें लगे तो उसका निर्यात आसानी से संभव हो सकेगा।
इसी प्रकार प्रदेश में उत्पादित कपास की निर्धारित गुणवत्ता बनाये रखकर उसके निर्यात से ज्यादा आमदनी किसानों को हो सकती है। म.प्र. सोया उत्पादों का एक बड़ा निर्यातक है। प्रदेश में उत्पादित सब्जी एवं फलों का निर्यात भी विदेशों को किया जा सकता है। श्री गोयल ने बताया कि पंजाब के किसानों को नयी तकनीक एवं अच्छा बीज उपलब्ध कराने से टमाटर की पैदावार किसानों द्वारा प्रति हेक्टर 5 टन से बढ़ाकर 20 टन तक ली जानें लगी है। उन्होंने म.प्र. के किसानों को प्रोसेंसिंग आफ फुड प्रोडक्शन की जानकारी देने की बात कही।
जे.एन.एल.आई.यू भोपाल के श्री सी. राजशेखर ने अंर्तराष्ट्रीय व्यापार संगठन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्री विजय भटनागर, ईडीईएफटी भोपाल ने निर्यात की विभिन्न नियम प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी। श्री शिवेन्द्र श्रीवस्तव मुख्य वन संरक्षक ने म.प्र. में पैदा होने वाली विभिन्न लघु वनोपजों के निर्यात पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत की जैव-विविधता काफी समृद्ध है।
उन्होंने इण्डियन बायोडायवर्सिटीज एक्ट तथा म.प्र. बायोडायवर्सिटीज बोर्ड के बारे में जानकारी देने के साथ पेटेंट के बारे में भी बतलाया। श्री के.के. तिवारी, पूर्व मुख्य महानिदेशक म.प्र. कृषि उद्योग निगम ने कृषि व्यापार की नई संभावनायें एवं कृषि प्रक्षेत्रों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुख्य कार्यकारी अधिकारी, संसाधन केन्द्र विश्व व्यापार संगठन श्री व्ही.एस. शर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सिविल सेवा में चयनित अधिकारी, विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।
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