किसान भी स्वयं एक सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक होता है। जो विभिन्न परिस्थितियों के बावजूद संघर्ष करके खेती करता है। नई तकनीक हासिल करने के पहले तक वह खेती से जुड़ी सारी समस्याओं से निपटने के लिए खुद ही उपाय ईजाद करता है। यह बात प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने सागर मे आयोजित कृषि मेले एवं कृषि संगोष्ठी के शुभारंभ पर व्यक्त किए।
स्थानीय रवीन्द्र भवन मे आज से प्रारंभ तीन दिवसीय कृषि मेले मे डॉ० कुसमरिया ने कहा कि पहले कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को रसायनिक खाद के उपयोग की समझाईश दी और अब जैविक खाद के उपयोग का सुझाव दे रहे हैं। उन्होने ने भी माना की रसायनिक खाद जमीन की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर रही है। लेकिन किसानों को चाहिए कि वो इन दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करें।
मप्र सरकार की कृषि को फायदे का सौदा बनाने की नीति सिलसिले मे उन्होने कहा कि जबतक उद्यानिकी, पशुपालन व फलोद्यान को खेती के साथ नहीं जोड़ा जाएगा तब तक यह फायदे का सौदा नहीं बन सकेगी।
कुसमरिया ने कृषि मेलों की उपयोगिता बताते हुए कहा कि ये एक तरह से किसाना पंचायतें हैं जहां किसानों के अनुभावों और विज्ञानिकों द्वारा ईजाद की गई खेती की नर्ह तकनीकि पर एक साथ मंथन किया जाएगा और इस मंथन के नतीजों के आधार पर ही प्रदेश सरकार अपनी नीति निर्धारित करेगी।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे सागर के सांसद भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि सिंचाई का रकबा बढ़ाए बना उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकेगा। इस लिहाज से बीना परियोजना बुंदेलखण्ड के लिए वरदान साबित हो सकती है जिसके बन जाने पर इस क्षेत्र मे एक लाख हैक्टेयार भूमि सिंचिंत हो जाएगी।
श्री ठाकुर ने सागर मे करीब 10 साल पहले बंद हुए रतौना डेयरी फार्म को दुबारा शुरू कराए जाने की कृषि मंत्री से गुजारिश की साथ ही रतौना मे विटनरी विश्वविद्यालय खोलने की भी मांग की।
इस मौके पर किसानों ने भी अपने विचार रखे साथ ही कृषि मंत्री ने दुर्घटना बीमा योजना, स्प्रिंकलर योजना व नलकूप योजना के तहत हितग्राहियों को चेक वितरित कर लाभान्वित किया।
सम्मेलन परिसर मे कृषि अभियंत्रिकी, उद्यानिकी और संबंधित विभागों द्वारा अपनी विभागीय योजनाओं पर आधारित प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। सम्मेलन मे शामिल हुए किसानों के मनोंरजंन के लिए ग्रामीण लोक कला मण्डलियों और पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के कलापथिक दल के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए।
स्थानीय रवीन्द्र भवन मे आज से प्रारंभ तीन दिवसीय कृषि मेले मे डॉ० कुसमरिया ने कहा कि पहले कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को रसायनिक खाद के उपयोग की समझाईश दी और अब जैविक खाद के उपयोग का सुझाव दे रहे हैं। उन्होने ने भी माना की रसायनिक खाद जमीन की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर रही है। लेकिन किसानों को चाहिए कि वो इन दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करें।
मप्र सरकार की कृषि को फायदे का सौदा बनाने की नीति सिलसिले मे उन्होने कहा कि जबतक उद्यानिकी, पशुपालन व फलोद्यान को खेती के साथ नहीं जोड़ा जाएगा तब तक यह फायदे का सौदा नहीं बन सकेगी।
कुसमरिया ने कृषि मेलों की उपयोगिता बताते हुए कहा कि ये एक तरह से किसाना पंचायतें हैं जहां किसानों के अनुभावों और विज्ञानिकों द्वारा ईजाद की गई खेती की नर्ह तकनीकि पर एक साथ मंथन किया जाएगा और इस मंथन के नतीजों के आधार पर ही प्रदेश सरकार अपनी नीति निर्धारित करेगी।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे सागर के सांसद भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि सिंचाई का रकबा बढ़ाए बना उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकेगा। इस लिहाज से बीना परियोजना बुंदेलखण्ड के लिए वरदान साबित हो सकती है जिसके बन जाने पर इस क्षेत्र मे एक लाख हैक्टेयार भूमि सिंचिंत हो जाएगी।
श्री ठाकुर ने सागर मे करीब 10 साल पहले बंद हुए रतौना डेयरी फार्म को दुबारा शुरू कराए जाने की कृषि मंत्री से गुजारिश की साथ ही रतौना मे विटनरी विश्वविद्यालय खोलने की भी मांग की।
इस मौके पर किसानों ने भी अपने विचार रखे साथ ही कृषि मंत्री ने दुर्घटना बीमा योजना, स्प्रिंकलर योजना व नलकूप योजना के तहत हितग्राहियों को चेक वितरित कर लाभान्वित किया।
सम्मेलन परिसर मे कृषि अभियंत्रिकी, उद्यानिकी और संबंधित विभागों द्वारा अपनी विभागीय योजनाओं पर आधारित प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। सम्मेलन मे शामिल हुए किसानों के मनोंरजंन के लिए ग्रामीण लोक कला मण्डलियों और पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के कलापथिक दल के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए।
1 comments:
я думаю: прелестно. а82ч
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