तेजी से बढ़ रही महंगाई के मद्देनज़र खाद्य आपूर्ति राज्य मंत्री श्री पारसचंद्र जैन ने प्रदेश की तरफ से चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी है। इसकी रोकथाम का एक कारगर नुस्खा सुझाते हुए उन्होंने कहा है कि ऑन लाईन वायदा सौदों से खाद्यान्न सामग्री को जितनी जल्दी हो अलग कर दें। इसका सीधा खामियाजा देश के आम उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
राज्य मंत्री श्री जैन ने चिट्ठी में साफ किया है कि केन्द्र महंगाई पर यदि वास्तविक नियंत्रण चाहता है तो उसे कमॉडिटी टर्मीनल वायदा सौदों के बाज़ार से खाद्यान्न वस्तुओं को पूरी तरह मुक्त कर देना चाहिए। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि वायदा सौदों के छद्म व्यापारियों (सटौरियों) का इस शक्ल में होने वाला दखल खाद्यान्न वस्तुओं के मूल्यों पर केन्द्र के नियंत्रण को खत्म कर देगा।
मौजूदा हालात में जबकि महंगाई सिर चढ़ कर बोल रही है आगे यह और विकराल हो जाएगी। श्री जैन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि आज संकट की घड़ी में इस प्रयोग को अंजाम देना देश के आम लोगों के हित में एक अच्छी कोशिश साबित होगा, इसलिए इस पर जल्द फैसला जरूरी है।
कम उत्पादन के ढिंढौरे से बढ़ेगी मुनाफाखोरी
प्रदेश में शक्कर की मुनाफाखोरी और ज़माखोरी पर लगाम कसी जाने के प्रयासों के बीच आज खाद्य आपूर्ति राज्य मंत्री श्री पारसचंद्र जैन ने केन्द्र के कथित नेताओं के उन हालिया बयानों पर सख्त ऐतराज जताया है जिनमें शक्कर और दालों के कम उत्पादन का ढिंढौरा पीटा गया है।
उन्होंने कहा है कि इससे मुनाफाखोर इन चीजों को बाज़ार से गायब करने के लिए प्रवृत्त होंगे। खाद्यान्न वस्तुओं के लगातार बढ़ते दामों पर तो ऐसे बयान आग में घी का काम करेंगे। श्री जैन ने आशंका जताई है कि पिछले दिनों एक ऐसे ही बयान में कि देश की जरूरत के मान से इस साल 41 लाख मे.टन शक्कर कम उत्पादित हुई है, चीनी मिलों को शक्कर दबाने का मौका मिला है।
इसका सबूत यह है कि बाज़ार में चीनी की आवक कम हुई है और भाव आसमान छूने लगे हैं। राज्य मंत्री ने साफ किया है इन मिलों के पास जो शक्कर है वह पुराने भाव की है, लेकिन अब वे ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में इसे बेच नहीं रहे हैं।
राज्य मंत्री श्री जैन ने कहा है कि मध्यप्रदेश को केन्द्रीय पूल की अधिकांश शक्कर महाराष्ट्र से मिलती है। इस हिसाब से अब महाराष्ट्र की शक्कर मिलों ने प्रदाय कम कर दिया है और इसके चलते प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शक्कर का वितरण भी गड़बड़ा गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने विशेष कोशिशों के जरिए शक्कर और दालों के भाव थामने की तत्परता दिखाई है और इसके नतीजे में आज भी अन्य राज्यों की तुलना में इनके भाव यहां कम हैं, लेकिन वक्त-बेवक्त दिए जाने वाले बयान इन कोशिशों पर भी असर डालेंगे। उन्होंने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि बढ़ती महंगाई रोकने के लिए वह कोई सार्थक काम जल्द अंजाम दे।
राज्य मंत्री श्री जैन ने चिट्ठी में साफ किया है कि केन्द्र महंगाई पर यदि वास्तविक नियंत्रण चाहता है तो उसे कमॉडिटी टर्मीनल वायदा सौदों के बाज़ार से खाद्यान्न वस्तुओं को पूरी तरह मुक्त कर देना चाहिए। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि वायदा सौदों के छद्म व्यापारियों (सटौरियों) का इस शक्ल में होने वाला दखल खाद्यान्न वस्तुओं के मूल्यों पर केन्द्र के नियंत्रण को खत्म कर देगा।
मौजूदा हालात में जबकि महंगाई सिर चढ़ कर बोल रही है आगे यह और विकराल हो जाएगी। श्री जैन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि आज संकट की घड़ी में इस प्रयोग को अंजाम देना देश के आम लोगों के हित में एक अच्छी कोशिश साबित होगा, इसलिए इस पर जल्द फैसला जरूरी है।
कम उत्पादन के ढिंढौरे से बढ़ेगी मुनाफाखोरी
प्रदेश में शक्कर की मुनाफाखोरी और ज़माखोरी पर लगाम कसी जाने के प्रयासों के बीच आज खाद्य आपूर्ति राज्य मंत्री श्री पारसचंद्र जैन ने केन्द्र के कथित नेताओं के उन हालिया बयानों पर सख्त ऐतराज जताया है जिनमें शक्कर और दालों के कम उत्पादन का ढिंढौरा पीटा गया है।
उन्होंने कहा है कि इससे मुनाफाखोर इन चीजों को बाज़ार से गायब करने के लिए प्रवृत्त होंगे। खाद्यान्न वस्तुओं के लगातार बढ़ते दामों पर तो ऐसे बयान आग में घी का काम करेंगे। श्री जैन ने आशंका जताई है कि पिछले दिनों एक ऐसे ही बयान में कि देश की जरूरत के मान से इस साल 41 लाख मे.टन शक्कर कम उत्पादित हुई है, चीनी मिलों को शक्कर दबाने का मौका मिला है।
इसका सबूत यह है कि बाज़ार में चीनी की आवक कम हुई है और भाव आसमान छूने लगे हैं। राज्य मंत्री ने साफ किया है इन मिलों के पास जो शक्कर है वह पुराने भाव की है, लेकिन अब वे ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में इसे बेच नहीं रहे हैं।
राज्य मंत्री श्री जैन ने कहा है कि मध्यप्रदेश को केन्द्रीय पूल की अधिकांश शक्कर महाराष्ट्र से मिलती है। इस हिसाब से अब महाराष्ट्र की शक्कर मिलों ने प्रदाय कम कर दिया है और इसके चलते प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शक्कर का वितरण भी गड़बड़ा गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने विशेष कोशिशों के जरिए शक्कर और दालों के भाव थामने की तत्परता दिखाई है और इसके नतीजे में आज भी अन्य राज्यों की तुलना में इनके भाव यहां कम हैं, लेकिन वक्त-बेवक्त दिए जाने वाले बयान इन कोशिशों पर भी असर डालेंगे। उन्होंने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि बढ़ती महंगाई रोकने के लिए वह कोई सार्थक काम जल्द अंजाम दे।
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