नई दिल्ली में भारतीय अनुसंधान परिषद की 81वीं वार्षिक सभा आयोजित
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने कहा है कि मध्यप्रदेश को पूरे देश में जैविक राज्य के रूप में पहचान दिलाने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश में शीघ्र ही नई जैविक नीति घोषित की जा रही है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश में एक उच्च स्तरीय राष्ट्रीय कामधेनु अनुसंधान केन्द्र खोले जाने की जरूरत है। इस केन्द्र के खुलने से मध्यप्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। डॉ. कुसमरिया आज नई दिल्ली में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार की अध्यक्षता में आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की 81वीं वार्षिक सामान्य सभा को संबोधित कर रहे थे।
प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय कामधेनु अनुसंधान खोला जाये
मालवा क्षेत्र में एक कृषि विश्वविद्यालय, दो महाविद्यालय प्रारंभ किये जाने की जरूरत
छिन्दवाड़ा जिले में आदिवासियों के आर्थिक विकास के लिये पॉपकार्न प्रसंस्करण केन्द्र खोले जाने की आवश्यकता
नरसिंहपुर में गन्ना अनुसंधान केन्द्र प्रारंभ किया जाये
कृषि विकास मंत्री डॉ. कुसमरिया ने कहा कि प्रदेश में कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिये राज्य सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में जबलपुर तथा ग्वालियर में दो कृषि विश्वविद्यालय कार्य कर रहे हैं। बड़े प्रदेश होने के नाते इंदौर-मालवा क्षेत्र में कम से कम एक कृषि विश्वविद्यालय तथा दो कृषि महाविद्यालयों को प्रारंभ किये जाने की आवश्यकता है।
प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय कामधेनु अनुसंधान खोला जाये
मालवा क्षेत्र में एक कृषि विश्वविद्यालय, दो महाविद्यालय प्रारंभ किये जाने की जरूरत
छिन्दवाड़ा जिले में आदिवासियों के आर्थिक विकास के लिये पॉपकार्न प्रसंस्करण केन्द्र खोले जाने की आवश्यकता
नरसिंहपुर में गन्ना अनुसंधान केन्द्र प्रारंभ किया जाये
कृषि विकास मंत्री डॉ. कुसमरिया ने कहा कि प्रदेश में कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिये राज्य सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में जबलपुर तथा ग्वालियर में दो कृषि विश्वविद्यालय कार्य कर रहे हैं। बड़े प्रदेश होने के नाते इंदौर-मालवा क्षेत्र में कम से कम एक कृषि विश्वविद्यालय तथा दो कृषि महाविद्यालयों को प्रारंभ किये जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने इसके लिये केन्द्र से सहयोग दिये जाने का आग्रह किया। डॉ. कुसमरिया ने कृषि महाविद्यालयों की अधोसंरचना विकास के लिये परिषद के समक्ष लंबित पांच करोड़ रुपये के प्रस्ताव को भी शीघ्र स्वीकृति दिये जाने का भी आग्रह किया। डॉ. कुसमरिया ने प्रदेश में मसाला फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिये राज्य में नवीन मसाला अनुसंधान परियोजना प्रारंभ करने की आवश्यकता भी बताई।
कृषि विकास मंत्री डॉ. कुसमरिया ने प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर क्षेत्र में फूलों के बढ़ते उत्पादन को ध्यान में रखते हुए पुष्प अनुसंधान परियोजना शुरू करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 58 लाख हेक्टेयर रकबे में मक्का की खेती की जा रही है। छिन्दवाड़ा जिला मक्का के सर्वाधिक उत्पादन वाला जिला है।
कृषि विकास मंत्री डॉ. कुसमरिया ने प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर क्षेत्र में फूलों के बढ़ते उत्पादन को ध्यान में रखते हुए पुष्प अनुसंधान परियोजना शुरू करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 58 लाख हेक्टेयर रकबे में मक्का की खेती की जा रही है। छिन्दवाड़ा जिला मक्का के सर्वाधिक उत्पादन वाला जिला है।
इस जिले में आदिवासियों के आर्थिक विकास के लिये पॉपकार्न, बेबी कार्न इम्प्रूवमेंट एवं प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित किये जाने की जरूरत है। कृषि विकास मंत्री डॉ. कुसमरिया ने कहा कि राज्य सरकार की मदद से संचालित जबलपुर के गेहूँ अनुसंधान केन्द्र को अखिल भारतीय समन्वित गेहूँ अनुसंधान परियोजना के रूप में 11वीं पंचवर्षीय योजना में शामिल किया जाना चाहिये।
इसी प्रकार जबलपुर नेहरू कृषि विश्वविद्यालय को औषधीय एवं सुगंधित पौधों के संरक्षण, संवर्धन की आवश्यकता को देखते हुए इस केन्द्र को ऑल इण्डिया नेटवर्क प्रोजेक्ट ऑन एम.एण्ड ए.पी. के अंतर्गत शामिल किये जाने की जरूरत है।
प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में गन्ने का व्यापक उत्पादन होता है। आसपास के जिलों में गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने के लिये नरसिंहपुर में गन्ना अनुसंधान केन्द्र की स्थापना किये जाने की आवश्यकता है।
प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में गन्ने का व्यापक उत्पादन होता है। आसपास के जिलों में गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने के लिये नरसिंहपुर में गन्ना अनुसंधान केन्द्र की स्थापना किये जाने की आवश्यकता है।
डॉ. कुसमरिया ने प्रदेश में जैविक विधि से उत्पादक फसलों के प्रमाणीकरण के लिये राष्ट्रीय स्तर की संस्था गठित करने की आवश्यकता बताई। कृषि विकास मंत्री डॉ. कुसमरिया ने प्रदेश के कृषि महाविद्यालयों में उपलब्ध सीटों को बढ़ाये जाने एवं शिक्षण परिसरों के समुचित विकास के लिये और अधिक आर्थिक सहायता देने का सुझाव दिया।
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