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Tuesday, June 12, 2012

खेती की चिन्हित समस्याओं के समाधान से होगी उत्पादन वृद्धि

 कृषि केबिनेट में पारित प्रस्ताव पर अमल शुरू 
Bhopal:Monday, June 11, 2012: Updated12:35IST
  1.   मिट्टी, वर्षा, तापमान, उर्वरता और सामाजिक परिवेश की विविधताओं के आधार पर प्रदेश को 11 जलवायु क्षेत्र में बाँटा गया है। भारत में कुल 127 जलवायु क्षेत्र माने गये हैं। इन जलवायु क्षेत्रों की अपनी विशेषताएँ होने के साथ कृषि उत्पादन की दृष्टि से कुछ कमियाँ भी हैं। 
  2. राज्य के किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा इन क्षेत्रों में तकनीकी स्तर पर समस्याओं की पहचान कर, इन्हें दूर करने के लिए पायलट आधार पर परियोजना की शुरूआत की गयी है। कृषि उत्पादकता में वृद्धि कर, किसानों के आर्थिक विकास के उद्देश्य से कृषि की चुनिंदा विधियों को मिलाकर चयनित क्षेत्र में प्रयोग में लाया जायेगा। इससे किसानों को विभिन्न योजनाओं का समेकित लाभ मिलेगा और कृषक स्वावलम्बी बन सकेंगे। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में प्रदेश की कृषि केबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया था। इस पायलट प्रोजेक्ट से कृषि केबिनेट के निर्णय पर अमल की शुरूआत की गई है।

    इसमें आने वाली सामान्य समस्याओं पर केन्द्रित कार्यक्रम तैयार कर प्रत्येक जिले के 4-5 गाँव के लगभग 1000 हैक्टर क्षेत्र को चुना जायेगा। चुने गए क्षेत्र का अच्छी तरह सर्वे कर, किसानों के परामर्श अनुसार उत्पादकता वृद्धि के सर्वोत्तम उपाय तलाशे जायेंगे। 
  3. जो किसान वर्तमान में उचित रूप से कृषि तकनीकी नहीं अपना रहे हैं उनको इस परियोजना का लाभ विशेष रूप से दिया जायेगा। ऐसे किसानों को सर्वप्रथम उच्च तकनीकी के प्रशिक्षण दिये जाकर प्रशिक्षण सामग्री भी दी जायेगी।
  4.  इन किसानों को नये कृषि यंत्रों से परिचित करवाया जायेगा और प्राथमिकता पर उन्नत बीज उपलब्ध करवाये जायेंगे। प्रशिक्षित किसानों को शत-प्रतिशत उपचारित बीज बोने के लिये प्रेरित किया जायेगा, ऐसे सभी सुधरे हुए खेती के तरीकों को अपनाने की राह निर्मित की जायेगी, जिससे कि किसान कम से कम लागत पर अधिक उत्पादन ले सके। 
  5. आवश्यकता एवं पात्रतानुसार किसानों को सामग्री क्रय करने हेतु अनुदान भी दिये जायेंगे। चुने हुए किसानों के प्रक्षेत्रों पर प्रदर्शन आयोजित कर इन्हें अन्य किसानों के लिये मॉडल बनाया जायेगा। व्यवहारिक प्रशिक्षण के लिये किसानों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत चल रहे फार्म फील्ड स्कूलों में प्रशिक्षण दिलवाये जायेंगे। इतना ही नहीं बल्कि समय-समय पर कृषि अधिकारी एवं वैज्ञानिक इन किसानों के प्रक्षेत्रों का भ्रमण कर व्यवहारिक कठिनाइयों को दूर करने के लिये मार्गदर्शन देते रहेंगे।

    यह पायलट परियोजना, इसी खरीफ मौसम से कार्य रूप ले रही है। इसमें पहले-पहले धान की श्री पद्धति, संकर मक्का विस्तार कार्यक्रम एवं सोयाबीन की रिज-फरों एवं रेज्ड-बेड प्लांटिंग को शामिल किया गया है।

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